सीएम ने की पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर बैठक। कहा दो बेटियां होने पर सम्मानित किये जाएंगे पैरेंट्स...

DEHRADUN: पीसीपीएनडीडी एक्ट का कड़ाई से पालन हो और सीएमओ के जरिए सभी जिलों से अल्ट्रासाउंड मशीनों की सूची मांगी जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि हर अल्ट्रासाउंड मशीन पर जीपीएस ट्रेकर लगा हो। अल्ट्रासाउंड मशीनों व अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। ये निर्देश सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंडे को सचिवालय में पीसीपीएनडीटी बोर्ड की बैठक में दिये।

पब्लिक अवेयर पर जोर
सीएम ने कहा कि अल्ट्रासाउंड मैन्यूफेक्चर व सप्लायर दोनों फर्मो का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य किया जाए। डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी द्वारा समय-समय पर अल्ट्रासांउट सेंटर्स का विजिट हो। सीएम ने कहा कि यदि कोई अवैध इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) सेंटर चल रहे हैं, तो औचक निरीक्षण कर उनको सीज किया जाए। सीएम ने सचिवालय में गर्भावस्था पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीसीपीएनडीडी एक्ट) राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक के दौरान कहा कि प्रदेश में सेक्स रेशियो में समानता लाने के लिये प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण पर प्रभावी रोक लगाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इस बारे में सभी संबंधित अधिकारी अपने जिम्मेदारी समझें। उन्होंने इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सभी डीएम को भी कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

ये निर्देश भी दिये

-राज्य में बाल लिंगानुपात में वृद्धि करने के लिए हर संभव प्रयास हों।

-बच्चों के बर्थ रजिस्ट्रेशन के लिए सुदृढ़ व्यवस्था हो।

-सुनिश्चित हो कि इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी में 48 घंटे के भीतर रजिस्ट्रेशन जरूरी।

-जबकि नगर पालिका व पंचायत क्षेत्रों में 21 दिन के भीतर जन्म रजिस्ट्रेशन जरूरी।

-ऐसे पैरेंट्स जिनकी सिर्फ एक या दो संतान हो और वह बेटियां हों। सम्मानित किए जाएं।

-बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट को पैरेंट्स किए जाएं अवेयर।

-तीन साल में सेक्स रेशियो में बढ़ोत्तरी।

-सूबे में 2015-16 में जन्म पर सेक्स रेशियो 906, अब बढ़कर 938 हुआ।

-स्टेट के तीन डिस्ट्रिक्टस चम्पावत, चमोली व पिथौरागढ़ में सुधार की जरूरत।

-पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत 46 केस हुए दर्ज।

-जिसमें से 4 पर दोष सिद्ध, 10 खारिज, 32 केस पेंडिंग।

हॉस्पिटलों में गुड्डा-गुड्डी बोर्ड
सीएम ने कहा कि बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट बनाने के लिए ग्राम प्रधानों को पत्र भेजे जाएंगे। कहा, सभी अस्पतालों में गुड्डा-गुड्डी बोर्ड लगाया जाए। जिन जनपदों में सेक्स रेशियो में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है, इसके कारणों का पता किया जाए। वर्कशाप, पब्लिक अवेयर, रैलियों व अन्य माध्यमों से बाल लिंगानुपात को बढ़ाने को प्रयास किए जाएं। निर्देश दिए एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए समय-समय पर छापेमारी कैंपन चलाया जाए। उत्तराखंड महिला एसोसिएशन की अध्यक्ष साधना शर्मा ने का कि पीसीपीएनडी एक्ट के तहत हर दिन छापेमारी हो और बोर्ड को दूसरे बोर्डो की तरफ फुल मान्यता मिले। उन्होंने आईवीएफ सेंटर्स पर भी लगाम लगाए जाने का मुद्दा उठाया। बैठक में विधायक ममता राकेश, एसीएस राधा रतूड़ी, सचिव स्वास्थ्य नितेश झा, अपर सचिव न्याय रितेश श्रीवास्तव, डायरेक्टर एनएचएम युगल किशोर पंत, सदस्य सचिव राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड डॉ। सरोज नैथानी, उत्तराखंड महिला एसोसिएशन की साधना शर्मा, डॉ। ज्योति शर्मा आदि मौजूद रहे।

एक्ट के तहत आए आईवीएफ लैब
बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड में कुल 413 रजिस्ट्रेशन सेंटर्स में 659 अल्ट्रासाउंड मशीनें संचालित हो रही हैं। गत वर्ष डिस्ट्रिक्ट लेवल पर 455 निरीक्षण हुए। बताया गया कि राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक में आईवीएफ लैब रजिस्टर्ड है और इन सेंटर्स की कार्य प्रणाली पर अत्यधिक निगरानी के लिए इन्हें भी क्लीनिकल रेगुलेशन एक्ट के तहत लाया गया है।

Posted By: Inextlive