GORAKHPUR : सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था और धुआं उगलते जेनरेटर अब लोगों को कम्युनिटी डिजीज का पेशेंट बना रहे हैैं. व्हीकल्स से निकलने वाली खतरनाक गैसें और हैवी नॉइज के संपर्क में रहने से लोग तेजी से बीमार हो रहे हैं. जिन इलाकों में जाम की प्रॉब्लम अधिक रहती है वहां सांस संबंधी डिजीज के पेशेंट बढ़ रहे हंै तो जहां जेनरेटर का शोर अधिक रहता है वहां सुनने की क्षमता अफेक्टेड हो रही है. फिर चाहे वह तरंग क्रासिंग हो या सूरजकुंड या फिर बेतियाहाता.


घट रही सुनने की क्षमताईएनटी सर्जन डॉ। प्रभु नारायण ने बताया कि ट्रैफिक जाम के साथ जेनरेटर से एयर और नॉइज पॉल्यूशन दोनों फैलता है। इसके अधिक संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम होने के साथ चिड़चिड़ेपन की प्रॉब्लम बढ़ जाती है। बेतियाहाता इलाके में नॉइज पाल्यूशन काफी अधिक है। इससे इलाके में रहने वाले अधिकांश लोगों कीे सुनने की क्षमता धीरे-धीर कम होती जा रही है। इन इलाकों में 6 से 8 घंटे बिताने वाले कर्मचारी भी अमूमन ऊंचा सुनने के साथ साथ चिड़चिड़े हो रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल नंदानगर, गोलघर का भी है। डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल में बेतियाहाता से आने वाले अधिकांश पेशेंट सेम डिजीज के शिकार होते हैं।  बढ़ रही सांस की भी प्रॉब्लम
ट्रैफिक प्रॉब्लम लोगों को सांस संबंधी डिजीज से पीड़ित कर सकता है। सूरजकुंड इलाके में पिछले कई साल से ओवरब्रिज बन रहा है जिसकी वजह से इलाके में हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। कुछ ऐसा ही हाल रेती, घंटाघर, असुरन का भी है जहां जाम और कंस्ट्रक्शन के कारण एरिया में नॉइज और एयर पॉल्यूशन तेजी से फैल रहा है। डॉ। अरुण गर्ग ने बताया कि अगर इलाके के लोग लगातार सल्फर डाई आक्साइड, काबर्न डाई आक्साइड तथा कार्बन मोनो आक्साइड को ऑक्सीजन के साथ लेते रहेंगे तो उनका सीओपीडी, अस्थमा और ब्रोनकाइटिस के पेशेंट बनना तय है.  वहीं चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। वीएन अग्रवाल ने बताया कि जेनरेटर से और जाम में व्हीकल्स से निकलने वाला धुआं काफी नुकसान करता है। उसमें कई कार्बनिक एलीमेंट होते है, जो किडनी को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। लगातार इसके संपर्क में रहने से व्यक्ति दमा का पेशेंट हो जाता है इसके अलावा स्किन डिजीज के पेशेंट भी बढ़ रहे है।

Posted By: Inextlive