कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस पर्व को सबसे ज्यादा श्रीकृष्ण की जन्मभूमि और लीलाभूमि यानी मथुरा काशी गोकुल वृंदावन में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व मंगलवार 29 अक्टूबर 2019 को पड़ रहा है।


कानपुर। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इसे मनाने से घर में सुख व समृद्धि आती है। यह पर्व विशेष तौर पर गायों से जोड़कर देखा जाता है। इसकी पौराणिक कथा भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। जो स्वयं गोपाल या गोपालक कहकर भी पुकारे जाते हैं। आइए जानते हैं कि इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा व इसे दीपावली के अगले दिन मनाने के पीछे क्या कारण है।गोवर्धन पूजा कथा
कहते हैं कि एक समय ब्रज भूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने मां यशोदा व ब्रजवासियों को किसी पूजा की तैयारी करते हुए देखा। उन्होंने मां से प्रश्न किया कि यह किसकी पूजा की तैयारी हो रही है। तब मां यशोदा ने उन्हें बताया कि यह वर्षा के देवता इंद्र की पूजा की तैयारी हो रही है। वर्षा से ही खेतों को पानी मिलता व अन्न उपजता है, साथ ही गायों के लिए चारा भी मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारी गायें तो गोवर्धन पर्वत पर घास चरने जाती हैं तो हम उनकी पूजा क्यों नहीं करते हैं। इंद्र तो हमें कभी दर्शन भी नहीं देते हैं जबकि गोवर्धन तो साक्षात हैं। इसके बाद ब्रजवासियों ने इंद्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा की। इससे नाराज इंद्र ने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। चारों तरफ पानी ही पानी हो गया, अब ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण से रक्षा करने को कहा। तब भगवान ने अपनी कनिष्ठिका उंगली पर गिरिराज गोवर्धन को उठा लिया व सभी ब्रजवासी अपनी गायों के साथ उसकी शरण ली। इस बात से इंद्र देव और भी कुपित हो गए, उन्होंने वर्षा और तेज कर दी। सात दिनों तक लगातार मूसलाधार बारिश होती रही। अंत में इंद्र को हार माननी पड़ी व उनका अहंकार चूर हुआ। इसी के बाद से गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाने लगा। तभी से इस दिन गोवर्धन व गायों की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं।  

Govardhan Puja 2019: इस समय शुभ मुहूर्त में ऐसे करें गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त व समय

Posted By: Shweta Mishra