- गुडवर्क के इंतजार में तीन दिन बाद दर्ज हुआ मुकदमा

- हाईटेक पुलिस को सताता रहता है नफा-नुकसान का डर

GORAKHPUR:

यूपी पुलिस हाईटेक होती जा रही है। थानों की पारंपरिक पुलिसिंग की जगह टेक्नोलॉजी का यूज किया जा रहा है। ख्ब् घंटे अपराधियों के पीछे भागदौड़ करने वाली पुलिस उम्दा संसाधनों से लैस हो रही। लेकिन पुलिस थानों में दिनभर की कार्रवाई में 'टोटके' भारी पड़ रहे। हाल में जिले के भीतर दो नए थाने बनाए गए हैं। इन थानों में मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया में भी टोटका यूज किया गया। नवनिर्मित रामगढ़ताल थाना के पहले मुकदमे में गुडवर्क का टोटका अपनाया गया। बुधवार को क्0 हजार के इनामी को पकड़कर पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाई। गीडा के थाना प्रभारी किसी अच्छे काम के इंतजार में जुटे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि धीरे-धीरे मान्यताएं बदल रही हैं। रजिस्टर खत्म होने पर यह टोटके भी खत्म हो जाएंगे।

गुडवर्क के इंतजार में गीडा

जिले में दो नए थानों के निर्माण का प्रपोजल दो साल पूर्व पूरा हुआ था। रामगढ़ताल और गीडा थाना बनाने को मंजूरी मिलने के बाद एसएसपी डॉ। सुनील गुप्ता ने प्रक्रिया शुरू कर दी। ख्0 सितंबर को एसएसपी ने दोनों थानों पर इंस्पेक्टर सहित अन्य स्टाफ की तैनाती कर दी। कायदे से कागज में आ चुके थाना पर कामकाज शनिवार को शुरू हो जाना चाहिए। लेकिन कंप्यूटर और साफ्टवेयर के अभाव में कोई कोरम पूरा नहीं हुआ। जबकि, रामगढ़ताल थाना पूर्व में रिपोर्टिग पुलिस चौकी थी। फिर टोटके की वजह से यहां पर गुडवर्क के इंतजार में कोई मुकदमा नहीं हुआ। ख्ब् सितंबर की शाम पौने छह बजे क्0 हजार के ईनामी को पकड़कर पुलिस ने गुडवर्क किया। उसके पास से एक तमंचा, एक कारतूस बरामद हुआ। आरोपित अमितधर दुबे के खिलाफ आधा दर्जन मुकदमे खोराबार थाना में दर्ज हैं। उसके खिलाफ क्0 हजार रुपए का ईनाम था। गीडा में पुलिस स्टाफ की तैनाती के बाद से गुडवर्क का इंतजार एसएचओ कर रहे हैं। गुरुवार सुबह तक थाना पर कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी। हालांकि नौसढ़ में शनिवार को एक बाइक डिक्की की उचक्के रुपए चुरा ले गए थे। तहरीर मिलने पर पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया। टोटके के चक्कर में वहां की जीडी रुकी है।

तीन नए थाने बनाने का प्रस्ताव

जिले में तीन अन्य थानों के निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेज दिए गए हैं। बांसगांव क्षेत्र की कौड़ीराम पुलिस चौकी, चिलुआताल एरिया के मानीराम और एम्स में नया थाना बनाने से जिले में कुल फ्क् थाने हो जाएंगे। वर्तमान में महिला थाना सहित कुल ख्8 थाना है। इन थानों के बनने के बाद भी यहां पर टोटका अपनाया जाएगा। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि इन थानों पर भी टोटका अपनाया जाएगा। पुलिस में टोटको का प्रचलन पारंपरिक रूप से चला आ रहा है।

क्यों अपनाते हैं टोटके, क्या है फायदा

आम लोगों की तरह पुलिस की कार्रवाई की विभिन्न तरह की मान्यताओं से प्रभावित होती है। थानों के कामकाज को ठीक से चलाने के लिए पुलिस कर्मचारी टोटके अपनाते हैं। इसलिए जिले के थाना परिसर में एक मंदिर की स्थापना भी रहती है। मंदिर छोटा या बड़ा हो सकता है। लेकिन बिना पूजा पाठ किए पुलिस कर्मचारी कामकाज नहीं शुरू करते। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि थानों का कामकाज ऑनलाइन हो गया है। फिर भी यहां पर टोटके चले रहे हैं।

फ्,क्फ्, ख्फ् और ख्7 अंक से करते परहेज

थानों पर रोजाना के कार्यकलाप की इंट्री जनरल डायरी में होती है। थाना पर कब-कब, क्या-क्या हुआ है। इसकी एंट्री की जाती है। महीनेभर के कामकाज में तीन, क्फ्, ख्फ् और ख्7 अंक से बचाव किया जाता है। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि जीडी जब इस अंक तक पहुंचती है तो वहां पर आमद और बरामदगी की जगह कोई मामूली तस्करा डाल दिया जाता है। कोई भी महत्वपूर्ण कार्रवाई उस अंक पर नहीं की जाती है।

बड़ी वारदात से बचने को अलग-अलग रखते रजिस्टर

थानों पर टोटके के लिए विभिन्न तरह के रजिस्टर को अलग-अलग रखने की परंपरा रही है। थाना पर चिक दस्तांजी, रजिस्टर नंबर आठ और जीडी को अलग-अलग स्थानों पर रखा जाता है। इनके एक साथ रखे जाने पर क्षेत्र में किसी बड़े वारदात की आशंका रहती है। इसलिए थानेदार के मुंशी-दीवान बचाव करते हुए रजिस्टर को विभिन्न जगहों पर रखते हैं।

नए थाना की पहली कार्रवाई होती िनरोधात्मक

पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि किसी भी नए थाना पर शुरू होने वाली जीडी पर पहली कार्रवाई निरोधात्मक होती है। इससे पुलिस की भाषा में गुडवर्क कहते हैं। किसी अभियुक्त को पकड़कर अरेस्ट करना या फिर कोई ऐसा कार्य दर्ज करना जिससे पुलिस का मान बढ़े। दूसरे नंबर पर सीआरपीसी के तहत केसेज दर्ज किए जाते हैं। तीसरे नंबर आईपीसी के मुकदमे लिखे जाते हैं। यह प्रक्रिया तब भी अपनाई जाती है जब नया साल शुरू होता है। थाना की जीडी नए साल में नई हो जाती है। इसलिए इस पर अपराध दर्ज करने के समय किसी गुडवर्क को अहमियत मिलती है।

पंचनामा रजिस्टर पर पड़ती लात

थानों पर पंचनामा रजिस्टर पर टोटके का असर होता है। किसी डेड बॉडी से संबंधित मामला दर्ज होने पर पंचनामा रजिस्टर को संभालकर नहीं रखा जाता है। उसमें लिखा-पढ़ी करने के बाद बेततरीब तरीके से फेंक दिया जाता है। उसे जहां-तहां फेंकने के पहले तीन पुलिस कर्मचारी लात से मारते हैं। माना जाता है कि इससे उसका असर खत्म हो जाता है। इसके अलावा भी कई अन्य टोटके पुलिस अपनाती है। करीब डेढ़ दशक पूर्व शाहपुर थाना में नर्तकी के मर्डर, लॉकअप में अभियुक्त के सुसाइड करने के बाद से कई टोटके अपनाए जाते हैं। इसका पूर्वी गेट बंद रखा जाता है। लॉकअप में रात में कोई मुल्जिम नहीं रखते हैं। जबकि, टोटके की वजह से थानेदार भी पुराने चैंबर को छोड़ दिया।

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Posted By: Inextlive