-गोरखपुर में फर्जी लाइसेंस पर असलहा खरीदने से मचा हड़कंप

-डीजीपी के निर्देश पर प्रदेश भर में चलेगा अभियान, शुरू हुई तैयारी

GORAKHPUR:

शहर में फर्जी लाइसेंस के सहारे अवैध असलहों की खरीद-फरोख्त अब असली लाइसेंसधारियों की मुश्किल बढ़ाने वाली है। जिलेभर में ओरिजनल असलहा धारियों की तलाश में जुटी पुलिस एक-एक गोली का हिसाब लेगी। डीजीपी के निर्देश पर पुलिस टीम घर-घर जाकर लोगों के कारतूस का हिसाब-किताब पूछेगी। जिले में करीब 22 हजार लाइसेंसधारी इससे प्रभावित होंगे। गोलियों का हिसाब गड़बड़ होने पर लाइसेंस ऑनर के सामने मुश्किल बढ़ेगी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फर्जीवाड़े की जांच की जा रही है। इसलिए अब हर तरह की गणना पर जोर दिया जा रहा है।

कारतूस का नहीं दिया ब्यौरा तो बढ़ेगी मुश्किल

प्रदेश में बड़े पैमाने पर लाइसेंसी असलहों के दुरुपयोग, कारतूसों के अवैध बिक्री सहित अन्य मामले सामने आए हैं। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि लाइसेंस पर कारतूस खरीदकर बदमाशों को बेच दिया जाता है। इससे अपराधियों के नेटवर्क में तमंचे का नेटवर्क तो टूट रहा, लेकिन गोलियों को लेकर पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही। तमंचों को किसी जगह पर तैयार किया जा सकता है। कारतूस को बना पाना आसान नहीं होता। इसलिए अपराधी अक्सर लाइसेंस रखने वालों से सांठगांठ करके कारतूस ले लेते हैं। या फिर वह लोग शस्त्र लाइसेंस की दुकानों पर जाकर फर्जीवाडृा करते हुए कारतूस पा लेते हैं। हाल के दिनों में गोरखपुर और कानपुर में फर्जी लाइसेंस पर असलहों की बिक्री का मामला भी सामने आया है। इसको देखते हुए प्रदेश भर में कारतूसों का हिसाब किताब लेने का फैसला लिया गया। इस जांच में उन लाइसेंस धारियों की मुश्किल बढ़ेगी जिन्होंने अपने कारतूस का ब्यौरा नहीं रखा है। क्योंकि पुलिस की टीम एक-एक गोली का हिसाब मांगेगी।

यह प्रक्रिया अपनाएगी पुलिस, देना होगा जवाब

-किस कारतूस को कब, कहां फायर किया गया है। उसका विवरण देना होगा।

यदि किसी ने बताया कि आत्मरक्षार्थ में गोली चलाई है तो मुकदमों की फाइल खंगाली जाएगी।

लाइसेंस पर दर्ज कारतूसों का ब्यौरा संबंधित शस्त्र की दुकान से मिलाया जाएगा।

दुकान और लाइसेंस के मिलान में किसी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर दुकानदार भी जिम्मेदार होंगे।

इस तरह होगी श्ास्त्र की जांच

पुलिस लाइन में अभियान चलाकर लाइसेंस पर चढ़े कारतूस, खोखे और बंदूक का मिलान होगा।

इस प्रक्रिया में मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी और आरमोररर की टीम मौजूद रहकर जांच पूरी करेगी।

उन लाइसेंसधारकों की विश्ेाष जांच होगी, जिन्होंने कोई सूचना छिपाकर लाइसेंस हासिल कर लिया।

एनएडीएल की बेवसाइट से जितने लाइसेंस हैं, उन सभी का रिकार्ड खंगाला जाएगा। वेबसाइट से मिलान करेंगे।

प्रतिबंधित बोर के असलहों की जांच के लिए एसडीएम, सीओ और एसओ की टीम काम करेगी।

फैक्ट फाइल

जिले में 22 हजार लाइसेंसधारक हैं।

करीब छह हजार लोगों ने नए लाइसेंस का आवेदन किया है।

जिले में कुल 25 थाना क्षेत्रों के लाइसेंसधारकों की पड़ताल की जाएगी।

फर्जीवाड़ा बना गले की फांस, लाइसेंसधारी हैरान

गोरखपुर में फर्जी तरीके से लाइसेंस बनने के मामले की जांच चल रही है। जिले में 21 हजार 759 लाइसेंस धारकों में सिर्फ 17 हजार का वेरीफिकेशन हो सका है। अन्य लाइसेंसी लापता चल रहे है। उनके नाम-पते के आगे मात्र जीकेपी लिखा होने से पुलिस नहीं पहुंच पा रही। इसलिए सभी का वेरीफिकेशन कराने की प्रक्रिया कराई जाएगी। पूर्व और वर्तमान लाइसेंस बाबूओं से पूछताछ कर कैंट पुलिस सबूत जुटाती रही। अचानक छुट्टी लेकर लापता हुए अशोक गुप्ता के बेटे को पुलिस ने उठाया तो वह शनिवार को थाने पहुंच गए। अशोक की कार और मकान के निर्माण में खर्च हुए धन की जानकारी भी ली जा रही है। जरूरत के अनुसार, असलहा बाबू राम सिंह को बुलाया जा रहा है।

25 थाना क्षेत्रों की जांच करेगी 10 टीम

फर्जी लाइसेंस की जांच के लिए डीएम के आदेश पर 25 थाना क्षेत्रों को 10 टीम में बांटकर जांच की जा रही है। इसके लिए सौ कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी टीमों की तरफ से शस्त्र अभिलेखों ओर यूआईएन नंबर का मिलान किया जा रहा है। शस्त्र दुकान, सीज के लिए रजिस्टर और लाइसेंसी की फोटोकापी से अभिलेखों का मिलान चल रहा है। रविवार को भी जांच प्रक्रिया जारी रही।

वर्जन

फर्जीवाड़ा की जांच जारी है। इसमें पूछताछ के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। जल्द फर्जी लाइसेंस प्रकरण में कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारी कर ली जाएगी।

रोहन प्रमोद बोत्रे, एएसपी-सीओ कैंट

Posted By: Inextlive