Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा एवं श्री व्यास पूजा के लिए सूर्योदय के बाद त्रिमुहूर्त व्यापिनी आषाढ़ पूर्णिमा होना आवश्यक है। पूर्णिमा तिथि यदि तीन मुहूर्त से कम हो तो यह दोनों पर्व पहले दिन मनाए जाते हैं।

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य) Guru Purnima 2021 दिनांक 24 जुलाई 2021 को आषाढ़ पूर्णिमा त्रि मुहूर्त न्यून होने से गुरु पूर्णिमा/व्यास पूजा आदि पर्व 23 जुलाई 2021,शुक्रवार को चतुर्दशी तिथि(प्रातः 10:44बजे) के बाद मनाए जाएंगे। दिनांक 23 जुलाई 2021,शुक्रवार को प्रातः 10:43 के बाद पूर्णिमा लगेगी जोकि अगले दिन दिनांक 24 जुलाई 2021 को प्रातः 8:06 बजे तक रहेगी। आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को व्यास पूजा गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है।गुरु परम्परा की सिद्धि के लिए परब्रह्म,ब्रह्मा,शक्ति,व्यास,शुकदेव,गौढ़पद,गोविंद स्वामी,शंकराचार्य का नाम मंत्र से अवाहनादि पूजन करके अंत मे अपने दीक्षा गुरु का देव तुल्य पूजन करना चाहिए।
पूजन विधि विधान
इस दिन प्रातः काल स्नानादि दैनिक कर्मो से निवृत्त होकर प्रभु पूजा गुरु की सेवा में उपस्थित होकर उन्हें उच्च आसन पर बैठाकर पुष्प माला अर्पित करें,फिर संकल्प करके षोडशोपचार से गुरु का पूजन करें क्योंकि इस दिन गुरु की पूजा देवता के समान करने का विधान है।

व्रत कथा
हस्तिनापुर में गंगभट नाम का एक मल्लाह रहता था।एक दिन उसे बड़ी भारी मछली नदी से मिली।उसे घर ले जाकर उसने चीरा, तो उसमें से कन्या निकली उस कन्या का नाम उसने सत्यवती रखा।मछली के पेट से जन्म लेने के कारण उसके शरीर से मछली की दुर्गंध निकलती रहती थी।सत्यवती जब युवती हो गई तो एक दिन गंगभट उसे नाव के पास बिठाकर किसी आवश्यक कार्य से घर चला गया। इस बीच वहां पाराशर नाम के ऋषि वहां आये और सत्यवती से बोले तुम अपनी नाव में बिठाकर उस पार उतार दो।सत्यवती के सौंदर्य पर ऋषि पाराशर मोहित हो गए और विवाह की कामना की, सत्यवती ने स्वयं को नीच जाति और शरीर से दुर्गंध आने वाली बात को बताया,इस दोष को ऋषि पराशर ने तुरंत दूर कर दिया।इस प्रकार ऋषि पराशर और देवी सत्यवती की संतान महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ।जन्म के समय उस बालक के सिर पर जटायें थीं।वह यज्ञोपवीत पहने हुए था।उत्पन्न होते ही उसने अपने पिता को नमस्कार किया और हिमालय पर्वत पर चला गया, जहां हिमालय की गुफाओं और बदरीवन में उसने कठोर तप किया। बाद में बदरीवन में रहते हुए अध्ययन-अधयापन किया,जिससे उसका नाम बादरायण के नाम से संसार में विख्यात हुआ।उन्होंने महाभारत के अलावा वेद,शास्त्र एवं पुराणों की रचना की।अपनी रचनाओं के माध्यम से वे पूरे विश्व के गुरु माने जाते हैं। गुरुपूर्णिमा को जन्मे महर्षि वेदव्यास जी के नाम पर ही इस तिथि को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।

गुरु का पूजन मंत्र निम्न है
"गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुदेव महेश्वर:।
गुरु साक्षातपरब्रह्म तस्मैश्री गुरवे नमः।

अति विशेष
इस बार कोविड-19,कोरोना महामारी के चलते घर में केवल गुरु का चित्र सामने रखकर,संकल्प लेकर ही पूजा करना उचित होगा।आशीर्वाद लेने के लिए केवल साष्टांग प्रणाम ही करें,चरण स्पर्श न करें।

Posted By: Shweta Mishra