भारत सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर के मसले पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के बयान को देशहित के लिए नुकसानदेह बताते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है.


समाचार पत्र ''द हिन्दू'' की रिपोर्ट के मुताबिक़ अधिकारियों ने कहा है कि तथ्यों की जांच के बाद कार्रवाई के बारे में फैसला किया जाएगा.अमरीका यात्रा पर जा रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ विमान में मौजूद पत्रकारों से एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''अगर किसी ने कुछ गलत किया है, जैसा कि जनरल वीके सिंह ने स्वीकार किया है, तो कार्रवाई करने की जरूरत है. लेकिन हमें यह जांच करनी होगी कि ऐसा किया गया या नहीं. हम उनकी बातों को स्वीकार नहीं कर सकते और उस आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकते.''अखबार के मुताबिक सैन्य जांच बोर्ड ने उन जवानों के ऐसे ही दावे रिकार्ड किए हैं जो टेक्निकल सर्विस डिवीजन के हिस्सा थे, लेकिन जिस राजनेता की पहचान की गई है उन्होंने पैसा लेने से इनकार किया है.


अधिकारी ने कहा, ''सेना ने इन दावों की रिकॉर्डिंग की है लेकिन इसकी जांच नहीं की है.''

उन्होंने एक सवाल पर कहा कि अगर यह सही है तो यह पूरी तरह से गलत है. सेना का काम नेताओं को पैसा देना नहीं है.

अधिकारियों ने कहा कि राजनीति में सेना की भागीदारी के बारे में  पाकिस्तान के किसी भी सवाल का जबाव यह कह कर दिया जाएगा कि सरकार इन दावों की जांच कर रही है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया है कि पूर्व सेना प्रमुख के दावों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के पक्ष को नुकसान पहुंचेगा.राज्य की राजनीति गरमाईइस बीच  जनरल सिंह के बयानों से भारत प्रशासित जम्मू एवं कश्मीर की राजनीति गरमा गई है.बयान पर राज्य के मुख्यमंत्री  उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि इससे भारत का समर्थन करने वाले नेताओं की छवि खराब हुई है, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इस बयान को खारिज भी नहीं किया जा सकता. इसकी जांच की जरूरत हैं. पहले से ही अलगाववादी आरोप लगाते रहे हैं कि ये सरकार के एजेंट हैं. अब जनरल सिंह ने दावा किया है कि मंत्रियों को जो पैसे दिए गए उससे उन्होंने राज्य में पंचायत चुनाव कराने में केंद्र सरकार की मदद की.विपक्ष को मिला मुद्दाइन सारी स्थितियों के देखते हुए राज्य का राजनीतिक माहौल गरमा गया है. विपक्ष के हाथ एक बड़ा मुद्दा लग गया है. विपक्ष की नेता महबूबा मुफ्ती ने भी कहा है कि उमर अब्दुल्ला इन स्थितियों से अपना दामन नहीं झाड़ सकते. वो न केवल मुख्यमंत्री हैं बल्कि यूनिफाइड कमांड के प्रमुख भी हैं.
इसमें इस तरह के रणनीतिक फैसले लिए जाने से पहले मुख्यमंत्री को विश्वास में लिया जाता है.ऐसे में 30 सितंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार को घेरे जाने की संभावना है. हालांकि राज्य सरकार अपना दामन बचाने की कोशिश कर रही है.सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस इसकी केंद्र के स्तर पर जांच की बात कर रही हैं वहीं सहयोगी दल कांग्रेस के मंत्री वी. के. सिंह को निशाना बना रहे हैं.उनका कहना है कि सेना एक बहुत बड़ी संस्था है और इस बयान से इसे बदनाम करने की कोशिश की गई है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh