भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक पुलेला गोपीचंद का आज 46वां जन्मदिन है। सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं कोच के रूप में भी गोपीचंद ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आइए जानें पुलेला के जन्मदिन पर उनके करियर से जुड़ी रोचक बातें...


कानपुर। 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश में जन्में पुलेला गोपीचंद को बचपन से ही खेल में रुचि थी। शुरुआत में वह किसी एक खेल में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते थे। क्रिकेट से लेकर फुटबाॅल और बैडमिंटन, गोपीचंद हर खेल में हाथ आजमाते थे। मगर 11 साल की उम्र में आने के बाद उनके भाई ने गोपीचंद को बैडमिंटन में ध्यान देने की सलाह दी, उसके बाद इस खिलाड़ी ने इस खेल में ऐसा नाम कमाया कि दुनिया भी याद करती है।दीपिका पादुकोण के पिता से ली ट्रेनिंग
पुलेला गोपीचंद ने करियर के शुरुआती दिनों में मशहूर बैडमिंटन प्लेयर प्रकाश पादुकोण से ट्रेनिंग ली थी। प्रकाश पादुकोण बाॅलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के पिता हैं। प्रकाश ने गोपीचंद को बैडमिंटन की एबीसीडी सिखाई और उन्हें अच्छी तरह से कोचिंग दी। यही वजह है कि गोपीचंद ने साल 1996 में पहला नेशनल चैंपियनशिप टूर्नामेंट जीता। आपको बता दें गोपीचंद ने यह टाइटल अपने पांच साल तक लगातार जीता था।प्लाॅस्टर बांधकर खेला मैच


पुलेला गोपीचंद की खासियत थी कि वह जल्दी हार नहीं मानते थे। साल 1996 की बात है जब सार्क बैडमिंटन टूर्नामेंट के दौरान गोपीचंद के घुटने में चोट लग गई और उन्होंने प्लाॅस्टर बांधकर मैच खेला था। पुलेला के करियर की एक खास बात यह भी है कि जितने उन्होंने मैच नहीं जीते, उससे ज्यादा वह चोटिल हुए। इसके बावजूद उन्होंने अपने करियर को जारी रखा और भारतीय बैडमिंटन इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज करवाया।ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतीसाल 1998 में हुए काॅमनवेल्थ गेम्स में मेंस टीम मैच में गोपीचंद ने सिल्वर मेडल जीता। वहीं मेंस सिंगल मुकाबले में इसी साल उन्होंने ब्रांज मेडल पर कब्जा किया। साल 2001 में गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया था। ऐसा करने वाले वह प्रकाश पादुकोण के बाद दूसरे भारतीय खिलाड़ी थे।एकेडमी बनाने के लिए घर रखा गिरवी

बतौर खिलाड़ी बैडमिंटन से रिटायरमेंट के बाद पुलेला गोपीचंद ने हैदराबाद में बैडमिंटन एकेडमी खोली। हालांकि इसे वर्ल्ड क्लाॅस बनाने के लिए गोपीचंद को काफी संघर्ष करना पड़ा। डीडी न्यूज में दिए एक इंटरव्यू में पुलेला ने खुलासा किया था कि, सरकार ने उन्हें एकेडमी खोलने के लिए जमीन तो दे दी मगर इसमें सुविधांए पूरी करने के लिए कोई आगे नहीं आया। तब गोपीचंद ने अपना घर गिरवी रख एकेडमी को बेहतर बनाया ताकि युवा खिलाड़ियों को वहां अच्छे से प्रशिक्षण मिल सके।बतौर कोच हुए सुपरहिटखिलाड़ी के रूप में पुलेला ने खूब नाम तो कमाया ही बल्कि बतौर कोच उन्होंने भारत को दो ओलंपिक मेडलिस्ट भी दिए। हैदराबाद में गोपीचंद की एकेडमी में ही साइना नेहवाल, श्रीकांत और पीवी सिंधु जैसे खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग ली है। बता दें सिंधु ने ओलंपिक में सिल्वर तो साइना ने ब्रांज मेडल जीता है। इन खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के पीछे पुलेला गोपीचंद का ही हाथ हैं।खिलाड़ी और कोच का सर्वश्रेष्ठ अवार्ड जीतने वाले इकलौते भारतीयपुलेला गोपीचंद पहले और इकलौते भारतीय हैं जिन्होंने खिलाड़ी और कोच का सर्वश्रेष्ठ अवार्ड जीता है। साल 2001 में गोपीचंद को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया था वहीं 2009 में उन्होंने द्रोणाचार्य अवार्ड जीता। खेल के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए गोपीचंद को 2005 में पद्म श्री और 2014 में पद्म भूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari