भारतीय ज्योतिष के नक्षत्रों में से एक प्रमुख नक्षत्र होता है पुष्य नक्षत्र।यूं तो हर माह पुष्य नक्षत्र होता है किन्तु जब गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होता है तो अत्याधुनिक होता है।


4 जुलाई को पुष्ययोग है। जिस प्रकार सम्पूर्ण जानवरों में सिंह बलवान है, उसी प्रकार समस्त नक्षत्रों में बलवान पुष्य नक्षत्र है। यह सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है। शास्त्रों में कहा गाय है कि भोचर में चौथे, आंठवें चंद्रमा होने पर भी पुष्य नक्षत्र कार्य सिद्धा करता है।मंत्र का ये अर्थ निकलता हैइस मंत्र का अर्थ है जब पुष्य नक्षत्र ग्रह विदु होने या पापग्रहयुक्त होने तथा तारा के अनुकूल होने पर भी सम्पूर्ण कार्यों की सिद्दी करता है।केवल विवाह को छोड़कर पुष्यअमृत योग का तो कहनाही क्या। इस वर्ष 4 जुलाई को पुष्यअमृत है(गुरुपुष्य योग)। गुरुपुष्य तंत्र-मंत्र की सिद्धी एवं जड़ीबूटी आदि ग्रहण करने में तभा गुरु-शिष्य व्यापारिक एवं आर्थिक लाभ के कार्यों में विशेष रूप से उपयोगी है। पुष्य नक्षत्र केवल विवाह में वर्जित है अन्य कार्यों में अति उत्तम है।शाम से आधीरात तक शुभमुहूर्त
शुभ मुहूर्त 5 बजकर 16 मिनट में रात्री 2 बजकर 31 मिनट तक है।गुरुपुष्य में गणेश जी को दूर्वा के साथ सिंदूर चढ़ाने से काउंसलिंग व विद्यालय के चयन में सफलता मिलती है। गुरुपुष्य योग में कैथा गणेश जी को चढ़ाने में भूमि-भवन, वाहन का लाभ होगा है। गुरुपुष्य योग में सिरहने में चांदी का तार लगाने से जीवनसाथी से मतभेद दूर होते हैं।गुरुपुष्य योग में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से परेशानियां आपके घर नहीं आती हैं। गुरुपुष्य योग में लड़कियों की श्रंगार सामग्री चढ़ाने से धन में वृद्धि होती है। गुरुपुष्य योग में गणेश जी को केला खिलाने से शिक्षा संबंधी परेशानी दूर होती है। गुरुपुष्य योग में बच्चों का पाटी पूजन करें उनके बुद्धी होती हैं। गुरुपुष्य योग में बच्चों को विद्यालय में प्रथम दिन प्रवेश करने से सफलता मिलती है।पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma