- बहुमत में आई बीजेपी सरकार के गाइडलाइन का अधिकारियों को इंतजार

- सपा सरकार में संचालित दर्जन भर योजनाओं के लाभ पर मंडरा रहा संकट

>BAREILLY: सूबे में बीजेपी की बहुमत की सरकार समेत समाजवादी योजनाओं के लाभ पर ग्रहण लगने की चर्चा तेज हो गई है। अधिकारी भी योजनाओं के संचालन को लेकर असमंजस में हैं। आवेदकों को नई गाइडलाइन जारी होने के बाद आवेदन की सलाह दे रहे हैं। उनके मुताबिक योजनाओं में परिवर्तन होने की संभावनाएं हैं। ऐसा हुआ तो समाजवादी योजना के करीब एक लाख व अन्य योजनाओं का लाभ ले रहे लाखों लाभार्थियों को नए सिरे से आवेदन करना होगा।

वर्ष 2012 में हुइर् थी समस्या

प्रदेश में वर्ष 2012 में बसपा का शासन खत्म होने के बाद योजनाओं के नामकरण का सिलसिला शुरू हुआ। बसपा सुप्रीमो ने महामाया पेंशन योजना शुरू की थी। जिसके करीब 55 हजार लाभार्थी जिले में थे। सत्ता परिवर्तन के बाद अखिलेश सरकार ने बसपा सरकार की योजनाओं को सपाई रंग में ढाल दिया। इस योजना को समाजवादी पेंशन योजना में परिवर्तित कर दिया गया। इससे लाभार्थियों को करीब दो वर्ष तक लाभ नहीं मिला। आए दिन समाज कल्याण विभाग में हंगामा और घेराव का सिलसिला चला। प्रचार प्रसार होने के बाद अभी करीब एक लाभ लोगों को समाजवादी योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

योजनाएं जिनपर ढेढ़ी नजर

सरकार बदलने के बाद सपा सरकार द्वारा चलाई गई करीब दर्जन भर योजनाओं में परिवर्तन की संभावना है। इसमें योजना समाजवादी आवास योजना, समाजवादी स्वास्थ्य सेवा, साइकिल वितरण, कन्या विद्याधन योजना, मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष, समाजवादी वृद्धावस्था पेंशन, समाजवादी पेंशन, लोहिया आवास, समाजवादी कामधेनु योजना, ई-रिक्शा, समजावादी किसान एंव सर्वहित बीमा योजना, लैपटॉप वितरण, स्मार्टफोन वितरण, जैसी कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर ब्रेक लगने की संभावना है। इससे जहां समाजवादी रंग को प्रदेश से हटाने की कवायद होगी तो दूसरी ओर भगवा रंग छाने की संभावना है।

सत्ता परिवर्तन के बाद शासन स्तर से जारी निर्देश फॉलो किए जाएंगे। कई योजनाओं के नाम बदले जाने अथवा उनके बंद किए जाने की संभावना है।

एसके राय, समाज कल्याण अधिकारी

Posted By: Inextlive