अगर आप किसी प्राइवेट फर्म या कंपनी में काम करते हैं और आपका फंड इंप्लाई प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन ईपीएफओ में जमा होता है तो यह खबर आपके लिये ही है।


लखनऊ (पंकज अवस्थी)। जालसाजों ने ईपीएफओ की फेक वेबसाइट बना डाली है। जिसके जरिए वे 80 हजार रुपये क्लेम करने का झांसा देकर पर्सनल डिटेल भरवा रहे हैं। बिलकुल असली सी दिखने वाली इस फेक वेबसाइट के झांसे में आकर जिसने भी अपनी पर्सनल डिटेल भरी तो मानिये उसने जालसाजों को खुद अपनी जमा-पूंजी गायब करने का लाइसेंस थमा दिया। लिंक कर रहे वायरल
इंप्लाई प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन की असली सी दिखने वाली वेबसाइट का लिंक जालसाज ई-मेल या वाट्सएप के जरिए वायरल कर रहे हैं। इस लिंक के साथ जो डिटेल दी जा रही है, उसमें कहा गया है कि अगर आप 1990 से 2019 के बीच किसी भी फर्म या कंपनी में कर्मचारी रहे हैं तो आप 80 हजार रुपये क्लेम कर सकते हैं। लिंक ओपन करने पर यह रकम क्लेम करने वालों की लिस्ट में अपना नाम खोजने की ताकीद की गई है। लिस्ट में नाम देखने और 80 हजार रुपये क्लेम करने के लालच में लोग फौरन बिना सोचे-समझे लिंक पर क्लिक कर देते हैं। लिंक शेयर करने की शर्त


लिंक ओपन करते ही होम पेज आता है, जो कि बिलकुल ईपीएफओ की असली वेबसाइट जैसा ही है। होमपेज के ऊपरी हिस्से पर केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार की फोटो भी लगी हुई है। वेबसाइट खुलते ही स्क्रीन पर एक पॉपअप मैसेज आता है। जिसमें इस लिंक को अपने दोस्तों को शेयर करने को कहा जाता है। ओके क्लिक करते ही शेयर के ऑप्शन ओपन हो जाते हैं। शेयर करने के बाद एक और पॉपअप मैसेज नोटिफिकेशन शो होता है, जिसमें आपको बताया जाता है कि आपका नाम 80 हजार पाने वालों की लिस्ट में है, इसलिए आप अपनी डिटेल भर दें। इसके बाद एक फॉर्म ओपन होता है, जिसमें आपका आधार नंबर, ईपीएफओ नंबर, पासवर्ड और बैंक डिटेल भरने को कहा जाता है। विश्वास जमाने के लिये कमेंट की भरमारवेबसाइट पर लोगों का विश्वास जमाने के लिये होमपेज के नीचे कमेंट्स की भरमार है। जैसे एक कमेंट कमला मारकंडेय की ओर से पड़ा है, जिसमें लिखा गया है कि 'मेरे पूरे परिवार ने यह बेनेफिट प्राप्त किया है। मेरी बहन ने भी जिसने सिर्फ एक महीने ही काम किया था'। इसी तरह उमा नारायण की ओर से लिखा गया है कि 'अद्भुत उपहार, मुझे 80 हजार मिल गए।' हालांकि, इन कमेंट्स में जालसाजों से एक चूक हो गई। कमेंट पोस्ट करने वाले नाम तो भारतीय हैं लेकिन, इसमें फोटो विदेशी नागरिकों की लगी हुई है।ये बरतें सावधानी

- अपनी पर्सनल डिटेल भरने से पहले वेबसाइट की सत्यता जांच लें।- किसी भी सरकारी वेबसाइट के यूआरएल पर आखिरी में gov.in या nic.in होता है। यानी यह वेबसाइट सरकारी सर्वर पर होस्ट है।- कोई भी सरकारी विभाग या वेबसाइट किसी को बिना किसी वजह रुपये नहीं देती।- ऐसा कोई भी ऑफर मिलने पर संबंधित विभाग के अधिकृत नंबर या टोल फ्री हेल्पलाइन पर इसकी सत्यता जांच लें।'ईपीएफओ की वेबसाइट पर रुपये देने की कोई घोषणा नहीं की जाती। यह फेक वेबसाइट है। इसकी जांच की जा रही है। इसमें कोई भी शख्स अपनी डिटेल शेयर न करें।'- विशाल विक्रम सिंह, एएसपी, एसटीएफlucknow@inext.co.in

Posted By: Dhananjay Shukla