12 साल की लंबी कवायद के बाद आखिरकार GST के रास्ते की पहली बाधा को सरकार ने पार कर लिया है. GST से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने दो तिहाई बहुमत से बुधवार को मंजूरी दे दी. लेकिन इस बिल को कांग्रेस के विरोध के कारण राज्यसभा से पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.

अब राज्यसभा में जीत की बारी
कांग्रेस इसे संसद की स्थायी समिति को भेजे जाने की मांग कर रही है. हालांकि कुछ विपक्षी दल इसके पक्ष में हैं इसलिए विपक्ष को भी राज्यसभा में एकता बनाए रखने में मुश्किलें पेश आएंगी. जीएसटी बिल पर बोलते हुए संसदीय कार्यमंत्री वेकैंया नायडू ने कहा कि यह बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इससे पहले बुधवार को लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक पर हुई बहस के दौरान उठाए गए तमाम सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया और इसे स्थायी समिति को भेजे जाने से असहमति जताई. वित्तमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू हो जाने का सबसे बड़ा फायदा राज्यों को होगा. लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी और सिंगल टैक्स व्यवस्था होने के नाते उत्पादों के दाम नीचे आएंगे.
केंद्र और राज्य दोनों मिलकर करेंगे काम
उन्होंने सांसदों की इस आशंका को भी खारिज किया कि इस कानून के जरिए जीएसटी काउंसिल में सरकार का बहुमत होगा और उसके पास वीटो का अधिकार होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि काउंसिल में केंद्र के पास केवल एक तिहाई वोटिंग का अधिकार है. बाकी दो तिहाई राज्यों के पास है. यह व्यवस्था केंद्र और राज्यों दोनों को मिलकर काम करने के प्रति प्रेरित करेगी. विधेयक के समर्थन में सरकार और विपक्ष की तरफ से कई संशोधन पेश किए गए. विपक्ष के सभी संशोधनों को सदन ने नकार दिया. बिल के समर्थन में 352 मत पड़े जबकि उसके विरोध में सैंतीस वोट पड़े. कांग्रेस ने वाकआउट के चलते वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भी सदन में मौजूद रहने के बावजूद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari