- राजधानी के 70 चौराहों पर करोड़ों खर्च कर लगाए गए थे 280 सीसीटीवी कैमरे

- टेंडर बदलने की वजह से दो महीने तक नहीं हो सकी रिकॉर्डिग

- नई कंपनी की लचर कार्यशैली के चलते अब तक आधे कैमरों की फीड ही हो पा रही रिकॉर्ड

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW : राजधानी को अपराध मुक्त बनाने और अपराधियों को समय रहते दबोचने के लिये सिटी के 70 चौराहों पर करोड़ों रुपये खर्च कर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे किसी काम के नहीं. ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे, आलमबाग में आरके ज्वैलर्स में दो की हत्या कर लाखों की लूट की संगीन वारदात को अंजाम देने वाले अपराधी किस रास्ते भागे और कहां छूमंतर हो गए, इसका अब तक सुराग नहीं लग सका है. वजह सुनकर भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल, राजधानी के प्रमुख चौराहों के सीसीटीवी कैमरों की फीड रिकॉर्ड का कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली कंपनी दो महीने में सर्वर ही नहीं लगा सकी. वहीं, फजीहत के बाद मिली अधिकारियों की फटकार के बाद कंपनी ने सर्वर तो लगा लिया लेकिन, अब तक सिर्फ आधे कैमरों की ही फीड रिकॉर्ड हो पा रही है. यानी आधे शहर की हरकत को 'तीसरी आंख' रिकॉर्ड नहीं कर रही. ऐसे में शहर के प्रमुख इलाकों को सीसीटीवी सर्विलांस में लाने की कवायद सवालों के घेरे में है.

44 करोड़ खर्च, नतीजा सिफर

मुंबई में आतंकी हमले से सबक लेते हुए पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में शहर के 70 चौराहों को सीसीटीवी सर्विलांस के दायरे में लाया गया था. इन चौराहों पर 44 करोड़ रुपये खर्च कर कुल मिलाकर 280 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. इन कैमरों की फीड एलडीए के सामने स्थित चीनी निगम की बिल्डिंग में स्थापित किये गए कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में पहुंचती है. इस फीड के जरिए निरंतर शहर के प्रमुख जगहों की निगरानी की जाती है. इसके अलावा इस फीड को रिकॉर्ड करने के लिये टेक महिंद्रा कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. जिसके बाद से यह कंपनी अपना सर्वर लगाकर फीड रिकॉर्ड कर रही थी. हालांकि, पेमेंट में हीलाहवाली के चलते कंपनी ने काम जारी रखने से हाथ खड़े कर दिये.

कमांड सेंटर ने हाथ किये खड़े

आखिरकार, जनवरी महीने में टेकयॉन कंपनी ने फीड रिकॉर्ड व कैमरों की मेंटीनेंस का कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिया. लेकिन, दो महीने तक कंपनी सर्वर लगाने में ही नाकाम रही. इसी बीच आलमबाग में आरके ज्वैलर्स में दो लोगों की हत्या कर लाखों की लूटपाट की घटना हो गई. जांच में जुटी पुलिस टीमों ने बदमाशों की मूवमेंट तलाशने के लिये कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से आलमबाग चौराहे व आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डेड फीड मांगी लेकिन, पता चला बीते दो महीने से फीड रिकॉर्ड ही नहीं हो रही. ऐसे में कमांड सेंटर ने कोई भी मदद करने से हाथ खड़े कर दिये.

फटकार के बाद हरकत में आई कंपनी

सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी चूक ने अधिकारियों को भी हैरान कर दिया. पड़ताल में कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाली कंपनी की लापरवाही सामने आई. कंपनी के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई गई. जिसके बाद हरकत में आई कंपनी ने आनन-फानन सर्वर लगाया लेकिन, धीमी रफ्तार के चलते अब तक आधे यानी सिर्फ 140 कैमरों की फीड रिकॉर्ड हो पा रही है. कमांड सेंटर के अधिकारी दावा करते हैं कि जल्द ही सभी कैमरों की फीड रिकॉर्ड होने लगेगी, पर यह काम कब तक पूरा होगा इस बारे में कोई भी कुछ भी दावे के साथ बोलने को तैयार नहीं है.

फैक्ट फाइल

- 70 चौराहों पर लगाए गए थे सीसीटीवी कैमरे

- 280 सीसीटीवी कैमरे व एनपीआर लगाए गए

- 44 करोड़ रुपये हुए थे खर्च

- 140 कैमरों की फीड वर्तमान में हो पा रही रिकॉर्ड

वर्जन.....................

टेकयॉन कंपनी ने 10 मार्च से कैमरों की फीड रिकॉर्ड करने का काम शुरू किया है. अब तक 140 कैमरों की फीड रिकॉर्डिग शुरू हो गई है. बाकी बचे कैमरों को सर्वर से जोड़ने का काम चल रहा है.

- सर्वेश कुमार मिश्र, एएसपी, मॉर्डन कंट्रोल एंड कमांड सेंटर

Posted By: Kushal Mishra