विधि विधान से पूजन और पूजन में सावधानी बरतने की ज्योतिषाचार्यो ने दिया है सुझाव।

BAREILLY: महावीर हनुमान महाकाल शिव के 11वें रुद्रावतार हैं। जिनकी विधिवत् उपासना से सभी बाधाओं का नाश होता है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस बार शनिवार को हनुमान जयंती का शुभ आगमन हो रहा है। जिसकी वजह से शनिवारी हनुमान जयंती का विशेष संयोग जातकों को मिला है। संयोग के प्रभाव से विधि विधान से हनुमान का पूजन करने से शनि के कष्टों से जातकों को छुटकारा मिलेगा। बताया कि इस बार विजयाभिनंदन जयंती मनाई जाएगी। जो विपरीत परिस्थितियों में भी विजय दिलाएंगे।

 

हनुमान जयंती पर मान्यता

उत्सव सिन्धु एवं व्रत रत्‌नाकर के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को जयंती मनाते हैं। ग्रन्थों के आधार पर पहला जन्मदिन है, दूसरा विजयाभिनन्दन का महोत्सव। उत्सव सिन्धु के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, भौमवार को स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में माता अंजनी के गर्भ से हनुमान के रूप में स्वयं शिव जन्मे थे। 'व्रत रत्‌नाकर' में कार्तिक कृष्ण की भूततिथि को मंगलवार के दिन महानिशा में अंजना देवी ने हनुमानजी को जन्म दिया था। हनुमदुपासना कल्पद्रुम में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार के दिन मंजू मेखला से युक्त, कोपीन से संयुक्त और यज्ञोपवीत से भूषित हनुमान जी उत्पन्न हुए। इनके अलावा अन्य मान्यताएं भी हैं।

 

पूजन की विधि

पूर्व या उत्तर की ओर मुख करलाल आसन पर बैठें। विधि विधान से पूजन करें। षोडषोपचार पूजन 'ऊँ हनुमत: नम:' मंत्र से करें। नैवेध में गुड़, भीगा चना रखें। सरसों या तिल के तेल का दीपक या धूप जलाएं। फिर यथा शक्ति अनुसार मंत्रों का जाप करें। इस दिन जीवन में अभावों, कष्टों के निवारणा के लिए हनुमान जी के निम्न द्वादश नामों का स्मरण 151 बार करें। इसमें हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुन सखा, पिंगलाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोक विनाशन, लक्ष्मण प्राण दाता और दशग्रीवदर्पहा नाम हैं।

 

 

101 मंत्र जपें

'ओम श्री रामदूताय नम:'

 

पूजन में सावधानी

- ब्रह्मचर्य व्रत का पालन

- प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं

- सिन्दूर में तिल के तेल को मिलाकर शरीर पर लगाएं

- लाल पुष्प ही हनुमान जी को अर्पित करें

- नैवेध में गुड़ और गेहूं की रोटी का चूरमा चढ़ाएं

- उपासना में दक्षिण दिशा मुख कर साधक मंत्र जाप करें


पूजन का मुहूर्त

हस्त नक्षत्र युक्त धु्रव एवं अमृत योग में करें पूजन

प्रथम पूजन मुर्हुत - सुबह 7.51 से दोपहर 12.25 बजे तक

द्वितीय पूजन अभिजित मुर्हुत - दोपहर 12.01 से दोपहर 12:49 बजे तक

सूर्यास्त कालीन पूजन मुहूर्त - 6.30 से रात 10.55 बजे तक

 

शनिवारी हनुमान जयंती पर सामूहिक विधि विधान से पूजन करना श्रेयस्कर रहेगा। हनुमत मंत्र जाप करें और अभिजीत मुहूर्त में पूजन करें।

पं। राजीव शर्मा, ज्योतिषाचार्य, बाला जी ज्योतिष संस्थान

Posted By: Inextlive