- मुकदमे की गलत नामजदगी पर मिली राहत

- दरोगाओं की मनमानी से पब्लिक को निजात

GORAKHPUR: किसी मुकदमे में बेवजह नामजद मुकदमा दर्ज होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं है। यदि घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं है तो पुलिस थाने से राहत मिल जाएगी। किसी के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले वादी पर एक्शन लिया जा सकेगा। ऐसा सब कुछ संभव हो सका है कि यूपी पुलिस के बदायूं मॉडल से जिसे अपनाकर गोरखपुर पुलिस ने एक साल के भीतर 216 लोगों को राहत दिलाई है। ऐसे लोगों को फर्जी मुकदमों में जेल जाने से बचाकर पुलिस ने थाने की चौखट पर इंसाफ दिला दिया। एसएसपी ने बताया कि मुकदमो की विवेचना के दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि कोई निर्दोष जेल न भेजा जाए।

सात दिन में न्याय दिलाने का नियम, मिलती मदद

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि बदायूं मॉडल में सात दिनों के भीतर न्याय दिलाने का नियम है। लेकिन कई बार दूसरे अन्य कारणों से जांच में विलंब हो जाता है। इसके तहत थाने, सीओ और पुलिस दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर नाम चस्पा कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, रिपोर्ट लिखवाने के खिलाफ भी धारा 194/195 में पुलिस कार्रवाई कर सकती है। एक साल पूर्व गोरखपुर जोन में बदायूं मॉडल लागू करने का निर्देश एडीजी जोन दावा शेरपा ने दिया था।

क्या होती है प्राब्लम

- मारपीट, सहित अन्य मामलों में लोग अक्सर बेवजह नाम लिखा देते हैं।

- किसी से रंजिश की वजह से कई बार वादी मौका देखकर किसी बेकसूर की नामजदगी करा देते हैं।

- ऐसे लोगों को थानों और दरोगा के सामने कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं।

- मुकदमे से नाम निकालने के नाम पर विवेचक की तरफ से तरह-तरह के दबाव दिए जाते हैं।

क्या हुआ है फायदा

किसी भी व्यक्ति को फर्जी तरीके से किसी मुकदमे में फंसाने पर राहत मिल रही है।

पर्याप्त साक्ष्य देने पर पुलिस ऐसे लोगों का नाम मुकदमे से जांच के बाद निकाल रही है।

यदि किसी विवेचक ने मनमानी की है तो वादी फिर से अभियुक्त का नाम भी जुड़वा लेता है।

किसी पर आरोप लगाने के पहले वादी के पास पुख्ता सबूत होने चाहिए। तभी वह स्टैंड करेगा।

इसकी रिपोर्ट एसएचओ, थाना प्रभारी के जरिए सीओ को भेजी जाती है।

सीओ की तरफ से साक्ष्य की जांच करने के बाद एएसपी को रिपोर्ट भेजी जा रही है।

एएसपी-एसपी स्तर से समीक्षा होने के बाद फिर से नामजदगी पर फैसला लिया जा रहा है।

क्यों लागू हुआ फैसला

अप्रैल 2018 में यूपी के बदायूं जिले में योजना लागू की गई। इस पर अमल करके पुलिस ने जब जांच की तो 1368 लोगों की नामजदगी गलत पाई गई। अप्रैल माह में जब यह सिस्टम लागू हुआ तो अकेले अप्रैल माह में 190 लोगों ने मुकदमे में फर्जी ढंग से फंसाए जाने की जानकारी पुलिस को दी। साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने उनका नाम मुकदमे से हटा दिया। इस प्रक्रिया को डीजीपी मुख्यालय से काफी सराहना मिली। इसके बाद धीरे-धीरे बदायूं मॉडल अन्य जिलों में भी लागू हुआ। गोरखपुर में जनवरी 2019 में एडीजी जोन के निर्देश पर प्रभावी कार्रवाई शुरू हुई।

गोरखपुर में 90 मुकदमों में 216 को राहत

बदायूं मॉडल पर हुई जांच में कुल 216 लोगों को राहत मिली। एक साल के भीतर दर्ज 90 मुकदमों में गलत नामजदगी की शिकायतें की आई। तथ्यात्मक रूप से इनका परीक्षण करते हुए विवेचक और पुलिस अधिकारियों ने बेवजह फंसाए गए लोगों को राहत दिलाई। बदायूं मॉडल से ऐसे लोगों को थाने का चक्कर लगाने के झंझट से छुटकारा मिला। साथ ही उनका नाम भी हटा दिया गया।

थाना मुकदमा व्यक्ति

शाहपुर 05 13

गोरखनाथ 02 02

खोराबार 09 21

कैंट 06 30

राजघाट 01 02

कोतवाली 01 03

गुलरिहा 10 28

बेलीपार 01 03

गोला 05 09

बड़हलगंज 07 19

उरुवा बाजार 03 07

बेलघाट 02 05

खजनी 12 17

सिकरीगंज 05 08

हरपुर बुदहट 02 04

सहजनवां 02 07

पीपीगंज 03 07

कैंपियरगंज 08 13

सीओ कैंपियरगंज 05 15

सीओ खजनी 01 03

बदायूं मॉडल के आधार पर मुकदमों की विवेचना की जा रही है। किसी मामले में गलत नामजदगी की शिकायत आने पर उसकी जांच कराई जा रही है। यदि आरोपी के खिलाफ फर्जी नामजदगी मिलती है तो उसे तत्काल राहत दी जा रही है। हर थाना प्रभारी, सीओ और एसपी को बदायूं मॉडल पर पूरी गंभीरता से एक्शन लेने के निर्देश निर्देश दिए गए हैं।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी

Posted By: Inextlive