हिंदी सिनेमा के फ‍िल्‍म प्रोड्यूसर डायरेक्‍टर और स्‍क्रीनराइटर प्रकाश झा का जन्‍म 27 फरवरी 1952 में हुआ. प्रकाश झा को बॉलीवुड में राजनीतिक और सामाजिक-राजनीतिक फ‍िल्‍मों ने एक अहम जगह दिलाई. उनकी ऐसी फ‍िल्‍मों में दामुल 1984 मृत्‍युदंड 1997 गंगाजल 2003 अपहरण 2005 मल्‍टीस्‍टारर हिट मुवी राजनीति 2010 आरक्षण 2011 चक्रव्‍यूह 2012 और सत्‍याग्रह 2013 प्रमुख रहीं. इनके अलावा वह कई राष्‍ट्रीय फ‍िल्‍म पुरस्‍कार विजेता डॉक्‍युमेंट्रीज़ के निर्माता भी रहे हैं. इनमें Faces After The Storm 1984 और सोनल 2002 जैसी डॉक्‍युमेंट्रीज़ खास हैं.

दामुल (1984)  
अनु कपूर, श्रीला मजुमदार, मनोहर सिंह, दिप्ती नवल और रंजन कामथ स्टारर फिल्म दामुल कहानी है एक ऐसे मजदूर की, जिसको अपने भू-स्वामी के लिए चोरी करने के लिए मजबूर किया जाता है. भूस्वामी के प्रति ऐसी मजबूरी से वो ताउम्र के लिए बंधा है. फिल्म का सेट है 1984 के बिहार का. फिल्म फोकस कर रही है जाति पर आधारित राजनीति और बंधुआ मजदूरों के जरिए निचली जातियों के उत्पीड़न पर. फिल्म बिहार के गरीब ग्रामीणों के प्रवास के मुद्दे को भी उजागर करती है.    
मृत्युदंड (1997)  
माधुरी दीक्षित, शबाना आजमी, अयूब खान, मोहन आगशे और ओम पुरी स्टारर यह फिल्म मृत्युदंड पर आधारित एक तरह का भारतीय हिंदी ड्रामा है. फिल्म पूरी तरह से सामाजिक और लैंगिक अन्याय पर टिकी है. जैसा कि प्रकाश झा की फिल्में सामाजिक समस्याओं पर ज्यादा फोकस करती दिखाई देती हैं, वैसे ही उनकी यह फिल्म भी कुछ ऐसे ही सामाजिक मुद्दे पर आधारित कला और व्यावसायिक फिल्म के बीच की सीमा को तय करती है. फिल्म में मृत्युदंड की प्रथा को उजागर किया गया है. फिल्म में अर्द्ध शास्त्रीय (semi-classical) संगीत का बेहतरीन तालमेल देखने को मिलता है. ये संगीत तैयार किया गया है आनंद मिलिंद और रघुनाथ सेठ के द्वारा और इसको शब्द दिए हैं जावेद अख्तर ने.

देखें इसे भी : तस्वीरों में देखें, राजनीति पर आधारित प्रकाश झा की 8 सफल फिल्मों के बारे में     
गंगाजल (2003)
अजय देवगन, ग्रेसी सिंह और मुकेश तिवारी स्टारर यह फिल्म बॉलीवुड में एक्शन ड्रामा फिल्मों का सबसे बड़ा उदाहरण है. फिल्म का साइड ट्रैक भागलपुर की घटना पर आधारित है. फिल्म में तेजाब को गंगाजल के नाम से संबोधित किया गया है. इसके साथ ही गांव में इसी गंगाजल से सभी गलत काम करने वालों को पवित्र करने वाली प्रथा को दिखाया गया है. फिल्म का अंत होता है इसी गंगाजल (तेजाब) से नहलाकर गांव में अराजकता फैलाने वालों का अंत करते हुए, प्रथा का भी अंत करके. गंगाजल इंडियन बॉक्स ऑफिस पर काफी हिट हुई थी.   
अपहरण (2005)  
अजय देवगन, बिपाशा बासु, नाना पाटेकर स्टारर फिल्म 'अपहरण' एक भारतीय हिंदी ड्रामा है, जो अपराध पर आधारित है. फिल्म की कहानी आधारित है पिता औ बेटे के बीच जटिल रिश्तों और उनके बीच विचारधाराओं के टकराव की. फिल्म के सेट पर है बिहार के पूर्वी राज्य की औद्योगिक हस्ती के अपहरण की.  
राजनीति (2010)
अजय देवगन, नाना पाटेकर, रण्ाबीर कपूर, कैटरीना कैफ, अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेयी और नसीरुद्दीन शाह स्टारर फिल्म राजनीति आधारित है असल भारतीय राजनीति पर. फिल्म की पटकथा बहुत कुछ भारतीय महाकाव्य 'महाभारत' पर आधारित है, जिसमें आगे बढ़ने और राज्य की चाह में अपने ही अपनों को मारते और पछाड़ते चले जाते हैं.
 
आरक्षण (2011)
अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण स्टारर 'आरक्षण' भारतीय हिंदी ड्रामा फिल्म है. फिल्म भारत सरकार की ओर से सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थान में जाति आधारित आरक्षण की विवादास्पद नीति पर आधारित है. यह पूरी तरह से सामाजिक-राजनीतिक ड्रामा फिल्म है. फिल्म में प्रतीक बब्बर और मनोज बाजपेयी ने भी काम किया है.
 
चक्रव्यूह (2012)
अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेयी, कबीर बेदी, अंजली पाटिल और अभय देओल स्टारर यह फिल्म नक्सलियों के मुद्दों पर आधारित एक तरह की सामाजिक टिप्पणी है. फिल्म का प्लॉट 1973 में निर्देशक ऋषिकेश की अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना स्टारर फिल्म 'नमक हराम' से प्रेरित है.     
सत्याग्रह (2013)
अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेई, मिताली जगताप, अमृता राव और विपिन शर्मा स्टारर फिल्म भारतीय राजनीति पर आधारित है. फिल्म में अमिताभ बच्चन को एक ऐसी भारतीय नेता के रूप में दिखाया गया है जो कई राजनीतिक विषमताओं को मुद्दा बनाकर जनता के पक्ष में आंदोलन करते हैं. ऐसे में उनके कई समर्थक उनका साथ देते हैं और बीच में छोड़ भी देते हैं. आखिर में सब एक हो जाते हैं और जनता के साथ खड़े इस भारतीय नेता के आंदोलन को सफलता मिलती है.        
प्रकाश झा हार चुके हैं तीन लोकसभा चुनाव
प्रकाश झा ने तीन बार राजनीति में भी उतरने की कोशिश की, लेकिन तीनों ही बार उनको असफलता हाथ लगी. 2004 में देशी चंपारण से वह लोकसभा चुनाव में खड़े हुए, लेकिन जनता ने उनका साथ नहीं दिया. इसके बाद वो एक बार फिर 2009 में पश्चिम चंपारण से लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से खड़े हुए और आखिर में हार गए. 2014 में इन्होंने बतौर जेडीयू कैंडिडेट बेतिया से चुनाव लड़ा और फाइनली एक बार फिर हार गए.    
 
उनकी निजी जिंदगी और प्रोफेशनल लाइफ के बारे में
प्रकाश झा ने एक्ट्रेस दीप्ती नवल से 1985 में शादी की. इसके बाद इन्होंने एक बेटी को गोद भी लिया, जिसका नाम है दिशा. इसके बाद 2002 में दीप्ती से इनका तलाक भी हो गया. अपने प्रोफेशनल कोर्स के बीच में ही1974 से प्रकाश्ा ने फिल्मों पर काम करना शुरू कर दिया था. इस दौरान इन्होंने 1975 में अपनी पहली डॉक्युमेंट्री फिल्म बनाई. इसका नाम था 'Under the Blue'. अगले आठ साल तक वो ऐसा ही करते रहे. इस दौरान उन्होंने कई अत्यधिक राजनीतिक चार्ज वाली डॉक्यूमेंट्रीज़ भी बनाईं. इनमें 'Bihar Sharif riots' और 'Faces After Storm' (1984), प्रमुख रहीं. इन डॉक्युमेंट्रीज़ ने रिलीज होने के 4 से 5 दिन के अंदर ही लोगों को खासा आकर्षित किया. इतना ही नहीं इन फिल्मों ने बतौर बेस्ट नॉन फीचर फिल्म, नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी जीता. इसके बाद से शुरू हो गया प्रकाश झा का बिंदास फिल्मी कॅरियर.

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Posted By: Ruchi D Sharma