Govardhan Puja 2022 : दिवाली उत्सव का चाैथा दिन गोवर्धन पूजा अन्नकूट पूजा के रूप में मनाया जाता है। आइए जानें इस दिन का महत्व और पूजन विधि के बारे में...

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Govardhan Puja 2022 : गोवर्धन पूजा का दिन दिवाली पूजा के अगले दिन होता है इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देवता को पराजित किये जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। अन्नकूट के दिन गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और हरी सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का आयोजन है। इस दिन प्रातः गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है। इसके बाद शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। गोवर्धन की पूजा में धूप,दीप,नैवेद्य,जल,फल,फूल,खील,बताशे आदि शामिल होते हैं। पूजन के अंत में गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं।

गोवर्धन पूजन में लगाई जाती है परिक्रमा
परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व खील(जौ) आदि लेकर चलते हैं।जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराते हुए तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं। गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाये जाते हैं।इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है फिर इसमें दूध,दही,गंगाजल,शहद,बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिये जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं।

विश्वकर्मा का पूजन भी इस दिन होता है
अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है, यदि प्रतिपदा में द्वितिया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रातः तेल मलकर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन संध्याकाल में दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। इस दिन भगवान कारीगर भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। भगवान विश्वकर्मा का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। इस दिन दोपहर के समय पूजन किया जाता है।

Posted By: Shweta Mishra