ह्मड्डठ्ठष्द्धद्ब : सरकारी डॉक्टर ड्यूटी आवर में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। ड्यटी आवर से पहले तथा इसके बाद वे प्राइवेट प्रैक्टिस करने को स्वतंत्र होंगे। इसके लिए भी राज्य सरकार ने कुछ नियम तय किए हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ही डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार किया है। विभागीय मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी से स्वीकृति लेकर इसे शीघ्र लागू करने की तैयारी चल रही है।

दूसरों जिलें इजाजत नहीं

प्रस्ताव के अनुसार सरकारी डॉक्टर दूसरे जिलों या राज्यों में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। जिस जिले में उनका पदस्थापन है, वहीं प्राइवेट प्रैक्टिस करने की छूट रहेगी। इसके अलावा डॉक्टर अपने सरकारी आवास या अस्पताल के बगल में भी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। इस निमित्त ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग दूरी तय की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दूरी 500 मीटर तथा शहरी क्षेत्रों में 250 मीटर है। इस नियम का उल्लंघन करने पर डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों पर लागू नहीं

यह नियम मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने की छूट नहीं है। उन्हें इसी कारण नन प्रैक्टिसिंग अलावेंस (एनपीए) दिया जाता है। यह अलावेंस अन्य सरकारी डॉक्टरों को नहीं मिलता। उल्लेखनीय है कि डॉक्टरों के दूसरे जिलों में प्राइवेट प्रैक्टिस करने की हमेशा शिकायत विभाग को मिलती रहती है। इससे डॉक्टरों की अनधिकृत अनुपस्थिति काफी बढ़ती है। इसे रोकने के लिए यह नियम लागू किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में अनधिकृत अनुपस्थिति के दर्जनों मामले चल रहे हैं। ऐसे मामलों में कई डॉक्टरों पर कार्रवाई भी हुई है।

डॉक्टरों की कमी भी है वजह

राज्य सरकार डॉक्टरों की कमी को देखते हुए भी उन्हें सशर्त प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट देने जा रही है। कहा जाता है कि डॉक्टर सरकारी सेवा में जाने के बजाय प्राइवेट प्रैक्टिस को अधिक तवज्जो देते हैं। इसी कारण सरकारी पद रिक्त रह जाते हैं।

Posted By: Inextlive