देश के पहले पूर्ण साक्षर राज्‍य केरल के मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनते समय उम्‍मीदवार की शिक्षा को खासा महत्‍व देते हैं। यह बात गुरुवार को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो जाती है।


केरल में 50 परसेंट से ज्यादा सीटों पर जीतेकेरल के मतदाताओं ने 140 विधानसभा सीटों में 82 पर उन उम्मीदवारों को जीत का हार पहनाया है जो कम से कम ग्रेजुएट या उससे अधिक शिक्षित हैं। यह आंकड़ा कुल सीटों का 59 प्रतिशत है। यह बताता है कि उच्च शिक्षित प्रदेश के मतदाताओं ने भी अपने बीच से उन उम्मीदवारों को प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेजने में रुचि दिखाई जो पढ़े-लिखे हैं। हालांकि मतदाताओं ने हर पांच वर्ष मेंं राज्य की सत्ता एलडीएफ व यूडीएफ गठबंधन को बारी-बारी से सौंपने का सिलसिला जारी रखा है। इस बार उन्होंने एलडीएफ को विजयी बनाया है। पुदुचेरी भी पीछे नहीं


केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी की 30 सीटों के परिणाम भी जनता में उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों को वरीयता देने की ओर इशारा करता है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आंकड़ों के मुताबिक यहां 30 में से 13 सीटें उन उम्मीदवारों ने जीती हैं उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। यह सभी उम्मीदवार कम से कम ग्रेजुएट या उससे अधिक शिक्षित हैं। यह कुल सीटों का 43 प्रतिशत हैं। पुदुचेरी में कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन ने बहुमत हासिल किया है।  इसके साथ ही बेहद सौम्य माने जााने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री एन रंगासामी को सत्ता छोड़नी पड़ेगी।उच्च शिक्षित उम्मीदवारों को मिली बढ़त

केरल व पुदुचेरी में अधिकतर सीटों पर ग्रेजुएट या उससे अधिक शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों की जीत मतदाताओं की पसंद में आ रहे बदलाव की ओर इशारा करती है। साथ ही इस ओर भी कि उन जगहों पर साक्षरता दर अधिक होने का असर चुनाव परिणामों पर भी पड़ रहा है।  

Posted By: Mayank Kumar Shukla