दर्शील सफारी का जन्‍म 9 मार्च 1997 में हुआ था. दर्शील हिंदी की बॉलीवुड फ‍िल्‍मों के एक बेहतरीन नन्‍हे कलाकार हैं. उन्‍होंने 2007 में अपनी फ‍िल्‍म 'तारे जमीं पर' में डिस्‍लेक्‍सिया से पीड़‍ित बच्‍चे की भूमिका निभाई थी. इसके अलावा वह मुंबई के एचआर कॉलेज से कॉमर्स और अर्थशास्‍त्र की पढ़ाई भी कर रहे हैं. दर्शील के पिता मितेश सफारी ने भी एक महाकाव्‍य पर आधारित सीरियल 'चाणाक्‍य' में नन्‍हे चाणाक्‍य का किरदार निभाया था.

कैसे मिली दर्शील को उनकी पहली मूवी
2007 में सफारी ने अपनी पहली पहली की. फिल्म का नाम था 'तारे जमीं पर'. फिल्म में दर्शील ने एक बेहद शैतान और डिस्लैक्सिया से पीड़ित बच्चे का किरदार निभाया है. इसमें इस बच्च्ो का नाम है इशान नंदकिशोर अवस्थी. सफारी को फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर और क्रिएटिव डायरेक्टर ने ढूंढ कर निकाला था. यह 2006 में उस समय की बात है जब यह दोनों फिल्म में लीड रोल के लिए एक नन्हे होनहार बच्चे की तलाश कर रहे थ्ो. सैकड़ों बच्चों का ऑडीशन लेने के बाद भी इन्हें वह नहीं मिल सका, जो उनकी उम्मींदों पर खरा उतर सके. इसके बाद अचानक एक दिन श्यामक डावर की डांस क्लास के दौरान इन दोनों की नजर दर्शील पर पड़ी. उसका ऑडीशन लेने पर उन्हें उसमें उस स्कूल बंग करने वाले और शरारती बच्चे की पूरी झलक मिली जिसकी उन्हें तलाश थी. उसकी आंखों में वही शरारत थी जो उन्हें चाहिए थी. फिल्म में सफारी की परफॉर्मेंस को दर्शकों ने खूब पसंद किया. इसके लिए इन्होंने कई पुरस्कार भी बटोरे. उनकी एक्टिंग को लेकर बड़े-बड़े कलाकारों ने उनकी तारीफ की.
'तारे जमीं पर' को मिले अवार्ड्स
2007 में रिलीज होने के बाद फिल्म के लिए दर्शील को सबसे पहले 2008 में Filmfare Critics Award for Best Actor से नवाजा गया. 2008 में ही वह Filmfare Best Actor Award के लिए भी नॉमिनेटेड हुए. 2008 में स्टार स्क्रीन अवॉर्ड्स में इन्हें Best Child Artist के लिए पुरस्कार मिला. 2008 में ही फिल्म के लिए इन्हें Star Screen Award Special Jury Award मिला. इसी के लिए इन्हें Zee Cine Awards भी मिला. इसी सन में Zee Cine Award की ओर से दर्शील को Critics' Choice Best Actor का खिताब भी दिया गया. 2008 में ही Zee Cine Awards की ओर से इनको इसी फिल्म के लिए Most Promising Debut (Child Artiste) का भी पुरस्कार मिला.

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क्या करना चाहते हैं दर्शील निजी जिंदगी में
2007 में दिए एक इंटरव्यु में दर्शील सफारी ने अपने भविष्य के सपनों की किताब खोली. उनका कहना है कि बड़े होकर उन्होंने अपने कॅरियर को लेकर कई तरह के प्लान बनाए हैं. ऐसे में वो गाने, डांस, बिजनेस या फिर ज्वैलरी डिजायनिंग में से किसी एक क्षेत्र में कुछ न कुछ करना चाहेंगे. अब देखना यह है कि दर्शील अपने सपनों की दुनिया में खुद को कहां तक पहुंचा पाते हैं.    
दर्शील की कुछ बेहतरीन फिल्में
फिल्म 'तारे जमीं पर' (2007)
2007 में दर्शील ने फिल्म 'तारे जमीं पर' से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की. फिल्म में वह डिस्लेक्सिया से पीड़ित नन्हे, शरारती इशान नाम के बच्च्ो के किरदार में नजर आए हैं. फिल्म के लिए इन्हें छह अलग-अलग तरह के अवॉर्ड्स मिले.
      
फिल्म 'बम बम बोले' (2010)
निर्देशक प्रियदर्शन की फिल्म 'बम बम बोले' में भी दर्शील के रोल को दर्शकों की खूब सराहना मिली. फिल्म में दर्शील के अलावा अतुल कुलकर्णी, रितुपर्णा सेनगुप्ता और जिया वास्तानी भी नजर आए हैं. फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है कि चाय के बागानों में काम करके मुश्किल से दो वक्त की रोजी रोटी चला रहे खोगी राम (अतुल कुलकर्णी) और उसकी पत्नी (रितुपर्णा सेनगुप्ता) का सपना है कि उनके दोनों बच्चे पिनू (दर्शील सफारी) और रिमझिम (बेबी जिया) पढ़ लिख कर नाम कमाएं. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए दोनों बच्चे भी दिन रात मेहनत करते है.
फिल्म 'जोकोमन' (2011)
फिल्म में जोकोमन बाल सुपर हीरो के रूप में नजर आया है. यह किरदार कुनाल के नाम से निभाया है दर्शील ने. फिल्म में एक परिवार की कहानी है, लेकिन साथ ही बाहर की खूबसूरत दुनिया का निर्माण किया गया है. चाचा देशराज की निगरानी में पल रहे कुनाल को अचानक अपने बारे में एक राज पता चलता है कि उसके पास कुछ ऐसी शक्ति है, जिससे वो शक्तिशाली हो सकता है. वो अपने अन्याय के प्रति आवाज उठाने के लिए उसी शक्ति का सहारा लेता है और अचानक वह शक्तिशाली जोकोमन का रूप ले लेता है. इसमें उनकी मदद उसके अंकल करते हैं.
फिल्म 'मिड नाइट्स चिल्ड्रेन्ा' (2012)
सलमान रुश्दी की मिडनाइट्स चिल्ड्रेन को बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसे भारत और पाकिस्तान के विभाजन की सबसे मार्मिक कहानियों में गिना जाता है. फिल्म की कहानी आधारित है दो बच्चों पर. वे 14 अगस्त 1947 में पैदा होते हैं. बच्चों की देखभाल करने वाली आया का किरदार सीमा बिसवास ने निभाया है. वह दोनों बच्चों को बदल देती है. सत्या भाभा ने सलीम सिनाई की जबरदस्त भूमिका निभाई है. शाहाना गोस्वामी ने उनकी मां का व राहुल बोस ने उनके मामा का किरदार निभाया है. फिल्म के अंत में सीमा बिस्वास सलीम के बेटे की खोई मां की जगह ले लेती है. सबके लिए प्यार की मिसाल कायम करती है.

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Posted By: Ruchi D Sharma