आईपीएस का रुतबा और नाज नखरे देख एक रेलवे एंप्लॉई शातिर बन बैठा. ईस्ट सेंट्रल रेलवे में काम करने वाले इस शातिर ने फर्जी आईपीएस बनकर रेलवे अधिकारियों से खूब फायदा उठाया और जमकर उनका इस्तेमाल किया.

- आरपीएफ के हत्थे चढ़ा फर्जी सीबीआई अधिकारी

- ट्रांसफर-पोस्टिंग, रेस्ट हाउस की बुकिंग व टिकट कंफर्म कराने के लिए करता था फोन

- मुख्य सुरक्षा आयुक्त के पास फोन आने पर खुला मामला, 5 माह की जांच के बाद किया गया अरेस्ट

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: आईपीएस का रुतबा और नाज नखरे देख एक रेलवे एंप्लॉई शातिर बन बैठा। ईस्ट सेंट्रल रेलवे में काम करने वाले इस शातिर ने फर्जी आईपीएस बनकर रेलवे अधिकारियों से खूब फायदा उठाया और जमकर उनका इस्तेमाल किया। मगर एनई रेलवे के आईजी आरपीएफ को कॉल करना उसे भारी पड़ा और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की टीम ने फर्जी आईपीएस बनकर रेल अधिकारियों को धमकी देने और फायदा उठाने वाले बर्खास्त रेलकर्मी को मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। पूछताछ में उसने बताया कि उसके रिश्तेदार आईपीएस हैं, जिनका रुतबा उसे पसंद आता था।

आईजी को फोन कर फंसा
फर्जी आईपीएस ने 29 मार्च 2018 को एनई रेलवे के चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर राजाराम के नंबर पर फोन किया। उसने बताया कि वह सीबीआई लखनऊ में तैनात है। गोंडा आरपीएफ इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच करनी है। चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर को उसकी बातों पर संदेह हुआ। मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने गोपनीय तरीके से फोन करने वाले और मोबाइल नंबर आदि की पड़ताल शुरू करा दी। जांच में पता चला कि 96वें बैच में राजीव कुमार या आलोक कुमार नाम का कोई आईपीएस ही नहीं है।

कॉल डीटेल ने और चौंकाया
जब शातिर की कॉल डिटेल निकाली गई तो पता चला कि मोबाइल नंबर 9129028908 और 9695315170 से कभी राजीव कुमार, तो कभी आलोक कुमार के नाम से फर्जी आईपीएस बताकर कॉल करता था। उसने एनई रेलवे के आलाधिकारियों मंडल रेल प्रबंधक, प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, सहायक वाणिज्य प्रबंधक के साथ ही ईस्ट सेंट्रल रेलवे और नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के दर्जनों अधिकारियों को फोन किया। पूछताछ में संबंधित अधिकारियों ने भी स्वीकार किया कि इस नंबर से उनके पास कई बार फोन आ चुके हैं।

दर्ज करा दिया फर्जी मुकदमा
फर्जी आईपीएस का असली नाम प्रेम शंकर सिंह (63) है। वह गांव कचमन थाना अलीनगर, चंदौली उत्तर प्रदेश का निवासी है। जांच टीम ने जब उससे संपर्क करने की कोशिश की तो उसने रेल अधिकारियों को फोन करना बंद कर दिया। साथ ही दो मोबाइल के चोरी होने का मुकदमा दर्ज करा लिया। पांच माह की जांच के बाद जांच टीम में शामिल राजेश कुमार, नरेश कुमार मीना, अंजुलता द्विवेदी, कपिलदेव चौबे, केके राय और कृष्ण गोपाल यादव ने मंगलवार की देर रात कचमन स्थित घर पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

अलग-अलग नाम लेकर करता था फोन
फर्जी आईपीएस बनकर रेल अधिकारियों को धमकी देने वाला बर्खास्त रेलकर्मी काफी शातिर है। वह राजीव कुमार, आलोक कुमार जैसे कई नाम लेकर अपना काम निकलवाता रहा है। खुद को 96वें बैच का आईपीएस बताकर रेल अधिकारियों से ट्रांसफर-पोस्टिंग, रेस्ट हाउसों की बुकिंग और टिकट कंफर्म आदि कराता रहा है।

स्टेशन मास्टर पद से हो चुका है बर्खास्त
रेल अधिकारियों को डराकर अपना कार्य कराने वाला प्रेम शंकर शुरू से ही फर्जीवाड़ा में शामिल रहा है। वह पिता की जगह अनुकंपा के आधार पर ईस्ट सेंट्रल रेलवे के दानापुर मंडल में दरौली स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के पद पर तैनात था। सेवा पुस्तिका में भी फर्जी अभिलेख लगाया था और गलत तरीके से अपनी उम्र भी घटा ली थी। मामला सामने आने के बाद 2003 में रेलवे प्रशासन ने उसे बर्खास्त कर दिया।

 

Posted By: Inextlive