2011-12 राजकोषीय घाटा 1 हजार 757 करोड़ रुपये था।

2015-16 में 6 हजार 125 करोड़ रुपये हुआ

DEHRADUN:

इकोनॉमिक ग्रोथ के तमाम दावों के बावजूद उत्तराखंड का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात ये है कि पिछले 5 सालों में राजकोषीय घाटा करीब 6 गुना बढ़ गया है। भारत के कंट्रोलर एवं ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैगग) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

कब कितना राजकोषीय घाटा

कैग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड को राजकोषीय घाटा वर्ष ख्0क्क्-क्ख् में क् हजार 7भ्7 करोड़ रुपये था। यह एफआरबीएम एक्ट में निर्धारित लक्ष्य से ब् प्रतिशत कम था। वर्ष ख्0क्ख्-क्फ् में राजकोषीय घाटे में कुछ कमी रही और यह क् हजार म्00 करोड़ रुपये रहा। वर्ष ख्0क्फ्-क्ब् में राजकोषीय घाटा बढ़कर ख् हजार म्भ्0 करोड़ रुपये हो गया और वर्ष ख्0क्ब्-क्भ् में राजकोषीय घाटा बड़े उछाल के साथ भ् हजार 8ख्म् करोड़ रुपये तक जा पहुंचा, जबकि वित्त ख्0क्भ्-क्म् में म् हजार क्ख्भ् करोड़ रुपये जा पहुंचा। इस तरह साल दर साल राज्य के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी दर्ज की गई और भ् साल में यह करीब म् गुना बढ़ गया।

प्राथमिक घाटा भी बढ़ा

कैग के अनुसार इन वर्षो में राज्य के प्राथमिक घाटे में भी बढ़ोतरी हुई। वर्ष ख्0क्क्-क्ख् में प्राथमिक घाटा धनात्मक था, जो क्ख् करोड़ रुपये आंका गया। अगले वर्ष यह प्राथमिक घाटा फिर धनात्मक रहा और ब्89 करोड़ रुपये, यानी इन वर्षो में लाभ की स्थिति रही। लेकिन वर्ष ख्0क्फ्-क्ब् में यह माइनस होकर भ्9ब् करोड़ रुपये नीचे आ गया। वर्ष ख्0क्ब्-क्भ् में इसमें जबरदस्त कमी आई और घाटा फ् हजार ब्ख्0 करोड़ हो गया। वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में यह फ् हजार क्भ्ब् करोड़ रहा।

राजस्व घाटे में भी उछाल

यही हालत राज्य के राजस्व घाटे की भी रही। वर्ष ख्0क्फ्-क्ब् तक राजस्व घाटा धनात्मक रहा, यानी लाभ की स्थिति में रहा, लेकिन ख्0क्ब्-क्भ् और ख्0क्भ्-क्म् में इसमें कमी दर्ज की गई।

घाटे की स्थिति एक नजर में

घाटा करोड़ रुपये में

वर्ष राजकोषीय घाटा राजस्व घाटा प्राथमिक घाटा

ख्0क्क्-क्ख् -क्,7भ्7 7क्म् क्ख्

ख्0क्ख्-क्फ् -क्,म्00 क्,787 ब्89

ख्0क्फ्-क्ब् -ख्,म्भ्0 क्,क्0भ् -भ्9ब्

ख्0क्ब्-क्भ् -भ्,8ख्म् -9क्7 -फ्,ब्ख्0

ख्0क्भ्-क्म् -ब्,क्ख्भ् -क्8भ्ख् - फ्क्भ्ब्

क्या है राजकोषीय घाटा

किसी एक वित्त वर्ष के दौरान सरकार को विभिन्न मदों में होने वाली इनकम और सरकार द्वारा किये जाने वाले खर्च के अन्तर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसमें राजस्व घाटा और प्रारंभिक घाटा भी शामिल किया जाता है। यदि सरकार की इनकम सरकार द्वारा किये गये खर्च से अधिक हो तो राजकोषीय घाटा प्लस में होता है और इनकम कम व खर्च अधिक हो तो इसे माइनस में दर्शाया जाता है। राजकोषीय घाटा प्लस अथवा माइनस में होने से पता चलता है कि सरकार कि फाइनेंस मैनेजमेंट अच्छा है या खराब।

नियमों का किया उल्लंघन

कैग की रिपोर्ट कहती है कि राज्य सरकार ने लेखा नियमों के विरुद्ध में कई बार खर्च किया है। उदाहरण स्वरूप वर्ष ख्0क्भ्-क्म् के दौरान राज्य सरकार ने पूंजीगत संपत्तियों के निर्माण के लिए दिये गये भ्ब्.8क् करोड़ रुपये को सहायता अनुदान में खर्च किया। इसके अलावा क्,क्88 करोड़ रुपये वृहत निर्माण कार्यो के धन को राजस्व में, ख्.ख्क् करोड़ रुपये के मरम्मत कार्य के पूंजीगत खंड में और ब्.फ्फ् करोड़ रुपये के लघु निर्माण कार्यो को पूंजीगत खंड में खर्च किया, जो कि लेखा नियमों का उल्लंघन है।

Posted By: Inextlive