RANCHI : प्लेयर अननोन बैटल ग्राउंड (पबजी) और ग्रुप गेम्स खेलने का चस्का सिटी के यूथ को बीमार कर रहा है। इसके बावजूद इसका क्रेज कम नहीं हो रहा है। इस वजह से यूथ गेम एडिक्शन की चपेट में आ रहे हैं। हाल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया जब इंजीनियरिंग के एक स्टूडेंट ने साइकोलॉजिस्ट को खुद कॉल कर मदद मांगी। उसने डॉक्टर को बताया कि वह पबजी की लत से परेशान हो चुका है और इससे पीछा छुड़ाना चाहता है। इसके बाद उसने डॉक्टर से काउंसेलिंग के लिए अप्वाइंटमेंट लिया है। बताते चलें कि ऐसे ही कई और यंगस्टर्स काउंसेलिंग के लिए साइकोलॉजिस्ट के यहां पहुंच रहे हैं।

केस वन

सूरज कुमार सुबह से शाम तक ग्रुप गेम्स में लगा रहता है। 24 घंटे में 7 घंटे उसके गेम्स में ही बीत जाते हैं। इस चक्कर में वह नींद में भी गेम्स के स्टेप बड़बड़ाता था। ऐसे में पेरेंट्स परेशान हो गए और उसे काउसेंलिंग के लिए स्पेशलिस्ट के यहां ले गए।

केस टू

पबजी गेम्स खेलने के चक्कर में उमंग शर्मा नाम के युवक के कई दोस्त बन गए। जब उसके दोस्त सामने होते हैं तो इस बीच भी गेम्स की ही बातें होती हैं। किसी और टॉपिक पर बात करने से दूर ही भागते हैं।

एक्सपर्ट की राय

यूथ से लेकर ओल्ड एज ग्रुप के लोग भी इन गेम्स के एडिक्ट हो चुके हैं। आज 100 में से 90 यूथ्स गेम खेलने में लगे हैं। इनका माइंड भी गेम की तरह ही हो गया है। एग्रेसिव और इरीटेटिंग बिहेवियर से भी काफी दिक्कत हो रही है। काउंसेलिंग के लिए आने वाले तो बस पूरा दिन गेम की ही बात करते हैं। इसमें पेरेंट्स को भी अलर्ट होना होगा नहीं तो इसे छुड़ाना मुश्किल होगा।

डॉ.भाग्यश्री कर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट

हाल के दिनों में पबजी व ग्रुप गेम्स की तरफ लोगों का अट्रैक्शन बढ़ा है। अब जो लोग ये गेम खेलते हैं वे धीरे-धीरे इसके एडिक्ट होते जा रहे हैं। जिससे कि ये लोग पूरी तरह से गेम के स्टेप्स में खुद को शामिल कर लेते हैं। लेकिन यह कहीं से भी सही नहीं है। इसको लेकर खुद से अलर्ट होने की जरूरत है। काउंसेलिंग के लिए भी हर महीने दर्जनों ऐसे मरीज हमारे पास आ रहे है।

डॉ.अजय बाखला, साइकियाट्रिस्ट, रिम्स

Posted By: Inextlive