सरस मेले में हाथ से बने सामानों की हो रही खूब बिक्री

सजावटी सामान लोगों का ध्यान कर रहे आकर्षित

DEHRADUN : दीपावली पर घर की सजावट को लेकर खास ध्यान रखा जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से प्लास्टिक की सजावट सामग्री का चलन काफी बढ़ जाने से हाथ के कारीगरों को नुकसान हुआ है। हाथ से सजावटी सामान बनाने वालों ने अब टेराकोटा मिट्टी से कलाकृतियां और सजावट का अन्य सामान बनाना शुरू किया है। इन दिनों परेड ग्राउंड में चल रहे सरस मेले में हाथ से बने इस तरह के सजावटी समान की कई दुकानें लगी हुई हैं। खास बात यह है कि दीपावली से पहले इस सजावटी सामान की खूब बिक्री हो रही है।

क्या है टेराकोटा

टेराकोट एक खास तरह की मिट्टी है, जो आम मिट्टी से अधिक चिकनी होने से इससे अधिक सफाई से कलाकृतियां बनाई जाती हैं। पीओपी का सांचा बनाकर टेराकोटा की कलाकृतियां ढाली जाती हैं। सूखने के बाद उन्हें विशेष प्रकार की भट्ठी में पकाया जाता है और उन पर रंग चढ़ाये जाते हैं। देशी कलाकार ये सभी काम अपने ही हाथ से करते हैं।

गोरखपुर के टेराकोटा की मांग

सरस मेले में टेराकोटा से ज्यादातर स्टॉल गोरखपुर के सेल्फ हेल्प ग्रुप के हैं। सजावटी दीये, देवताओं की प्रतिमाएं और अन्य सजावटी सामान बेचने वाले अरविन्द कुमार गौतम कहते हैं पिछले कुछ सालों से दीपावली पर उनका सामान अधिक बिकने लगा है। गोरखपुर के ही अर्जुन प्रजापति का कहना है कि अब प्लास्टिक के खतरे लोग समझने लगे हैं, इसलिए टेराकोटा की मांग बढ़ रही है।

सितारगंज के फ्लावर पॉट्स

सितारगंज की लक्ष्मी सरकार अपने सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वार निर्मित फ्लावर पॉट्स और मूर्तियां लेकर आई हैं। टेराकोटा के पॉट्स और मूर्तियां पहले से तैयार किये गये हैं, जबकि रंगीन मॉटन कपड़े, फोम, तार और बांस की डंडी की मदद से लक्ष्मी सरकार और उनके साथ कलाकार रंगबिरंगे फूल मांग के अनुसार स्टॉल पर ही बना रहे हैं। उनके फ्लावर पॉट्स की अच्छी बिक्री हो रही है।

हाथ से बना पूजा का समान

गुजरात के बाबू भाई पहल ग्रुप का हाथ से बना पूजा का सामान लेकर आये हैं। इसमें चंदन, गुलाब, जासमीन, मोगरा और लोबान की महक वाली अगरबत्तियां, धूप, बत्ती, नागचम्पा और हाथ से बने तांबे के दीये शामिल हैं। बाबूभाई की नागचम्पा अगरबत्ती खासी खूशबूदार है। वे कहते हैं कि नागचम्पा अगरबत्ती वे एक्सपोर्ट भी करते हैं।

Posted By: Inextlive