सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि वे जानबूझकर लोन न चुकाने वालों को बदनाम करें। तस्‍वीरों के साथ उनके नामों को सार्वजनिक करें। सरकार ने निर्देश दिया है कि कर्ज न चुकाने वालों को शर्मसार करने के लिए वे बोर्ड से अनुमति ले। 2017 तक विलफुल डिफाल्‍टर्स 9063 हो चुकी है। ये ऐसे लोग हैं जिनके पास क्षमता होने के बावजूद वे बैंकों से लिया कर्ज नहीं चुका रहे हैं।


तस्वीर छापने को लेकर स्पष्ट होंगे मानदंडसरकार ने कर्ज लेकर जानबूझकर नहीं लौटाने वालों पर शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय ने बैंकों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है कि वे बैंक के निदेशक मंडल से अनुमति लेकर कर्ज लेकर जानबूझकर नहीं चुकाने वालों के नाम तस्वीर के साथ सार्वजनिक करें। जानकारों का कहना है कि सरकार के निर्देश के बाद बैंक अपने निदेशक मंडल यानी बोर्ड की मंजूरी से विलफुल डिफाल्टर्स को शर्मसार करने के लिए एक नीति और मानदंड तैयार करेगी।वित्त राज्य मंत्री ने कहा 9063 डिफाल्टर
संसद में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि 2017 तक क्षमता होने के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कर्ज लेकर न लौटाने वाले विलफुल डिफाल्टरों की संख्या 9063 तक पहुंच चुकी है। वे लोकसभा में एक प्रश्न का लिखित में जवाब दे रहे थे। सार्वजनिक क्षेत्र में फंसे बैंकों की ऐसी कुल राशि 1.10 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने के लिए सरकार ने बैंकों से ऐसे लोगों के पासपोर्ट की डिटेल लेने का निर्देश दिया था।देश छोड़कर भाग चुके हैं कई डिफाल्टर


हीरा कारोबारी नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, शराब कारोबारी विजय माल्या और जतिन मेहता सहित कई बड़े विलफुल डिफाल्टर देश छोड़कर फरार हो चुके हैं। जांच एजेंसियां या तो इन तक पहुंच नहीं सकी हैं या फिर इन्होंने जांच एजेंसियों से सहयोग करने से साफ इनकार कर दिया है। नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने तो यहां तक कह दिया है कि वे लोन की रकम चुकता नहीं करेंगे क्योंकि जांच एजेंसियों के छापे से उनके कारोबार को नुकसान पहुंचा है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh