गुजरात हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्‍य में अनिवार्य वोटिंग पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आगामी स्‍थानीय निकाय चुनावों को ध्‍यान में रखते हुए यह फैसला दिया। बताते चलें कि वोटिंग को अनिवार्य बनाने वाला गुजरात देश का पहला राज्‍य था।

वोटर्स को है मतदान से परहेज का अधिकार
गुजरात हाई कोर्ट ने प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों में सरकार द्वारा पिछले महीने जारी किए गए अनिवार्य मतदान के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। सरकार के आदेश के खिलाफ एडवोकेट केआर कोष्टी ने एक याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह रोक लगाई है। सरकार के आदेश में निकाय चुनावों में मतदान को अनिवार्य किया गया था साथ ही मतदान न करने वालों पर 100 रुपये जुर्माना लगाने के आदेश भी दिए गए थे। कार्यवाहक जज जयंत पटेल की बेंच ने इस कानून पर रोक लगाते हुए कहा कि मतदान का अधिकार अपने आप में मतदान से परहेज का अधिकार भी है।
2009 में जारी हुआ था फरमान
आपको बताते चलें कि सरकार के गुजरात स्थानीय प्राधिकरण कानून बिल 2009 को राज्यपाल ओपी कोहली द्वारा मंजूर किए जाने के बाद गुजरात पहला ऐसा राज्य बन गया जहां निकाय चुनावों में मतदान अनिवार्य हो गया था। इसे पूर्व राज्यपाल कमला बनिवाल ने रिजेक्ट कर दिया था। यह बिल 2009 के बाद 2011 में दोबारा पास हुआ था उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लेकिन अब तक इसे राज्यपाल ने पास नहीं किया था। आने वाले कुछ महीनों में गुजरात में निकाय चुनाव होने वाले हैं उससे पहले यह फैसला महत्वपूण माना जा रहा है।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari