-कमिश्नर और डीएम के निर्देश पर भारी नगर निगम का 'कानून'

-बोले, वाइल्ड लाइफ जिम्मेदार है छुट्टा घोड़ों को पकड़ने के लिए

बरेली: शहर में काटने वाले घोड़ों का आतंक व्याप्त है। अब तक 17 लोगों को यह घोड़े काट भी चुके हैं। अफसोस नगर निगम इन घोड़ों को पकड़ने की बजाय 'कानून' पढ़ा रहा है। यह कानून कमिश्नर और डीएम के निर्देश पर भी भारी पड़ गया। इसलिए नगर आयुक्त ने दो टूक बता दिया कि घोड़े पकड़ना वाइल्ड लाइफ की जिम्मेदारी है। हम पकड़ भी लें तो रखेंगे कहां।

एक हफ्ते से पत्रों में पकड़े जा रहे घोड़े

बीते ट्यूजडे को घोड़े काटने का मामला तब तूल पकड़ा, जब एक व्यक्ति काट रहे इन घोड़ों को पकड़ने के लिए शिकायती पत्र लेकर एसएसपी ऑफिस पहुंच गया। पता चला कि सर्किट हाउस, जेल रोड, बटलर प्लाजा और कैंटोनमेंट एरिया में 15 लोगों को काट चुके हैं। खबर अखबारों की सुर्खियां बनी, तो अगले दिन कमिश्नर रणवीर प्रसाद ने इन्हें पकड़ने का निर्देश नगर निगम को दे दिया। इसके बाद घोड़ों ने एक छात्र समेत दो और को काट लिया। जिसके बाद डीएम ने भी कार्रवाई के निर्देश नगर निगम को दिए।

प्रभारी नगर आयुक्त बोले पकड़ लूंगा

छात्र को घोड़ा काटने के बाबत जब प्रभारी नगर आयुक्त/अपर नगर आयुक्त ईश शक्ति सिंह से बात की गई तो उन्होंने डीएम साहब ने भी घोड़े पकड़ने के लिए कहा है। कल तक घोड़े पकड़ लिये जाएंगे। नगर आयुक्त के वापस आते ही सीन बदल गया। नगर आयुक्त का कहना है कांजी हाऊस बंद हो चुका है। नगर निगम उन्हीं जानवरों को पकड़ सकता है, जिनका रखरखाव और चारा दे सके। घोड़ा पकड़ने के लिए नगर निगम अधिकृत नहीं है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर पकड़ भी लें, तो बड़ा सवाल है कि उसे रखेंगे कहां। खिलाएंगे क्या। इस दौरान देखरेख में कोई कमी रह जाएगी, तो क्रूरता होगी।

Posted By: Inextlive