-दस साल पुरानी अनफिट गाडि़यों से एटीएम और बैंक में पहुंचा रहे पैसे

-जर्जर गाडि़यां से पैसा ले जाना कहीं पड़ ना जाए भारी

GORAKHPUR: शहर में चालान की टेंशन से पब्लिक जल्दी-जल्दी अपने सारे वाहनों के डॉक्युमेंट्स सही कराने में लगी है। वहीं जिनके घरों के कोने में बरसों से चादर ओढ़कर अभी तक ओल्ड वाहन सड़ रहे थे, उन्हें भी लोग बेचकर अब हटा रहे हैं। नए नियम ने हर घर में उथल-पुथल मचा रखी है। लेकिन इसी शहर में कुछ ऐसी कबाड़ गाडि़यां फर्राटा भर रही हैं, जिन्हें नियम कानून से कोई मतलब नहीं है। हद तो ये कि कानपुर, बनारस की ये अनफिट गाडि़यां बैंक के काम में लगी हैं। बैंक भी इस लापरवाही पर आंखें बंद किए हुए हैं। जबकि इन गाडि़यों से डेली लाखों रुपए इधर-उधर आते-जाते हैं।

बैंक का लेबल देख प्रशासन करता इग्नोर

अभी तक बैंक के नाम पर प्रशासन की आंख में धूल झोंकने वाली इन गाडि़यों पर कभी किसी की नजर नहीं गई। बैंक का लेबल लगा होने से एंबुलेंस की तरह इन गाडि़यों को भी कोई नहीं रोकता है। इसी का फायदा उठाते हुए प्राइवेट एजेंसियां इस काम में बाहर की पुरानी और कबाड़ गाडि़यां भी डाल दे रही हैं। अधिकतर प्राइवेट बैंक एजेंसियों के थ्रू इन गाडि़यों से अपने एटीएम में पैसे डलवाते हैं।

रियल्टी चेक में सामने आई मनमानी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने शहर में बैंकों का कैश ढोने वाली एजेंसियों की इन गाडि़यों का रियल्टी चेक किया तो चौंकाने वाला सच सामने आया। सबसे पहले टीम को सिविल लाइंस में एक रेड और वाइट कलर की वैन दिखी। जिसका नंबर यूपी 53-टी-1781 था। इस वैन में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड और ड्राइवर मौजूद थे। वैन पूरी तरह जर्जर हालत में थी तो ये देख टीम ने परिवहन एप पर इसके नंबर की जांच की। पता चला कि 9 साल तीन महीने पूरे कर रही इस वैन का फिटनेस जुलाई में ही खत्म हो चुका है।

2018 में खत्म फिटनेस, भर रही फर्राटा

इसी तरह सिविल लाइंस एरिया में ही कानपुर की एक वैन मिली जिसका नंबर यूपी 77-एन-2199 था। इसकी जांच की तो पता चला कि 11 साल पांच महीने पुरानी इस वैन का फिटनेस 2018 में ही खत्म हो चुका है। इसी तरह टीम असुरन के पास पहुंची तो वहां भी एक बनारस के नंबर वाली बैंक की गाड़ी दिखी। जिसका नंबर यूपी-65-टी-5510 था। इस गाड़ी के नंबर की जांच पर पता चला कि मार्च में ही इसका फिटनेस समाप्त हो चुका है।

प्राइवेट एजेंसियों की पनाह में हो रहा संचालन

टीम को गोलघर एरिया में भी इसी तरह की एक वैन मिली। जिसका नंबर यूपी-53-टी-1778 था। इस वैन का भी जुलाई में फिटनेस समाप्त हो चुका है। जबकि गोलघर में एक ऐसी भी वैन मिली जिसका सबकुछ ठीकठाक मिला। फिलहाल शहर की सड़कों पर दूसरे शहरों की कबाड़ गाडि़यां प्राइवेट एजेंसियों की पनाह में बड़े आराम से फर्राटा भर रही हैं।

बॉक्स

सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे बैंक

जिन गाडि़यों से लाखों रुपए भेजे जा रहे हैं, उन्हें नया और फिट होना चाहिए ताकि कोई अनहोनी ना हो। लेकिन बैंक अधिकारियों की लापरवाही से ऐसी कबाड़ गाड़ी भी पैसे ले जाने में यूज की जा रही हैं। जिसके बाद अगर कुछ होता है तो बैंक कर्मी प्रशासन की कमी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेंगे।

वर्जन

बैंक की गाडि़यों पर कोई ध्यान नहीं देता है। ये मामला अभी मेरे संज्ञान में आया है। चेक कर कार्रवाई की जाएगी।

डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन

एसबीआई में कैश वैन के लिए उसका सेफ्टी और स्टैंडर्ड फिक्स है। जो गाडि़यां स्टैंडर्ड को पूरा करती हैं उन्हें ही हम रखते हैं।

- पीसी बरोड़, उप महाप्रबंधक एसबीआई

Posted By: Inextlive