Halahal Movie Review: रणदीप झा की यह पहली फिल्म है। रणदीप अनुराग कश्यप दिबाकर बनर्जी के साथ काम कर चुके हैं। फिल्म शिक्षा जगत के भ्रष्टाचार को लेकर बनी है। इससे पहले भी इस विषय पर फिल्म बनी है लेकिन हलाहल का नैरेटिव काफी इंटरेस्टिंग है। भगवान् और असुर के बीच समुंद्र मंथन हुआ था। दोनों के बीच लालच बढ़ी और अमृत की जगह निकला विष हलाहल में इसी संदर्भ के साथ एक अच्छा सटायर किया गया है। फिल्म की प्रेरणा मध्य प्रदेश के घोटाले से ली गई है और उसी बहाने पूरे सिस्टम में किस तरह भ्रष्टाचार अंदर तक शामिल है वह भी दर्शाया गया है। एक अच्छा थ्रिलर बना है। पढ़ें पूरा रिव्यु...


फिल्म : हलाहलकलाकार : सचिन खेडेकर, बरुण सोबतीनिर्देशक : रणदीप झाओटी टी : इरोज नाउरेटिंग : तीनलेखक : जीशान कादरी, जिब्रान नूरानीक्या है कहानी
Halahal Movie Review: कहानी दो मुख्य किरदारों के इर्द -गिर्द रची गई है। एक लड़का है रात में वह अकेले भागता जा रहा है, एक लड़की अर्चना उसको रोकने की कोशिश कर रही है, फिर अचानक दुर्घटना घटती है और उस लड़की की मौत हो जाती है। फिर ये बात सामने आती है कि अर्चना के पीछे कोई और भी था। अर्चना की मौत को आत्यहत्या कह कर दबाने की कोशिश की जाती है। लड़की के पिता डॉक्टर शिव शर्मा (सचिन )को यही खबर मिलती है कि बेटी ने आत्महत्या की है। ऐसे में पिता को इस बात पर यकीन नहीं है, वह तय करता है कि बेटी की मौत का सच जान कर रहेगा। अपनी अच्छी सामान्य सी जिंदगी जीने वाले डॉक्टर साहब की जिंदगी अचानक ही तबाह हो जाती है। उसे ऐसे में साथ मिलता है यूसुफ (बरुण ) का। लेकिन पहले वह पुलिस अधिकारी डॉक्टर के बहाने पैसे कमाने के फिराक में होता है। वह भले ही पुलिस हो, लेकिन वह पूरी तरह काम चोरों वाला ही करना पसंद करता है। वह साफ़ कहता है कि हर चीज की कीमत होती है। डॉक्टर साहब तय करते हैं कि वह सच का पता लगा कर रहेंगे। अभी तक कहानी पुराने बॉलीवुड के ढर्रे वाली ही नजर आती है, लेकिन हकीकत है कि धीरे-धीरे कहानी में ट्विस्ट आते जाते हैं और कहानी दिलचस्प क्लाइमेक्स के साथ लोगों तक पहुंचती है। इस क्रम में एक के बाद एक ह्त्या होती जा रही है। एक मौत के आड़े कई रहस्य सामने आते हैं। आखिर अर्चना की मौत की वजह क्या है, वह कौन सा काला सच है, जिसकी वजह से मासूम के साथ ये हादसा होता है। कहानी में कई दिलचस्प मोड़ हैं। क्या है अच्छाथ्रिलर अच्छा क्रिएट करने की कोशिश है। सहयोगी कलाकारों का साथ अच्छा मिला है। फिल्म का क्लाइमेक्स अच्छा हैक्या है बुराकहानी कांसेप्ट के लिहाज से पुरानी है। अनुराग कश्यप टच अधिक नजर आया है। जरूरी है कि रणदीप अपनी अगली फिल्मों में अपने अंदाज के साथ नजर आएं।अभिनय


रणदीप झा ने एक अच्छी फिल्म अच्छे कलाकारों के साथ बनाई है। सचिन और बरुण दोनों ने ही अच्छा अभिनय किया है। बरुण अब तक चॉकलेटी किरदारों में अधिक नजर आये हैं। लेकिन इस बार उन्होंने अपने किरदार में भिन्नता लायी है। उन्होंने अपने किरदार से उस प्रशासन का चेहरा दिखाया है, जहां एक ही धर्म है पैसा। वर्डिक्ट : अच्छे थ्रिलर पसंद करने वालों को पसंद आएगी फिल्म। Review By: अनु वर्मा

Posted By: Shweta Mishra