-लोकसभा का 16वां इलेक्शन, मगर सिटी की मूलभूत समस्या भी नहीं हुई खत्म

-बिजली, पानी, सड़क और जाम से परेशान है गोरखपुराइट्स

GORAKHPUR: 'जिसका मुझे था इंतजार, वो घड़ी आ गई, आ गई.' आज गोरखपुराइट्स यही सोच रहे हैं। वे वोट तो जरूर करेंगे, लेकिन किसको? वे इसी पसोपेश में है। वे यही सोच रहे हैं कि वे अपना वोट बेकार नहींहोने देंगे। वे यही कह रहे हैं कि जो उन्हें सड़क, बिजली, पानी, जाम से राहत, ट्रैफिक सिस्टम देगा, वे वोट उसी को देंगे।

कब बुझेगी यह प्यास

गोरखपुर की आबादी करीब ब्ब् लाख है। नगर निगम एरिया मेंक्क् लाख लोग है। मगर जीएमसी एरिया की आधी आबादी के पास पीने का पानी नहींपहुंचता है। कई ए रिया जो दूषित पानी पीने को अभिशप्त हैं। सिटी को करीब क्ब्भ् एमएलडी पानी की जरूरत है, लेकिन आपूर्ति महज 90 एमएलडी की है। यानी एक व्यक्ति को डेली क्फ्भ् लीटर पानी की जरूरत है, लेकिन मिलता 9फ् लीटर है। क्फ्ख् ट्यूबवेल में से क्0ख् चालू कंडीशन में है तो फ्0 दम तोड़ने के कगार पर हैं। जलकल ने पानी की आपूर्ति के लिए करीब फ्97भ् इंडिया मार्का हैंडपंप लगा रखा है। इसमें से करीब ख्भ्0 खराब है तो करीब भ्00 को रीबोरिंग की जरूरत है।

प्यूरीफायर के सहारे चल रही जिंदगी

पाइप लाइन बिछाते ही पब्लिक से टैक्स वसूलने वाला जलकल को इससे मतलब नहींहै कि पानी घर तक पहुंचा कि नही, पहुंचा है तो पीने लायक है कि नही। पानी की टंकी की सफाई अंतिम बार कब की गई, यह तो कर्मचारियों को भी याद नहींरहता। ऐसे में यह पानी प्यास बुझाएगा या बीमार करेगा, यह समझने के लिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहींहै। सिटी की 70 परसेंट आबादी वाटर प्यूरीफायर के सहारे अपनी प्यास बुझा रही है। सिटी में जलकल के करीब ब्9क्7भ् कनेक्शन होल्डर है। जिसमें म्88ब् घरेलू और ख्ख्9क् अदर। सिटी में करीब क्08म् किमी लंबी पाइप लाइन है, अधिकांश पाइपलाइन पुरानी होने की वजह से कभी चोक हो जाती हैं तो कभी टूट जाती है।

ऐसे कैसे मिलेगी ख्ब् घंटे बिजली?

गोरखपुर को पूर्वाचल की राजधानी बनाने के सपने तो सभी दिखाते हैं, लेकिन जरा सोचिए क्यों कोई राजधानी ऐसी होती है। क्या किसी राजधानी में सिर्फ क्ब् घंटे बिजली आती है। इलेक्शन आते ही नेता अचानक ख्ब् घंटे बिजली देने का वादा करने लगते हैं। आखिर ये ख्ब् घंटे बिजली मिलेगी कैसे? गोरखपुर को 90 लाख यूनिट की जगह सिर्फ म्0 लाख यूनिट बिजली सप्लाई होती है। क्फ्क्7 ट्रांसफार्मर में से ब्00 जर्जर हैं, ख्00 ओवरलोडेड हैं। ऐसे में कैसे मिलेगी ख्ब् घंटे बिजली?

क्यों न जले ट्रांसफॉर्मर?

गोरखपुर की बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। गोरखपुर में क्7 सब-स्टेशन हैं, जिन्हें तीन फीडर में रखा गया है। पहला फीडर बरहुआं है। जिसमें भ् सब-स्टेशन लगे हैं। इस फीडर को करीब 70 एमडब्ल्यूएच बिजली की जरूरत है, मगर सप्लाई सिर्फ भ्0 एमडब्ल्यूएच की हो रही है। ऐसे में लाइट कभी रूटीन कटौती, कभी फॉल्ट तो क भी इमरजेंसी के नाम पर जाती रहती है। ऐसा ही हाल अन्य दो फीडर का भी है। दूसरा फीडर मोहद्दीपुर है। जिसमें क्0 सब-स्टेशन आते हैं। इसे 80 एमडब्ल्यूएच की बिजली की जरूरत है। मगर सप्लाई सिर्फ भ्0 एमडब्ल्यूएच है। तीसरा फीडर फर्टिलाइजर है। इसे ब्0 एमडब्ल्यूएच बिजली की जरूरत है, मगर सप्लाई ख्0 की है।

गढ्ड़ों में सड़क है या

हमारे नेता और प्रतिनिधि गोरखपुर को मेट्रो सिटी की राह पर चला रहे हैं। मगर हकीकत गोरखपुराइट्स से अच्छा कोई नहीं जानता। सिच्ी में जाम हो या कमर दर्द के म रीज, सबका एक ही कारण है खराब और टूटी सड़कें। कहीं पैचिंग से काम चल रहा है तो कहीं सिर्फ गिट्टी भरकर। कई सड़कें तो ऐसी हैं कि उन्हें देख यह पता लगाना भी मुश्किल पड़ जाता है कि सड़क में गड्ढे है या फिर गढ्डों के बीच सड़क बनी है। सिटी में सिर्फ चार ओवरब्रिज है। धर्मशाला, गोरखनाथ, तरंग और चारफाटक ओवरब्रिज। जबकि सिटी को अभी तीन और ओवरब्रिज की जरूरत है। नंदा नगर, नकहा और रुस्तमपुर में ओवरब्रिज की आवश्यकता है।

फ्भ् चौराहे और सिग्नल तीन

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई की बराबरी करने को आतुर गोरखपुर में अभी तक सिग्नल सिस्टम भी पूरी तरह फॉलो नहीं हुआ है। सिटी में करीब फ्भ् चौराहे हैं और ब्7 तिराहे। पुलिस ड्यूटी तो हमेशा लापता रहती है और सिग्नल सिस्टम भी लागू नहीं है। सिटी के सिर्फ दो चौराहे पर सिग्नल सिस्टम फॉलो होता है। बाकी अन्य चौराहे और तिराहे पर सिग्नल न होने के कारण अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। मोहद्दीपुर, असुरन, बेतियाहाता, शास्त्री चौक, एचएन सिंह, खजांची चौराहे पर सिग्नल की बहुत जरूरत है। कई एरिया में पार्किग ठीक न होने से जाम की स्थिति बन जाती है। खासतौर पर गोलघर से लेकर सिटी की डिफरेंट मार्केट में पार्किग की अच्छी व्यवस्था नहीं है।

छिटचुट बारिश भी कर देती है वाटरलॉगिंग

सिटी में हल्की बारिश से भी वाटरलॉगिंग की स्थिति बन जाती है। सिटी में करीब ख्फ्0 किमी नाले हैं। मगर नाले की सही समय पर सफाई न होने से बारिश के सीजन में वाटरलॉगिंग की स्थिति बन जाती है। हालांकि सिटी में करीब भ्भ् किमी लंबी सीवर लाइन पड़ी है, मगर सिल्ट और इनक्रोचमेंट के कारण वाटरलॉगिंग की प्रॉब्लम खत्म होने के बजाए समय देने के साथ बढ़ रही है।

वर्जन

सिटी की सबसे बड़ी प्रॉब्लम सड़क, पानी और बिजली है। आजादी के बाद से अभी तक यह समस्या खत्म होने के बजाए बढ़ती जा रही है। इस बार उस कैंडिडेट को वोट दूंगा, जो हमारे और गोरखपुर के बारे में सोचेगा।

इंजी। राजेश श्रीवास्तव

 

इस बार मैं वोट जरूर डालूंगा। मगर सभी कैंडिडेट के वादों को ध्यान में रख कर। जो गोरखपुर की समस्याओं को खत्म करेगा, उसकी पार्टी को ही वोट देने के लिए बटन दबाउंगा।

चित्रेश कुमार

Posted By: Inextlive