रेल यात्रि‍यों के ल‍िए एक बड़ी खबर है। वर्तमान सरकार रेलवे टिकट से सब्सिडी खत्‍म करने की तैयारी कर रही है। एलपीजी सिलेंडर पर सब्‍स‍िडी के ल‍िए चलाए गए गिव इट अप कैम्पेन के बाद अब सरकार रेल ट‍िकट पर यात्रियों से सब्सिडी छोड़वाना चाहती है। हालांक‍ि इसकी वजह हर साल सब्सिडी से होने वाला घाटा है। आइए जानें सरकार रेल किराए पर हर साल कितना रुपया खर्च करती है...

किराया दोगुना हो सकता
भारतीय रेलवे आने वाले दिनों में रेल यात्रियों के लिए एक बड़ी योजना लाने वाली है। रेलवे अब टिकट से सब्सिडी खत्म करने की तैयारी कर रही है। इस दौरान यात्रियों के सामने अब दो विकल्प स्लैब होंगे। जिनमें यात्री अपने मन मुताबिक 50% या फिर पूरी 100% सब्सिडी को छोड़ने का विकल्प चुन सकेंगे। सब्सिडी छोड़ने का विकल्प ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो जगहों पर रहेगा। जिस पर यात्री क्लिक करके अपना ऑप्शन आसानी से चुन सकेंगे। ऐसे में जब यह स्कीम लागू होगी और सब्सिडी छोड़ने के बाद यात्रा किराया करीब दोगुना हो सकता है।
सब्सिडी छोड़ने के बाद
इसका सबसे ज्यादा असर राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों में डायनामिक व फ्लैक्सी फेयर में पड़ेगा। सुपरफास्ट ट्रेनों में सब्िसडी और नॉन सब्सिडी किराए का उदाहरण कुछ ऐसा हो सकता है। जैसे अगर यात्री थर्ड एसी में टिकट में दिल्ली से गोल्डन टेम्पल एक्सप्रेस में सफर करते हैं। इस दौरान अगर वह सब्सिडी छोड़ते हैं तो उन्हें लगभग 2,750 रुपये का किराया चुकाना होगा। जब कि सब्सिडी लेने के बाद यह किराया लगभग 1,570 रुपये होता है। वहीं सेकेंड एसी टिकट में उसी ट्रेन में 2,750 रुपये की जगह यह किराया करीब 3,990 रुपये होगा।
काफी घाटा उठाना पड़ता
भारतीय रेलवे की इस योजना को लेकर जहां एक ओर यह कहा जा रहा है कि रेलवे यात्रियों पर कई तरह के बोझ बढ़ा रही है। वहीं दूसरी तरफ इसके पीछे रेलवे के नुकसान को रोकने का प्रयास कहा जा रहा है। भारतीय रेलवे को हर साल सब्सिडी स्कीम से काफी घाटा उठाना पड़ता है। रेलवे हर साल यात्रा का 43% खर्चा खुद उठाती है। यात्री किराए से वह सिर्फ 57% ही वसूल पाती है। जिसके चलते उसे हर साल करीब 30 हजार करोड़ का घाटा उठाना पड़ता है। ऐसे में अब सरकार इस दिशा में सुधार करने की तैयारी में हैं।
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Posted By: Shweta Mishra