मैन्युफैक्चरर से लेकर मेडिकल स्‍टोर्स तक सभी को चुकाना होगा GST। 'जीएसटी’ को लेकर दवाइयां बनाने वाले ट्रेडर्स केमिस्ट वगैरह की भी टेंशन बढ़ गई है उनकी टेंशन का 'इलाज’ बता रहे हैं चार्टर्ड अकाउंटेंट अलतमश जफर...

फिलहाल दवाइयों पर टैक्स सिस्टम थोड़ा अलग है। 'एमआरपी’ के शुरुआती प्वॉइंट पर 'वैट’ लगता है और बाकी की सप्लाई चेन बिना कोई टैक्स चुकाए दवाइयां बेचती है। 'जीएसटी’ में यह पूरी तरह बदल जाएगा। इसमें मैन्युफैक्चरर से लेकर केमिस्ट तक को टैक्स चुकाना होगा। इससे दवाइयों पर टैक्स रेट थोड़ा बढ़ जाएगा लेकिन होलसेलर्स और केमिस्ट्स को अपने इनवॉइस में 'जीएसटी’ चार्ज करके इससे जुड़े सभी प्रोवीजन्स का पालन करते हुए रिटर्न फाइल करना होगा। यह केमिस्ट के लिए एक एक्स्ट्रा बोझ साबित होगा।

 

जानें 'जीएसटी’ के रेट्स
फार्मासूटिकल प्रॉडक्ट्स पर 0 परसेंट, 5 परसेंट और 12 परसेंट का रेट, तो एंटीबायोटिक्स पर 18 परसेंट के रेट्स तय किए गए हैं।

 

रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस

अगर केमिस्ट का टर्नओवर 20 लाख रुपए या इससे कम है तो उसे रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।

अगर केमिस्ट का टर्नओवर 75 लाख रुपए या इससे कम होगा तो वह कंपोजीशन स्कीम के अंडर रजिस्ट्रेशन करा सकता है।

अगर टर्नओवर 20 लाख रुपए से ज्यादा है और केमिस्ट कंपोजीशन स्कीम का इस्तेमाल नहीं करता, तो उसका रेग्युलर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है।

क्या है कंपोजीशन स्कीम?
जिन ट्रेडर्स और शॉपकीपर्स की सेल 75 लाख रुपए या इससे कम होगी, वे कंपोजीशन स्कीम के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यह स्कीम ऑप्शनल है। इस स्कीम को चुनने वाले को सेल्स पर 1 परसेंट 'जीएसटी’ देना होगा। यह अमाउंट इनवॉइस में नहीं दिखाई जाएगी। ट्रेडर को अपने फंड्स में से टैक्स की पेमेंट करनी होगी। वह किसी भी तरह के 'इनपुट टैक्स क्रेडिट’ के लिए एलिजिबल नहीं होगा। इस स्कीम के तहत मंथली नहीं बल्कि क्वाटर्ली रिटर्न फाइल करना होगा।


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अपना सॉफ्टवेयर करें अपडेट
ज्यादातर केमिस्ट्स सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल लिस्ट मैनेजमेंट के लिए करते हैं। इन सॉफ्टवेयर्स को 'जीएसटी’ नियमों के मुताबिक अपडेट करना होगा। टैक्स रेट्स फीड करने होंगे और इनवॉइस के मुताबिक जानकारी रखनी होगी।

 

अलग सिचुएशंस में...

-    अगर कोई केमिस्ट किसी हॉस्पिटल में बैठता है और वह इनवॉइस हॉस्पिटल के नाम पर जारी करता है तो भी उसपर 'जीएसटी’ लागू होगा। हॉस्पिटल्स को हेल्थ सर्विसेज में 'जीएसटी’ से अलग रखा गया है पर दवाइयों की सेल्स पर 'जीएसटी’ लागू होगा।

-    डॉक्टर्स को भी उनकी हेल्थ सर्विसेज में 'जीएसटी’ से अलग रखा गया है पर जहां डॉक्टर्स दवाइयां भी बेचेंगे, तो ऐसी बिक्री पर 'जीएसटी’ लागू होगा। डॉक्टर की सर्विसेज को 'जीएसटी’ में छूट लेकिन उनके दवाइयां बेचने पर टैक्स इसलिए रखा गया है क्योंकि ऐसा करना सर्विस के प्रोवीजन से बाहर है।

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अगर स्टॉक बचा हुआ है तो क्या करें?
सभी रीटेलर्स और केमिस्ट्स के सामने यह एक बड़ी प्रॉब्लम है। 'जीएसटी’ लागू होने के बाद दवाइयों की बिक्री पर यह टैक्स लागू होगा। यह केमिस्ट के प्रॉफिट मार्जिन को काफी कम कर देगा। हालांकि, सरकार ने 30 जून तक बेचे गए स्टॉक पर 40 परसेंट क्रेडिट क्लेम करने की सुविधा देकर केमिस्ट्स को थोड़ी राहत जरूर दी है।

केमिस्ट के पास एक और ऑप्शन यह होगा कि वह कंपोजीशन स्कीम को चुने और 'एमआरपी’ पर 1 परसेंट टैक्स चुकाए। पर इस स्कीम को तब ही चुना जा सकता है जब पिछले फाइनेंशियल इयर में टर्नओवर 75 लाख रुपए या इससे कम रहा हो। इस स्कीम की एक शर्त यह भी है कि केमिस्ट के पास 30 जून तक दवाइयों का वह स्टॉक मौजूद न हो जो उसने किसी दूसरे स्टेट से खरीदी हैं।

 

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Note: हॉस्पिटल्स को हेल्थ सर्विसेज में 'जीएसटी’ से अलग रखा गया है पर दवाइयों की सेल्स पर 'जीएसटी’ लगेगा।


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Posted By: Chandramohan Mishra