दुनियाभर में अब गाडिय़ों से निकलने वाले पॉल्युशन का मानक तय होगा. गाडिय़ों का पॉल्युशन लेवल आसानी से जान सकेंगे और उसके अकॉर्डिंग सर्विसिंग की प्लानिंग हो सकेगी.


गोरखपुर (सैयद सायम रऊफ)। एयर क्वालिटी इंडेक्स, वॉटर क्वालिटी इंडेक्स के बाद अब मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएमएमयूटी) गोरखपुर के प्रोफेसर गोविंद पांडेय के सुपरविजन में अभिनव पांडेय और राजीव कुमार मिश्रा ने दुनिया को पहली बार व्हीकल एमिशन क्वालिटी इंडेक्स (वीईक्यूआई) का फॉर्मूला दिया है. इंजीनियरिंग का वेद कहे जाने वाले 'अमेरिकन जरनल ऑफ सिविल इंजीनियरिंगÓ में रिसर्च को जगह मिलने के साथ ही सिविल इंजीनियरिंग से एक्सेप्टेंस मिला है. फ्यूचर में इसी मानक के अकॉर्डिंग फ्यूल एमिशन क्वालिटी जांची जाएगी, जिससे पॉल्युशन लेवल क्वालिटी जांचने में काफी मदद मिलेगी.एयर पॉल्युशन की वजह फ्यूल एमिशन
देश में पॉल्युशन कंट्रोल के लिए हुई स्टडी में यह बात सामने आई कि एयर पॉल्युशन के मुख्य कारकों में गाडिय़ों से होने वाला पॉल्युशन सबसे बड़ी वजह है. 50 परसेंट से ज्यादा एयर पॉल्युशन इसी वजह से हो रहा है. इसके मापन और कम करने की दिशा में रिसर्च भी हुई, जिसमें सामने आया कि देश में पेट्रोल और डीजल से अलग-अलग पॉल्युटेंट निकलते हैं. पेट्रोल से हाइड्रोकर्बन, कार्बन मोनो ऑक्साइड, जबकि डीजल की गाडिय़ों में इन दोनों के साथ पार्टिकुलेट मैटर का भी एमिशन होता है. ऐसे में कोई ऐसा पैरामीटर नहीं था, जिससे सभी वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण का एक समान विधि से आकलन हो सके. इसके बाद एमएमएमयूटी के डीन प्लानिंग प्रोफेसर गोविंद पांडेय की देख-रेख में स्टडी शुरू हुई और कड़ी मेहनत और रिसर्च के बाद दुनिया को व्हीकल एमिशन क्वालिटी इंडेक्स का कॉन्सेप्ट मिला है. कैसे मापा जाएगा वीईक्यूआई?प्रो. गोविंद पांडेय ने बताया कि वीईक्यूआई को मापने के लिए गाडिय़ों से निकलने वाले सभी पॉल्युटेंट का डाटा कलेक्ट किया जाएगा. इसके बाद इसे एक फॉर्मूले के तहत कंक्लूड कर वीईक्यूआई निकाला जाएगा. इसका मानक अभी तय किया जाना बाकी है, जिसके बाद पीयूसी के मानकों में इसे एड कर लिया जाएगा और गाडिय़ों का वीईक्यूआई, गुड, मॉडरेट, पुअर और वेरी पुअर कैटेगरी से मापा जाएगा. नॉर्मल रेंज में होता है तो ठीक, लेकिन न होने की कंडीशन में गाडिय़ों को ट्यूनिंग की जरूरत होगी.क्या होंगे फायदे - इससे आने वाले समय में वाहनों के पॉल्युशन असेसमेंट हो सकेगा.- डाटा आने के बाद उसे कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.- ट्यूनिंग कराकर वीईक्यूआई टेस्टिंग से आने वाले समय में वाहनों से आने वाला प्रदूषण खुद ब खुद कंट्रोल लेवल में रहेगा. - वीईक्यूआई चेक करने से पता चल जाएगा कि अब गाड़ी को सर्विस की जरूरत है.कथन...


वीईक्यूआई फॉर्मूला पहली बार दुनिया में जनरेट किया गया है. इसे अमेरिकन जरनल ऑफ सिविल इंजीनियर ने पब्लिश किया. मेरी देख-रेख में अभिनव पांडेय और राजीव कुमार मिश्रा ने कंप्लीट किया है. गाडिय़ों की स्टडी दिल्ली में हुई है. मानक तय हो जाने के बाद पॉल्युशन कंट्रोल में इससे काफी मदद मिलेगी.प्रो. गोविंद पांडेय, डीन प्लानिंग, एमएमएमयूटी गोरखपुर

Posted By: Syed Saim Rauf