आसान नहीें है 'कायाकल्प' अॅवार्ड हथियाना
बेली हॉस्पिटल का दो दिनी दौरा पूरा कर वापस लौटी कायाकल्प की टीम
कहीं मजबूत तो कहीं कमजोर साबित हुए कर्मचारी PRAYAGRAJ: कायाकल्प अवार्ड पाना बेली हॉस्पिटल के लिए आसान नही होगा। दो दिनी निरीक्षण करने आई टीम ने शनिवार को कर्मचारियों का इंटरव्यू लिया। टीम द्वारा पूछे गए कई सवालों का जवाब सही रहा तो कई जगहों पर कर्मचारी उचित उत्तर नहीं दे सके। टीम के सदस्यों ने बताया कि एक माह बाद रिजल्ट आएगा। प्रदेश के तमाम हॉस्पिटल्स को उनकी सेवा और गुणवत्ता के लिए सम्मानित किया जाएगा। दो प्वाइंट्स पर अटक गए कर्मचारीतीन सदस्यीय टीम ने शनिवार को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का इंटरव्यू लिया। उनसे इंफेक्शन कंट्रोल और साफ सफाई के बारे में कई सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि एचआईवी और फ्लू के मरीजों से होने वाले संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है। निरीक्षण के दौरान साफ सफाई व्यवस्था साधारण पाई गई। सैनिटेशन के मामले में बायो वेस्ट मैनेजमेंट से टीम थोड़ा असंतुष्ट नजर आई। मेंबर्स का कहना था कि जैविक कचरे को सिस्टमेटिक ढंग से रखा जाता है। जिसका हॉस्पिटल में अभाव नजर आया।
50 लाख है फर्स्ट प्राइज कायाकल्प प्रदेश लेवल का प्राइज है। यह हॉस्पिटल्स के बीच कराया जाता है।इसमें हॉस्पिटल मैनेजमेंट के तमाम पहलुओं को 350 अलग-अलग क्राइटेरिया पर चेक किया जाता है।
कायाकल्प में पहला प्राइज 50 लाख रुपए का है। दूसरा 15 और तीसरा प्राइज 10 लाख रुपए है। जिन हॉस्पिटल्स के प्वाइंट्स 70 प्रतिशत से अधिक होते हैं उनको सालाना तीन लाख रुपए दिया जायेगा इसमें प्रदेश के 75 जिलों के सभी सरकारी हॉस्पिटल्स का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसके पहले 2016-17 में बेली हॉस्टिल को कायाकल्प अवार्ड में 10वां नंबर हासिल हुआ था। उस समय डॉ। वीके सिंह सीएमएस थे। काल्विन में आने वाली है टीम कायाकल्प का अगला निरीक्षण शहर में काल्विन हॉस्पिटल में होना है। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ। वीके सिंह ने बताया कि प्रत्येक पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है। इसी साल हॉस्पिटल को नेशनल लेवल का इन्क्वास एवार्ड मिला है। यह काफी बड़ी उपलब्धि थी। इसी कारण से कायाकल्प में भी काल्विन हॉस्पिटल को इस साल तगड़ा दावेदार माना जा रहा है।