यूं तो कवि साहित्यकार किसी राजनैतिक दल की सीमा में कभी बंधे नहीं रहते हैं पर मशहूर कवि गोपाल दास नीरज का साहित्य जगत में कद कुछ ऐसा था कि समाजवादी पार्टी ने उन्हें मौका मिलने पर उन्हें सम्मानित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा।

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LUCKNOW : भले ही लोग इसे उनके इटावा में जन्म लेने को वजह मानते रहे हो पर यह हकीकत है कि नीरज को चाहने वाले हर सियासी दल में थे। नीरज को सबसे पहले वर्ष 1994 में मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने यश भारती सम्मान दिया जो यूपी के सबसे बड़े सम्मानों में एक था। सपा के करीबियों की मानें तो नीरज अक्सर मुलायम को कुछ मामलों में सलाह देने से भी नहीं चूकते थे।
अखिलेश ने दिया पद
गोपाल दास नीरज का नाम उन साहित्यकारों में शुमार किया जाता है जिन्होंने इमरजेंसी के दौरान अपनी कृतियों से सत्ता पक्ष को खुलकर चुनौती दी। वर्ष 2012 में सूबे में अखिलेश यादव की सरकार में नीरज का कद बढ़ता चला गया। उन्हें भाषा संस्थान का अध्यक्ष बनाया गया। अखिलेश ने उन्हें वर्ष 2016 में फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष भी बनाया। वहीं साहित्यकारों के अधिकारों को लेकर भी नीरज काफी सजग रहते थे। हाल ही में उन्होंने राजधानी आकर यश भारती सम्मान की पेंशन को बंद किए जाने का विरोध भी किया था। हालांकि तीन साल पहले देश में कई साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार वापस किए जाने का उन्होंने
खुलकर विरोध भी किया था।
मिला सम्मान
- 1994 में मिला यश भारती सम्मान
- 2012 में भाषा संस्थान का अध्यक्ष बने
-  2016 में फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया

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Posted By: Mukul Kumar