टीबी मरीज बच्चों के 'संरक्षक' बने अधिकारी
340 टीबी मरीज बच्चों के सारथी बनेंगे अधिकारी
अलग-अलग विभागों के अधिकारियों ने लिया गोद केस-1 हेल्थ विभाग ने लिया गोद रेशमा (काल्पनिक नाम) 8 साल की है। उसे टीबी की बीमारी है। गरीब होने की वजह से उसके पिता दवाइयों और पोषण आहार का खर्च नहीं उठा पा रहे थे। अब इस बच्ची की परवरिश हैल्थ विभाग के अधिकारी करेंगे। केस-2 रेड क्रॉस सोसाइटी ने की पहल 10 साल की सुमन (काल्पनिक नाम)को भी टीबी की बीमारी है। उसके घरवाले भी उसके पोषणाहार का खर्च वहन नहीं कर पा रहे थे। सुमन का खर्च अब रेड क्रास सोसाइटी उठाएगी।Meerut। रेशमा और सुमन टीबी की बीमारी से जूझ रहे मात्र दो नाम है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की पहल से मेरठ के ऐसे ही 340 बच्चों को संजीवनी का वरदान मिल चुका है। इन बच्चों के पालन-पोषण का खर्च शहर के अलग-अलग विभाग के अधिकारी और सोसाइटी उठाएगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। विभागाधिकारियों के अनुसार गोद लेने वाले अधिकारी और एनजीओ हर महीने इनको पोषणाहार प्रदान करेंगी।
हर महीने मिलेगा तय आहारबच्चों को पोषण के लिए हर महीने तय आहार दिया जाएगा। इसके लिए विभाग ने सभी के लिए एक जैसा मेन्यू तैयार किया है। इसमें 1.5 किलो मूंग हरी दाल, 1 किलो चावल, आधा किलो सोयाबीन बड़ी, आधा किलो मूंगफली दाना, मखाने, ड्राइफ्रूट्स आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अगर कोई सदस्य अपनी इच्छा से बच्चों के लिए कुछ और सहायता करना चाहता है तो वह भी कर सकता है। इससे जहां बच्चों का मनोबल बढ़ेगा वहीं उनके स्वास्थ्य में भी जल्द सुधार होगा।
संस्थाएं रखेंगी ख्याल टीबी से पीडि़त इन बच्चों को सरकारी अस्पताल से फ्री इलाज दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें हर महीने 500 रुपये पोषण भत्ता भी दिया जाता रहेगा। जबकि बच्चों को गोद लेने वाले सरकारी विभाग और संस्थाएं बच्चों का पूरा ख्याल रखेंगी। बच्चे का उपचार नियमित चल रहा है या नहीं इस पर भी पूरा ध्यान देंगी। गोद लेने वाले अधिकारी और संस्थाएं बच्चों का इलाज पूरे होना तक इनकी देखभाल करेंगी। इन्होंने लिया गोद हेल्थ विभाग- 33 बच्चे पुलिस विभाग- 17 बच्चे बीडीओ- 12 बच्चे सीडीपीओ- 10 बच्चे विकास भवन- 19 बच्चे कलेक्ट्रेट- 15 बच्चे मंडल-डिस्ट्रिक्ट लेवल ऑफिसर- 49 बच्चे सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी- 93 बच्चे रेड क्रॉस सोसाइटी- 20 बच्चे रोट्रेरी इंटरनेशनल- 20 बच्चेअन्य संस्थाएं- 52 बच्चे
टीबी पीडि़त 18 साल तक के बच्चों को अलग-अलग सरकारी विभागों और संस्थाओं ने गोद लिया है। इन बच्चों के पोषणाहार की जिम्मेदारी इनकी ही होगी। इससे जहां बच्चों को दवाइयों के साथ डाइट भी मिल सकेगी। वहीं इनका मनोबल भी बढ़ेगा। डॉ। एमएस फौजदार, जिला टीबी अधिकारी