शुक्रवार 20 नवंबर को बृहस्पति राशि में परिवर्तन हो रहा है। यह 'धनु से निकलकर अपनी नीच राशि मकर में प्रवेश करेंगे। आइए जानें इससे आपकी राशि पर क्या और कितना असर पड़ेगा।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। देवगुरु बृहस्पति दिनाँक 20 नवंबर 2020 को अपराह्न 1:23 बजे स्वराशि "धनु" से निकलकर अपनी नीच राशि "मकर" में प्रवेश करेंगे।लगभग वर्ष भर यहां रहेंगे।इस बीच में दिनाँक 6 अप्रैल 2021 से 14 सिंतबर 2021 तक "कुम्भ राशि" में गोचर करेंगे।

आपके लिए कैसा रहेगा "मकर राशि" में गुरु का गोचर-

1.मेष:-
नीच राशि के गुरु दशमस्थ होने से धोखा मिलने के संकेत,राज्य से परेशानी,स्थान परिवर्तन परंतु धनलाभ होता रहेगा।परिवार में परेशानी हो सकती है।

2.वृष:-
भाग्यस्थ गुरु होने के कारण कार्यों में सफलता अपेक्षित है।भूमि,वाहन आदि का सुख प्राप्त होगा।बंधुओं एवं संतान सुख प्राप्त होगा।बुद्धि से लिये निर्णय सही सिद्ध होंगे।

3.मिथुन:-
अष्टमस्थ गुरु होने के कारण बनते हुए कार्यों में विघ्न।धन का अधिक खर्च होना।घरेलू उलझने बने रहने से मानसिक तनाव रहेगा।अचानक धन प्राप्ति की संभावनाएं रहेंगी।

4.कर्क:-
सप्तमस्थ नीच गुरु होने के कारण गृहस्थ जीवन में परेशानी,परंतु अविवाहिक लोगों के लिए विवाह के योग भी बनेंगे।साझेदारी के काम मे अड़चने आएंगी।सावधान रहें।

5.सिंह:-
छठा गुरु होने के कारण आय अधिक एवं खर्च अधिक रहेगा।शत्रु पीड़ा।घरेलू उलझने बढ़ेंगी।किसी बीमारी से सावधान रहने की आवश्यकता है।ध्यान रखें।

6.कन्या:-
पंचमस्थ गुरु होने के कारण विद्या एवं कार्यों में सफलता,धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी।स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।वाहनादि सुखों में वृध्दि।किसी कार्य के लिए ऋण ले सकते हैं।

7.तुला:-
चतुर्स्थ गुरु होने के के कारण वाहन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।घरेलू कलह के कारण स्थान का परिवर्तन भी संभव हो सकता है। किसी आवश्यक कार्य पर धन खर्च भी हो सकता है।

8.वृश्चिक:-
तृतीयस्थ गुरु होने के कारण अच्छा धन लाभ।परंतु निकटस्थ भाई बंधु को शरीर कष्ट संभव है।विवाह के योग बनेंगे।भाग्य साथ देगा।निज से लाभ के मार्ग प्रशस्त होंगे।

9.धनु:-
धन लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे।राज्य से लाभ।गतवर्ष किये गए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।धार्मिक कार्यों पर धन खर्च हो।

10. मकर:-
लगनस्थ नीच का गुरु होने के कारण पूज्य हैं।संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त होगी।जीवन साथी के लिए ठीक रहेगा।कभी कभी वैमनस्यता।संतान के लिए ठीक रहेगा।

11.कुम्भ:-
द्वादश गुरु होने के कारण धार्मिक कार्यों पर धन अधिक खर्च हो।धार्मिक कार्यों में आस्था बढ़े।व्यर्थ की भाग दौड़ से बचें।अनावश्यक खर्च से बचें।
12.मीन:-
नवीन कार्यों की योजना बने।धन लाभ भाग्य हो।उन्नति हो।गांधर्व विवाह की संभावना बढ़ें।बुद्धि की कार्यकुशलता से कार्य बने।प्रेम संबंध से बचें।

गुरु के अशुभ फल की शांति के लिए करें दान:-
गुरु की शुभता बढ़ाने के लिए ब्राह्मण को भोजन कराना,गुरूवासरी अमावस्या अथवा गुरुवार का व्रत रखना,पुखराज धारण करना, पीले वस्त्र, चने की दाल,कांस्य पात्र,शक्कर,केले,धार्मिक ग्रंथ आदि का दान करना,गुरु के बीज मंत्र का जाप करना फलदायक रहेगा।प्रत्येक गुरुवार केसर का तिलक लगाना भी शुभ रहेगा।

बृहस्पति शांति हेतु स्नान:-
गुरुदेव की अनिष्ट शान्ति जैसे वैवाहिक विलंब,विद्या प्राप्ति,पदोन्नति में बाधाएं,पितृ दोष आदि दूर करने हेतु चमेली पुष्प,पीली सरसों,शहद,गूलर,दमयंती,हरिद्रा,मालती पुष्प,सुगन्ध बाला,श्वेत आर्क के नवीन पत्ते एवं गंगा जल आदि से स्नान करना चाहिए।

विशेष:- औषधि-स्नान के दिन साबन,शैम्पू आदि को लगाने से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।स्नान करने से पूर्व पूर्वाभिमुख होकर गुरु के बीच मंत्र से मंत्र पूर्वक स्नान करने से गुरुकृत अनिष्ट प्रभाव से निवृत होती है।

गुरु ग्रह का बीज मंत्र:-
ॐ ग्रा ग्री ग्रो स: गुरवे नमः।।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari