जिंबाब्वे के बेहतरीन क्रिकेटरों में शुमार हेमिल्टन मसाकाद्जा ने शुक्रवार को अपने करियर का आखिरी मैच खेला। बांग्लादेश में हो रही टी-20 ट्राई सीरीज में मसाकाद्जा ने अफगानिस्तान के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आखिरी मैच खेला।


कानपुर। जिंबाब्वे क्रिकेट टीम के कप्तान हेमिल्टन मसाकाद्जा ने अफगानिस्तान के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आखिरी मैच खेला। इस मैच में हेमिल्टन ने 42 गेंदों पर नाबाद 71 रन की पारी खेली। अपनी पारी के दम पर उन्होंने अपनी टीम को इस मैच में 7 विकेट से शानदार जीत भी दिलाई। बेहतरीन पारी और शानदार जीत के साथ उन्होंने अपने 18 वर्ष के क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया। इंटरनेशनल क्रिकेट में शानदार आगाज9 अगस्त 1983 को हरारे में जन्में हेमिल्टन मसाकाद्जा जिंबाब्वे के सबसे चर्चित क्रिकेटरों में शुमार रहे हैं। हेमिल्टन ने कम उम्र में ही क्रिकेट में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था। सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक लगाने वाले जिंबाब्वे खिलाड़ी हों या एक सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले जिंबाब्वे के बल्लेबाज, मसाकाद्जा ने 18 साल के करियर में कई शानदार प्रदर्शन किए।


17 साल की उम्र में जड़ा टेस्ट शतक

हेमिल्टन मसाकाद्जा के नाम सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक लगाने का संयुक्त रूप से रिकाॅर्ड है। मसाकाद्जा ने 2001 में वेस्टइंडीज के खिलाफ हरारे में डेब्यू मैच में 119 रन की पारी खेली थी। उस वक्त मसाकाद्जा की उम्र 17 साल थी। हालांकि इसी उम्र में सचिन तेंदुलकर सहित तीन अन्य क्रिकेटरों ने भी टेस्ट सेंचुरी लगाई थी। मगर सबकी उम्र में दिनों का फर्क है। हालांकि जिंबाब्वे की तरफ ये कारनामा करने वाले मसाकाद्जा इकलौते खिलाड़ी हैं। यही नहीं हैमिल्टन पहले अश्वेत खिलाड़ी भी थे जिन्होंने अपने देश के इतनी कम उम्र में शतक लगाया।पढ़ाई पूरी करने के लिए छोड़ दिया क्रिकेटडेब्यू टेस्ट में शतक लगाने के बाद मसाकाद्जा कुछ मैच खेलने के बाद दोबारा जिंबाब्वे क्रिकेट टीम में नजर नहीं आए। दरअसल हैमिल्टन को अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी जिसके लिए तीन साल तक उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक ले लिया और यूनिवर्सिटी ऑफ फ्री स्टेट में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने लगे। हालांकि जिंबाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें इस शर्त पर पढ़ाई के लिए भेजा जब भी टीम को उनकी जरूरत पड़ेगी वह तुरंत आ जाएंगे। हालांकि तीन साल बाद हैमिल्टन जब वापस लौटे तो उनकी फाॅर्म खो चुकी थी, ऐसे में सलेक्टर्स ने उन्हें टीम में न रखने का निर्णय लिया।दूसरा शतक लगाने में लगे 10 साल

साल 2002 में जिंबाब्वे के लिए आखिरी टेस्ट खेलने के बाद मसाकाद्जा की नेशनल टीम में इंट्री तीन साल बाद हुई। 2005 में बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज में हैमिल्टन को टेस्ट खेलने का मौका मिला मगर इस शानदार बल्लेबाज को दूसरी सेंचुरी लगाने में काफी वक्त लग गया। मसाकाद्जा ने डेब्यू टेस्ट में शतक लगाने के बाद दूसरा शतक 10 साल बाद लगाया। साल 2011 में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में मसाकाद्जा ने 104 रन की पारी खेली थी। जिंबाब्वे के लिए 38 टेस्ट खेलने वाले मसाकाद्जा के नाम 2223 रन दर्ज हैं जिसमें 5 शतक और 8 अर्धशतक भी शामिल हैं। टेस्ट में हैमिल्टन का हाईएस्ट स्कोर 158 रन है।एक रिकाॅर्ड जो कोहली भी नहीं तोड़ पाएवनडे क्रिकेट की बात करें तो मसाकाद्जा के नाम 209 मैचों में 27.73  की औसत से 5658 रन दर्ज हैं। इसमें पांच शतक और 34 अर्धशतक दर्ज हैं। बता दें वनडे में एक रिकाॅर्ड ऐसा है जिसमें मसाकाद्जा का नाम विराट कोहली से ऊपर आता है। ये रिकाॅर्ड पांच मैचों की बाइलिटरल सीरीज में सबसे अधिक रन बनाने का है। जिसमें टाॅप पर पाकिस्तान के फखर जमान हैं जिन्होंने 515 रन बनाए हैं वहीं दूसरे नंबर पर हेमिल्टन मसाकाद्जा हैं जिनके 467 रन हैं इसके बाद विराट कोहली का नाम आता है जिन्होने 453 रन बनाए हैं।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari