फ्लैग- डीएम ऑफिस, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, विकास भवन और इलेक्टिसिटी ऑफिस में दिव्यांगों के लिए नहीं मिली सुविधाएं

-गवर्नमेंट ऑफिसेज में दिव्यांगों के लिए नहीं मिले रैंप और व्हीलचेयर

-टॉयलेट में भी मिला ताला, अलग पार्किंग की भी नहीं दिखी व्यवस्था

बरेली: दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन सैटरडे को जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने कुछ गवर्नमेंट ऑफिसेज में रियलिटी चेक किया तो देखा कि अफसरों ने दिव्यांगों को आने के सभी रास्तों को आसान बनाने की बजाए मुश्किल कर दिए हैं। किसी भी ऑफिस में दिव्यांगों के लिए रैंप नहीं बनाया गया है और न ही व्हील की व्यवस्था की है। हैरत की बात है कि दिव्यांग टॉयलेट पर भी ताला लगा दिया है। वहीं दिव्यांगों के वाहनों के लिए पार्किंग के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई हैं। जबकि इन ऑफिसेज में डेली कई दिव्यांग आते हैं, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं देखकर मायूस होकर लौट जाते हैं।

विकास भवन: सेकंड फ्लोर में ऑफिस, कैसे पहुंचे दिव्यांग

विकास भवन थर्ड फ्लोर तक बना है। साथ ही इसमें कई ऑफिस भी है। ग्राउंड फ्लोर में दिव्यांगों के आने-जाने के लिए रैंप बनाया है, लेकिन सीडीओ का ऑफिस का सेकंड फ्लोर है। और पूरी बिल्डिंग में लिफ्ट की सुविधा भी नहीं है। ऐसे में किसी भी दिव्यांग का सीडीओ तक पहुंच पाना किसी चैलेंज से कम नहीं है। व्हील चेयर की सुविधा भी नहीं है और न ही अलग से पार्किंग की सुविधा है। वहीं दिव्यांगों के लिए कोई अलग से टॉयलेट नहीं है। आम लोगों के लिए बने टॉयलेट से गंदा रहने के कारण दुर्गध इतनी आती है कि उस रास्ते से कोई निकलते समय नाक दबाकर निकलता है।

चीफ इंजीनियर ऑफिस: काउंटर तक पहुंचना चैलेंज से कम नहीं

बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर ऑफिस में बिजली बिल जमा करने के लिए काउंटर ऐसी जगह पर बनाए हैं जहां पर दिव्यांगों को पहुंचने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। बिजली बिल काउंटर पर पहुंचने के लिए दिव्यांगों को तीन सीढि़यां पार करनी पड़ेंगी। दिव्यांगों के लिए रैंप की सुविधा नहीं है और न ही व्हील चेयर मिलेंगे। चीफ इंजीनियर अॅाफिस में भी जाने के लिए दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं है। जिससे दिव्यांगों को डेली परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल: टॉयलेट पर डाल दिया ताला

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दिव्यांगों के लिए इमरजेंसी के पास टॉयलेट और रैंप बना हुआ है। लेकिन जिम्मेदारों ने टॉयलेट में ही ताला डाल दिया है। टॉयलेट जाने के लिए दिव्यांग इधर-उधर भटकते रहते हैं। वहीं इमरजेंसी में बने टॉयलेट इतने गंदे हैं कि सांस लेना दूभर हो जाता है। पुरुष हॉस्पिटल में सीएमओ ऑफिस के पास भी बाहर को टॉयलेट बना है जहां पर रैंप बनी है लेकिन वहां पर जलभराव है और रैंप इतना छोटा है कि उस पर व्हील चेयर निकला नामुमकिन है।

डीएम ऑफिस: टॉयलेटों में नहीं रैंप, व्हीलचेयर भी नदारद

डीएम ऑफिस पर दिन भर आने वाले फरियादियों की लाइन लगी रहती है। यहां पर कई दिव्यांग आते हैं। यहां पर रैंप बना हुआ है, लेकिन व्हील चेयर न होने से दिव्यांगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहीं कलेक्ट्रेट ऑफिस में मेन गेट के राइट साइड टॉयलेट बना है, लेकिन उसमें दिव्यांगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। चीढि़यों के चलते दिव्यांगों को वहां जाने में काफी दिक्कत होती है। इसके अलावा टॉयलेट में बहुत गंदगी रहती है। दिव्यांगों के लिए अलग पार्किंग का कोई व्यवस्था नहीं दिखी।

दिव्यांगों की सुविधाओं को जब सरकारी ऑफिस में ही अनदेखा किया जाएगा तो निजी ऑफिस भी लापरवाही करेंगे। इसके लिए अफसरों को ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि सरकार दिव्यांगों को आगे बढ़ा रही है तो स्थानीय अफसरों को भी सहयोग करना चाहिए।

शिवांश

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-अफसरों को अपने ऑफिस में दिव्यांगों की सुविधाओं को ध्यान देना चाहिए। मेन अफसरों के ऑफिस के बाहर तक रैंप तक ही व्यवस्था नहीं है। इसके लिए अफसर खुद ध्यान दें। कम से कम दिव्यांगों के लिए तो सुविधाएं होनी ही चाहिए।

दिव्यांशु

Posted By: Inextlive