- सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की सलाह बगैर ही लोग कर रहे सेवन, ओवरडोज से शरीर को होता नुकसान

GORAKHPUR: शहर के ज्यादातर लोग खुद को डॉक्टर से कम नहीं समझते। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की सलाह बगैर ही यहां हो रही एंटीबायोटिक दवाओं की खपत का आंकड़ा बोल रहा है। शहर की सबसे बड़ी दवा मंडी भलोटिया मार्केट में प्रतिदिन एंटीबायोटिक्स की बिक्री 20 लाख रुपए की है। वहीं, फुटकर दवा दुकानों पर भी सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक्स की ही सेल है। एंटीबायोटिक दवाएं खरीदने वाले ज्यादातर लोगों के पास डॉक्टर्स का प्रिसक्रिप्शन नहीं होता। वहीं, कई अनट्रेंड डॉक्टर्स भी बिना जाने समझे मरीजों को ढेर सारी एंटीबायोटिक दवाएं चला देते हैं। जाो मरीज की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकती हैं।

बिना सलाह न लें दवा

गोरखपुर जिले की आबादी लगभग 52 लाख 84 हजार है। यहां ज्यादातर लोग मामूली बीमारियों में भी खुद ही एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं। वे डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी ही नहीं समझते। तत्काल लाभ के लिए अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स का ये इस्तेमाल शरीर के अंगों के लिए बेहद हानिकारक है। सेल्फ मेडिकेशन से लोगों को बचना चाहिए। एंटीबायोटिक्स दवाइयों का रेंज काफी लंबा होता है। शरीर के अलग-अलग पा‌र्ट्स के लिए इन दवाइयों की उपयोगिता होती है। जिसमें ब्लड इंस्फेक्शन मंटिपल आर्गन इंस्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स होती है। जो सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर्स की देखरेख में ही उपयोगी होता है। हर एंटीबायोटिक्स की प्रॉपर दिन की निश्चित डोज होती है। जैसे चेस्ट, थ्रोट, लिवर और आंख, नाक, कान आदि। इसमें विशेषज्ञ की सलाह बेहद ही जरूरी होती है।

मिसयूज पड़ेगा भारी

आमतौर पर कभी-कभी लोगों को एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती है लेकिन वे इन दवाइयों को सेवन करते हैं जो उनकी सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है। एलर्जी, खांसी, जुखाम, बुखार आदि बीमारियों में एंटीबायोटिक्स दवाएं दी जाती हैं। अमूमन लोग बिना विशेषज्ञ की सलाह के मेडिकल स्टोर्स से दवाएं ले लेते हैं और उसका सेवन करना शुरू कर देते हैं। वह लाभ के लिए अधिक मात्रा में डोज लेते हैं जो उनके लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

मेडिकल स्टोर्स से ज्यादा बिकती हैं ये एंटीबायोटिक्स

- सिपोडाक्स

- सिफेक्सजीम

- एजीथ्रोमाइसीन

- एमिक्साशिन

वर्जन

ज्यादातर लोग नॉर्मल तौर पर खुद ही एंटीबायोटिक्स का सेवन करते हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंस होता है। फ्यूचर में इन दवाइयों की जरूरत पड़ती है तो दवा काम नहीं करती है। अधिक डोज लेने से शरीर के बैक्टिरियां मर जाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। साथ ही आंत और पेट में इंस्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस दशा में हाई एंटीबायोटिक्स डोज देनी पड़ती है जो काफी महंगी होती हैं।

- डॉ। अश्विनी मिश्रा, एचओडी टीबी व चेस्ट विभाग बीआरडी

एंटीबायोटिक्स का चार से पांच दिन का कोर्स होता है लेकिन कभी-कभी बीच में ही दवा छुट जाती है या बिना जानकारी के इसका सेवन करते हैं जिससे रेजिस्टेंस हो जाते हैं। जिससे बीमारी पर दवा कम असर करती है और कारगर नहीं होती है। इससे प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।

- डॉ। संजीव गुप्ता, फिजिशियन

सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की देखरेख में ही इलाज करना चाहिए। बिना किसी के सलाह के दवा लेना नुकसान पहुंचा सकता है। लोगों को अवेयर होने की जरूरत है।

- आलोक चौरसिया, महामंत्री दवा विक्रेता समिति

बिना जानकारी के लोग एंटीबायोटिक्स दवा ले लेते हैं। जिससे उनके शरीर को नुकसान पहुंचता है। डॉक्टर्स से परामर्श लेना जरूरी होता है।

- योगेंद्र नाथ दुबे, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति

Posted By: Inextlive