सीबीएसई की नई गाइडलाइन से खुश हुए पेरेंट्स

स्कूली बैग होगा हल्का, प्रबंधन के लिए चुनौती बना फैसला

केस 1

वंदना की 5 साल की बेटी नामी स्कूल में क्लास-1 में पढ़ती है। उसके बैग का वजन तकरीबन 5 किलो है। हालत यह है कि शुक्रवार और शनिवार को अधिक किताबों की वजह से करीब 7 किलो वजन हो जाता है।

केस 2

शुभम का बेटा 10 साल का है। वह क्लास-5 में पढ़ता है। बेटे के स्कूल बैग का वजन करीब 7-8 किलो है। बैग कंधे पर टांगते ही उसकी सांस फूलनी शुरु हो जाती है, जबकि कमर में भी दर्द रहता है।

केस 3

रजनी का बेटा क्लास-2 में पढ़ता है। 7 साल के बेटे के स्कूल बैग का वजन करीब 6-7 किलो है। बैग कंधे पर टांगने की वजह से अक्सर उसकी पीठ में दर्द रहता है।

Meerut। वंदना, शुभम, रजनी सिर्फ उदाहरण भर हैं। जबकि यह स्थिति शहर के तमाम पेरेंट्स की है। हालत यह है कि स्कूल बैग के बोझ से छोटे-छोटे बच्चों के कंधे झुके जा रहे हैं। अभिभावक चिंताग्रस्त हैं। हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी स्कूल बैग के वजन को कम करने की नई गाइडलाइन से पेरेंट्स काफी खुश हैं। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधक बन रहे स्कूल बैग का वजन कम होने की उम्मीद बढ़ी है।

यह है किताबों की स्थिति

क्लास-1

हिंदी- दो किताबें

इंग्लिश- दो किताबें

मैथ्स- एक किताब

ईवीएस-1 किताब

आईसीटी-1 किताब

जीके-1 किताब

मोरल वैल्यू-1 किताब

ड्राइंग- दो किताबें

वर्कबुक- तीन से चार

नोट बुक्स- 8 से 12

स्कूल डायरी- एक

रफकॉपी- एक

क्लास- दूसरी से पांचवीं तक

हिंदी- दो से तीन किताबें

इंग्लिश- दो से चार कताबें

मैथ्स- 1-2 किताब

ईवीएस व साइंस 1-2 किताब

आईसीटी-1 किताब

जीके-1 किताब

मोरल वैल्यू-1 किताब

ड्राइंग- दो किताबें

नोट बुक्स-10-18

स्कूल डायरी- एक

रफकॉपी- एक

बच्चों की झुक रही कमर

किताबों के बोझ से भरे भारी वजन के बस्ते बच्चों के लिए पीठ दर्द, स्पोंडिलाइटिस और मांसपेशियों की समस्याओं की सबसे बड़ी वजह बन रहे हैं। यहीं नहीं नन्हीं सी उम्र में ही गर्दन के दर्द ने बच्चों को दबोच रहा है। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो बच्चों की हड्डियां16 साल की उम्र तक नर्म होती हैं। ऐसे में रीढ़ की हड्डी बोझ सहने लायक नहीं होती। डॉक्टर्स के मुताबिक स्कूल में पढ़ने वाले 60 प्रतिशत बच्चे कमर दर्द और नेक पेन से पीडि़त हैं। जबकि आजकल एक कंधे पर बैग को टांगे रखने का फैशन काफी जोरों पर है। इसकी वजह से वन साइडेड पेन के मामले भी बहुत ज्यादा सामने आ रहे हैं।

क्या होगी बीमारी जरा समझिए

5 से 10 साल की उम्र में अगर 6 से 15 किलो का वजन बच्चा पीठ पर लादता है तो नेक पेन और कमर दर्द की समस्या लगातार बनी रहेगी .तनाव के कारण सिरदर्द होना।

बैलेंस बिगड़ने से गिरने का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से गंभीर चोट लग सकती है।

रीढ़ की ह्ड्डी पर वजन पड़ने से चक्कर, उल्टी आना भी हो सकता है।

16 साल की उम्र के बाद यह समस्या सरवाइकिल, स्पिाइनल प्रॉब्लम्स, स्पोंडिलाइटिस, पोश्चर का बिगड़ना, डिस्क स्लिप जैसी समस्या तेजी से सामने आती हैं।

भारी स्कूल बैग लेकर चलने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। सरवाइकिल और नेक, बैक और बोन पेन के मामले सबसे ज्यादा कंधे पर बोझ की वजह से पैदा हो रहे हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों के खान-पान और एक्सरसाइज पर खास फोकस रखे।

डॉ। उमंग अरोड़ा, बाल रोग विशेषज्ञ

भारी बैग को लगातार कैरी करने की वजह से बच्चों की मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। कंधे पर बोझ लेकर चलने से नेक और बैक बोन पर असर पड़ता है। इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रॉपर नहीं हो पाता, दिमाग में ऑक्सीजन और ब्लड का फ्लो कम हो जाता है और बच्चे में चिड़चिड़ा पन रहने लगता है। ग्रोथ भी कम हो जाती है।

डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट, जिला अस्पताल

इनका है कहना

एक से 5वीं तक के बच्चों का कोर्स पहले ही काफी कम है। स्कूलों में अब ज्यादा लर्निग एंड एक्टिविटीज कांसेप्ट पर फोकस किया जाता है, लेकिन सीबीएसई की ओर से कोई गाइडलाइन आती है तो उसे जरूर फॉलो किया जाएगा।

राहुल केसरवानी, सहोदय अध्यक्ष

हमारी कोशिश है कि बच्चों का स्कूल बैग का वेट कम से कम हो। क्लास 1 टू 5 में सिर्फ जरूरी किताबें ही रखी गई हैं। कई बार बच्चे पूरा सिलेबस लेकर आ जाते हैं, जिसकी वजह से भी स्कूल बैग का वेट बढ़ जाता है।

चंद्रलेखा, प्रिंसिपल, सेंट जोंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल

बच्चे के स्कूल का बैग पहली क्लास से ही बहुत ज्यादा होता है। इसके अलावा सिलेबस भी बहुत होता है। इस फैसले के बाद हमें उम्मीद हैं कि बच्चों का बस्ता हल्का हो जाएगा।

अंजलि

आजकल 5-6 साल के बच्चे 10-10 किलो का बैग लेकर स्कूल जाते हैं। यह बिल्कुल गलत है। सरकार का फैसला काफी अच्छा है। इससे कुछ राहत जरूर मिलेगी।

प्रीति

यह है नई गाइडलाइन

नई गाइडलाइन के मुताबिक चिल्ड्रन स्कूल बैग एक्ट, 2006 के अनुसार स्कूल बैग का वजन छात्रों के वजन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

कक्षा पहली और दूसरी के छात्रों के लिए स्कूल बैग का वजन 1.5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।

कक्षा तीसरी, चौथी और पांचवीं के छात्रों की करें तो स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलो के बीच का होना चाहिए।

कक्षा छठी और सातवीं के स्कूल बैग का वजन 4 किलो तक होना चाहिए।

कक्षा आठवीं और नवीं के छात्रों के लिए स्कूल बैग का वजन 4.5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।

दसवीं के छात्रों का वजन पांच किलो होना चाहिए।

Posted By: Inextlive