- मुंबई से आई फैमिली में पहले पैरेंट्स की कोरोना रिपोर्ट आई थी पॉजिटिव

- पांच साल की बेटी तारा भी निकली संक्रमित

- रेलवे हॉस्पिटल स्टाफ की केयर और सपोर्ट से स्वस्थ हो घर लौटा परिवार

GORAKHPUR: कोरोना न जाने क्या-क्या दिखाएगा यह कोई नहीं जानता। यह तो पता भी न था कि मेरी लाडली बेटी ही हमसे दूर हो जाएगी। लेकिन कोरोना ने उसे भी नहीं छोड़ा। यह दर्द है मुंबई से लौटने पर कोरोना पॉजिटिव पाई गईं सहजनवां एरिया के नेवासे गांव निवासी अंजू का, जिनकी पांच साल की लाडली भी संक्रमित निकली थी। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बात करते हुए अंजू ने बताया कि वे अपने पति और बिटिया सहित कोरोना को मात देकर रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड से डिस्चार्ज हो चुकी हैं। वे अपने घर में ही रहती हैं। अब गांव के लोग कोरोना से डरते नहीं हैं, बल्कि एहतियात बरतते हैं। पति रामजनम भी घर के बाहर कम से कम निकलते हैं। अंजू बताती हैं कि इलाज के दौरान बेटी के भी पॉजिटिव मिलने की बात पता चली तो डॉक्टर्स और साथी मरीज संबल न देते तो वे अपनी बिटिया को कोरोना वार्ड में देख टूट ही जाते। सभी ने मिलकर हौसला बढ़ाया और पूरे परिवार को रेलवे हॉस्पिटल से कोरोना मुक्त जिंदगी की सौगात मिल गई। यह परिवार हॉस्पिटल की व्यवस्था से काफी खुश है और गांव में सामान्य जीवन जीना शुरू कर दिया है।

श्रमिक स्पेशल से आए थे गोरखपुर

अंजू के पति रामजनम बताते हैं कि कोरोना से ज्यादा दर्दनाक अचानक आपके आसपास के लोगों के व्यवहार में आया बदलाव होता है। वह मुंबई में पेंटिंग का काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेन से पत्नी और दो बच्चियों के साथ गोरखपुर लौटे। गांव में ही उनके पूरे परिवार के सैंपल लिए गए थे। तीन जून को पता चला की वह और पत्नी अंजू कोरोना पॉजिटिव हैं तो उन दोनों को रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड में एडमिट करा दिया गया। वहीं जब यह बात गांव वालों को पता चली तो लगा कि गांव के लोगों पर पहाड़ गिर गया हो। एक तनावपूर्ण माहौल बन गया, जो कोरोना के भय के कारण था। माता, पिता, दोनों बच्चियों और भाई को गीडा स्थित क्वारंटीन सेंटर में रख उनके भी सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। परिवार के बाकी लोगों के सैंपल तो निगेटिव थे लेकिन छोटी बेटी तारा की रिपोर्ट पॉजिटिव थी। आधी रात में हेल्थ डिपार्टमेंट ने एंबुलेंस का इंतजाम करवा छोटे भाई को पीपीई किट पहना उनके साथ ही बेटी को अस्पताल भिजवाया।

बच्ची पहुंची तो सभी हो गए भावुक

रेलवे हॉस्पिटल के प्रभारी एसीएमओ आरसीएच डॉ। नंद कुमार बताते हैं कि जब बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो सबसे बड़ी चुनौती थी कि उसे किसके साथ रेलवे हॉस्पिटल भेजा जाए। एंबुलेंस से आधी रात को जब बच्ची के चाचा हॉस्पिटल पहुंचे तो बेहद भावुक क्षणों का सामना करना पड़ा। बेटी मां की गोद में गई और यह परिवार एक दूसरे से लिपटकर काफी भावुक हो गया। रामजनम बताते हैं कि उन्हें खुद से ज्यादा इस बात की चिंता थी कि बेटी कोरोना संक्रमित थी। लेकिन उनकी चिंता थोड़ी देर में ही दूर हो गई। रात में ही वार्ड के साथी मरीजों ने उन्हें समझाया कि बच्चे भी स्वस्थ होकर लौट रहे हैं। इसके बाद डॉक्टर्स ने भी अगली सुबह उनकी काउंसलिंग की। मनोबल बढ़ाया गया। पोषणयुक्त खानपान मिला। 11 जून की रिपोर्ट में पैरेंट्स निगेटिव हो गए लेकिन बच्ची तारा का इलाज जारी था।

18 जून को तारा की आई निगेटिव रिपोर्ट

दंपत्ति के कोरोना निगेटिव आने और बिटिया तारा के पॉजिटिव रहने के कारण सबसे बड़ी चुनौती थी कि तारा को अकेले हॉस्पिटल में कैसे रखा जाए। माता-पिता बच्ची को छोड़ कर कैसे जाते। एसीएमओ आरसीएच तक बात पहुंची तो उन्होंने माता-पिता के रहने और बच्ची के साथ एहतियाहत बरतने के संबंध में मार्गदर्शन किया और दंपत्ति की हर तरह से मदद की। 18 जून को तारा की रिपोर्ट भी कोरोना निगेटिव आई। एंबुलेंस बुलाकर एक साथ पूरा परिवार गांव भेज दिया गया। जाते समय परिवार ने हेल्थ डिपार्टमेंट का शुक्रिया अदा किया।

मरीज को दें साहस

रामजनम कहते हैं किसी भी कोरोना मरीज को संक्रमण होने पर घबराने या चिंता करने की जरूरत नहीं है। वे अपनी इम्युनिटी को मेंटेन रखें और दवा प्रॉपर लेते रहें। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। गांव के लोग पहले तो थोड़ा डरे थे लेकिन बाद में उन्हीं लोगों में कुछ ने उनके परिवार की मदद भी की। सभी लोगों को कोरोना मरीज के साथ बेहतर बर्ताव करना चाहिए। वह उन सभी लोगों के प्रति बेहद शुक्रगुजार हैं जो मुश्किल हालात में उन्हें लगातार आश्वस्त करते थे कि उनका परिवार स्वस्थ होकर लौटेगा।

वर्जन

रेलवे हॉस्पिटल में एसीएमओ आरसीएच डॉ। नंद कुमार, चिकित्सा टीम, जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ। मुस्तफा खान और वहां की हेल्प डेस्क टीम कोरोना मरीजों के इलाज के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। जहां कहीं भी गैप्स नजर आते हैं उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाता है। अगर कहीं से कोई शिकायत आती है तो उसको शॉर्ट आउट किया जाता है।

- डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

Posted By: Inextlive