क्या मोदी को क्लीन चिट सही? फैसला आज
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जाँच टीम (एसआईटी) ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देते हुए मामला बंद करने की रिपोर्ट सौंपी थी.ज़किया जाफ़री ने इसे अदालत में चुनौती दी है. इससे पहले दो दिसंबर को कोर्ट ने अपना फैसला 26 दिसंबर तक के लिए टाल दिया था.ज़किया जाफ़री की याचिका पर उनके वकीलों और एसआईटी के वकील की जिरह मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणात्रा के सामने पांच महीने तक चली.जिरह पूरी होने के बाद ज़ाफरी के वकील ने 18 सितंबर को अदालत को लिखित हलफ़नामा दिया था जबकि एसआईटी ने अपना लिखित हलफनामा 30 सितंबर को दिया था.पहले मजिस्ट्रेट 28 अक्टूबर को फैसला सुनाने वाले थे लेकिन बाद में इसके लिए दो दिसंबर की तारीख़ रखी गई.क्या है मामला?
ज़किया जाफ़री कई सालों से इस मामले में क़ानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.आठ फरवरी 2012 को एसआईटी ने मामला बंद करने की रिपोर्ट सौंपी थी जिसके ख़िलाफ़ ज़किया जाफ़री ने 15 अप्रैल, 2013 में याचिका दायर की थी.
इस याचिका में उन्होंने एसआईटी की रिपोर्ट ख़ारिज करने और मोदी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल करने की मांग की थी.एसआईटी के वकील आरएस जमुआर ने मामला बंद करने की रिपोर्ट का बचाव और ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने की मांग करते हुए कहा था कि जाँच के दौरान ज़किया जाफ़री के आरोपों के पक्ष में कोई प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य सबूत नहीं मिला है.गुलबर्ग सोसायटी में हुई हिंसा की जाँच एसआईटी अलग से कर ही रही थी लेकिन ज़किया जाफ़री ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि इस हत्याकांड के लिए मोदी सहित 62 लोगों के ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट दर्ज की जाए और उनकी भूमिका की जाँच की जाए.