कानून के छात्र, पेंटर और होम्योपैथी के जानकार एक्टर को लोग कहते थे दादामुनि
1- अशोक कुमार का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में हुई, उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की, जिसके बाद कोलकाता से उन्होंने लॉ की पढ़ाई की। लॉ पढ़ने की वजह उनके पिता कुंजलाल गांगुली थे जो पेशे से वकील थे। 2- कानून के ही नहीं अशोक कुमार चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी ज्ञान रखते थे वो होम्योपैथी की अच्छी जानकारी रखते थे। इसके साथ ही वे बहुत अच्छे पेंट भी , और गाने और अभिनय में भी उनकी कितनी जबरदस्त पकड़ थी ये उन्होंने अपनी फिल्मों में साबित किया था। उनका एक गाना रेलगाड़ी आज भी लोगों को याद आता है।
3- फिल्मों में अशोक कुमार के आने की वजह उनके दोस्त फिल्ममेकर शशधर मुखर्जी बने जिनसे बाद में अशोक ने अपनी बहन की शादी भी की। शशधर ने ही 1934 में न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम कर रहे अशोक कुमार को अपने पास बाम्बे टॉकीज में बुलाया और उनके एक्टिंग करियर की शुरूआत हुई।
फिल्म 7 हिंदुस्तानी के अमिताभ बच्चन के 7 किरदार4- 1936 मे बांबे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया के निर्माण के दौरान मेन लीड अभिनेता नजम उल हसन ने किसी कारण से फिल्म छोड़ दी और बांबे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय ने अशोक कुमार से फिल्म में काम करने के लिए कहा। इसके साथ ही अशोक का बतौर अभिनेता फिल्मी सफर शुरू हो गया।
8- 1943 में अशोक ने एक और बड़ा फैसला किया जो उस दौर में एक बोल्ड स्टेप माना गया उन्होंने फिल्म 'किस्मत' में बतौर एंटी हीरो काम किया। फिल्म ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की और उस वक्त में 1 करोड़ का बिजनेस करने वाली पहली फिल्म बनी। 'किस्मत' ने बॉक्स आफिस के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए कोलकाता के चित्रा सिनेमा में लगभग चार वर्ष तक लगातार चलने का रिकार्ड भी बनाया।
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10- 1984 मे दूरदर्शन के के पहले सोप ओपेरा 'हमलोग' में वह सूत्रधार की भूमिका मे दिखाई दिए। छोटे पर्दे पर उन्होंने 'भीमभवानी', 'बहादुर शाह जफर' और 'उजाले की ओर' जैसे सीरियल मे भी काम किया। अशोक कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार मिला पहली बार 'राखी' के लिए 1962 में और दूसरी बार फिल्म 'आर्शीवाद' के लिए 1968 में, इसके अलावा 1966 मे फिल्म 'अफसाना' के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड दिया गया। दादामुनि को हिन्दी सिनेमा के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए 1988 में हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के' पुरस्कार और 1999 में भारत सरकार की ओर से कला के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया। Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk