-पासपोर्ट फर्जीवाड़ा मामले के खुलासे में फेल हो गई गोरखपुर पुलिस

-आरोपियों को बचाने की साजिश, उठने लगे सवाल

GORAKHPUR: शहर के फर्जी पते पर नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट बनवाने की जांच पड़ताल छह साल से फाइलों के फेर में फंसी है। तीन साल पूर्व दर्ज मुकदमे में कोई आरोप तय नहीं हो सका है। पासपोर्ट बनवाने वाले 26 नागरिकों की तलाश में पुलिस फेल रही है। इस मामले में वर्ष 2015 में कैंट और शाहपुर थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। प्रकरण की जांच पूरी करने के लिए दोबारा पुलिस अधिकारियों से शिकायत हुई है। जांच की रफ्तार सुस्त होने की वजह तलाश कर पुलिस अधिकारी कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं।

शाहपुर और कैंट के पते पर बने थे 9 पासपोर्ट

कैंट एरिया के कूड़ाघाट और शाहपुर एरिया में रहने वाले 91 नेपाली नागरिकों ने पासपोर्ट बनवाए थे। पासपोर्ट आवेदन पर पुलिस, एलआईयू की रिपोर्ट लगने पर 60 लोगों को पासपोर्ट जारी किया गया था। इसमें 25 महिलाएं भी शामिल हैं। तब आशंका थी कि मानव तस्करी से जुड़े रैकेट ने फर्जीवाड़ा करके पासपोर्ट बनवा दिया है। 2009 में भारत- नेपाल मैत्री समाज के तत्कालीन अध्यक्ष मोहन लाल गुप्ता (अब दिवंगत) ने मामले की शिकायत करते हुए जांच की मांग उठाई। पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर जांच शुरू हुई तो मामला सही पाया गया। पासपोर्ट बनवाने वाले 36 लोग अपने पते पर नहीं मिले। पास पड़ोस के लोगों ने जांच अधिकारी को बताया कि यहां इस नाम से कोई नहीं रहता है।

25 जुलाई 2015 को दर्ज हुआ था मुकदमा

मामला खुलने से पुलिस और एलआईयू में हड़कंप मच गया। तब बात सामने आई कि रुपए लेकर पासपोर्ट पर आराम से रिपोर्ट लग जाती है। पुलिस कर्मचारियों की गरदन फंसने पर धीरे- धीरे मामला ठंडे बस्ते में चला गया। फिर से इस प्रकरण की शिकायत हुई तो वर्ष 2014 में नए सिरे से पड़ताल शुरू की गई। इस दौरान कैंट में 26 और शाहपुर एरिया में पांच लोगों का फर्जीवाड़ा सामने आया। 15 जुलाई 2015 को कैंट पुलिस ने केस दर्ज किया। जबकि, उसी समय शाहपुर में एक मुकदमा दर्ज कराया गया। नेपाली नागरिकों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करके जालसाजी करने का केस दर्ज किया गया। इसमें 25 महिलाओं को अभियुक्त बनाया गया है। 36 आवेदकों के लोकल पते की पुष्टि करते हुए पुलिस और एलआईयू ने पासपोर्ट जारी करने की संस्तुि1त की थी।

इन महिलाओं को बनाया आरोपित

कल्पना थापा, सीमा राना, मेनका थापा, विमला थापा, रामा गुरुंग, सीमा, गंगा थापा, आशा थापा, कल्पना गुरुंग, माया, रीता सुब्बा, सीमा पुत्री नरेश, कमला, प्रिया गुरुंग, सोनिया गुरुंग, आशा, आरती श्रेष्ठं, प्रीति गुरुंग, हेमा, संतोषी गुरुंग, कुमारी रमा थापा, रूपा लामा, सिंधु रियल, संगीता गुरुंग, सूरज राना और अनिल गुरुंग।

इन पतों से किए गए थे आवेदन

जीआरडी मेन गेट के सामने

दुर्गा भवन, कूड़ाघाट, यादव निवास

चंडी भवन, जगरनाथ भवन

फंसेगी पुलिस कर्मचारियों की गरदन

फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने वाले नेपाली नागरिक नौ साल से लापता हैं। जांच में इनके संबंध में कोई सबूत नहीं मिल सका है। 21 पासपोर्ट का वेरीफिकेशन एलआईयू ऑफिस के अधिकारियों ने किया था। जबकि 2005 से 2009 के बीच थाना कैंट और शाहपुर में प्रभारी रहे चार दारोगाओं के अलावा 10 से अधिक सिपाही जांच में दोषी पाए गए हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई का कोरम भी पूरा हो चुका है। लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई सामने नहीं आई। अलबत्ता, हर बार मामले की जांच के नाम पर खानापूरी करके फाइल क्लोज कर दी जाती है।

आईटीआई में दिया जवाब, नहीं पूरी हुई जांच

भारत-नेपाल मैत्री समाज के वर्तमान अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्त ने 24 अप्रैल को पुलिस अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने मामले की जांच की मांग उठाई। इस प्रकरण में आरटीआई के जवाब में कोई स्पष्ट बात नहीं की गई है। इस प्रकरण की विवेचना प्रचलित होने की बात भी बताई गई है। एसएचओ कैंट की तरफ दिए गए जवाब की कापी डॉक से भेजी गई थी। 28 सितंबर को बने जवाब को तीन अक्टूबर को पोस्ट किया गया था। चार अक्टूबर को डाक विभाग से निकला पत्र 20 अक्टूबर को आवेदक को मिला है।

Posted By: Inextlive