गुजरात में 18 दिसंबर से होने वाले विधान सभा चुनावों का नतीजा क्‍या होगा ये तो वक्‍त ही बतायेगा फिल्‍हाल वहां राजनीतिक उठापटक जारी है। इस दांवपेंच के बीच नया ट्विस्‍ट तब सामने आया जब गुजरात के चर्चित पाटीदार आंदोलन के मजबूत नेता नरेंद्र पटेल ने भारतीय जनता पार्टी ज्‍वइन की और फिर उस पर रिश्‍वत का आरोप लगा कर उसे छोड़ने का एलान कर दिया। पहले से ही पाटीदार आंदोलन के युवा नेता हार्दिक पटेल से परेशान भाजपा के लिए ये बढ़ा झटका है। चलिए मिलते हैं बीजेपी को हैरान करने वाले कुछ दमदार पाटीदार नेताओं से।

नरेंद्र पटेल

नरेंद्र पटेल गुजरात के एक छोटे परिवार से आते हैं, और पाटीदार आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। उनके तीखे तेवरों ने भाजपा को बेहद हैरान किया हुआ था और इसीलिए उन्हें अपनी तरफ करने का पार्टी पूरा प्रयास कर रही थी। कुछ दिन पहले लगा कि वाकई वे कामयाब हो गए हैं जब नरेंद्र ने अपनी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल होने का एलान किया। इसके बाद शनिवार को एक नाटकीय ट्विस्ट आया जब नरेंद्र ने पार्टी पर 1 करोड़ की घूस देने का आरोप लगाया और उनसे अलग होने की घोषणा कर दी। एक बार फिर नरेंद्र पटेल के चलते भाजपा संकट में है। नरेंद्र ने हार्दिक पटेल की भी तारीफ की और कहा कि वे जो आंदोलन कर रहे हैं वो बिल्कुल सही है। उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी पाटीदार समाज को बेवकूफ बना रही है। नरेंद्र पटेल का दावा है कि उनके पास पैसे के लेन-देन के ऑडियो-वीडियो सबूत मौजूद हैं  और वे वकील से सलाह करने के बाद इसे सार्वजनिक करेंगे। 

हार्दिक पटेल

हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय का सबसे चर्चित चेहरा हैं जो ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर जारी आरक्षण आंदोलन के का नेतृत्व करते हैं। वे ओबीसी दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। कभी बीजेपी का हिस्सा रहे हार्दिक अब उनका बड़ा सरदर्द बन चुके हैं। पाटीदार समाज का बड़ा वर्ग उनके साथ है और नयी आफत का संकेत देते हुए खबर आ रही है कि हार्दिक ने राहुल गांधी के तीन दिनों के गुजरात दौरे पर उनसे अहमदाबाद के उमेद होटल में मुलाकात की है। राहुल के दौरे से पहले ही दोनों की मुलाकात के कयास लगाए जा रहे थे। ये भी संभावना जताई जा रही है कि आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल कांग्रेस को समर्थन दे सकते हैं। हालाकि उन्होंने साफ किया है कि वह कांग्रेस को तभी समर्थन देंगे जब वो पटेल समुदाय के आरक्षण को लेकर उनकी मांगों को मानेगी। इस बारे में दोनों के बीच मांगों को लेकर ही बातचीत जारी है, जो कि भाजपा के लिए कतई अच्छा संकेत नहीं है। 

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वरुण पटेल

पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के महत्वपूर्ण सहयोगी वरुण पटेल और रेशमा पटेल का नाम नरेंद्र पटेल वाले मामले में फिर सामने आया। इससे पहले बीते दिनों ये दोनों सत्ताधारी बीजेपी में शामिल होने के चलते चर्चा में आये थे। वरुण और रेशमा, पाटीदार आंदोलन समिति का प्रमुख चेहरा थे और आंदोलन के दौरान उन्होंने बीजेपी की काफी ओलाचना भी की थी। बीजेपी में शामिल होने के बाद इन दोनों नेताओं ने कहा था कि हार्दिक कांग्रेस का एजेंट बन गया है और मौजूदा राज्य सरकार को उखाड़ फेंकने के लिये आंदोलन का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहा है। अब बदलती परिस्थितियों में उन दोनों के कदम पर भी सब की निगाह होगी, क्योंकि पटेल ने उन्हीं के जरिए रिश्वत की ऑफर सामने आने की बात कही है और दोनों पहले भी भाजपा का सरदर्द रह चुके हैं। 

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निखिल सवानी

इस बीच पाटीदार अनामत आंदोलन समिति PAAS को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आए निखिल सवानी ने भी पार्टी छोड़ने की घोषण कर दी है। सवानी ने 23 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी। सवानी पाटीदार समुदाय के 150 सदस्यों के साथ सितंबर में भाजपा में शामिल हुए थे। हार्दिक पटेल के करीबी कहे जाने वाले सवानी सूरत में ‘पास के संयोजक थे। सवानी ने कहा है कि उन्होंने बीजेपी द्वारा नरेंद्र पटेल को एक करोड़ रुपये के ऑफर की बात सुनी, जिससे वे काफी दुखी हैं और बीजेपी छोड़ रहे हैं। ये सभी पाटीदार आंदोलन के वो गर्म युवा चेहरे हैं जो भाजपा के लिए परेशानी का सबब रहे हैं और आगे भी उनकी राह आसान होने देंगे ऐसा लगता तो नहीं। 

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Posted By: Molly Seth