Happy Holi 2021: होली की पूर्व संध्या पर होलिका दहन मनाया जाता है। चौक-चौराहों पर होलिका जलाई जाती है। मान्यता है कि होलिका दहन से वातावरण में नई एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ लोगों के कष्टों कटते हैं। आइए यहां जानें कैसे और क्यों मनाते हैं होलिका दहन...

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Happy Holi 2021: फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले मनाए जाने वाले होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस साल होलिका दहन 28 मार्च, रविवार को होगा। होलिका दहन भद्रा के समय में नहीं करना चाहिए। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 28 मार्च की शाम 6:37 बजे शुरू होगा और रात 8:56 बजे समाप्त होगा। होलिका दहन के लिए करीब एक सप्ताह पहले से तैयारियां होने लगती है। चाैक-चाैराहों पर पेड़ की टहनियां, गोबर की कंडे, सुखी लकड़ियां, घास आदि एकत्र की जाती है। इसके बाद मंत्रोचार के साथ पूजन कर होलिका दहन किया है।


क्यों मनाते हैं होलिका दहन
इस दाैरान जल तथा अन्य पूजा सामग्री होलिका को समर्पित कर दें। वहीं जब होलिका जलने लगे तो उसकी परिक्रमा करते हुए हुए कच्चा सूत लपेट दें। इस दाैरान गेहूं की बालियां भी उसमें अर्पित कर दें और बाद में इन्हें प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें। होलिका दहन से जुड़ी प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की पौराणिक प्रचलित है। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर ही हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को अग्नि में मारने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रही। भगवान विष्णु की कृपा से उनका भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका आग में जलकर मर गई। यह कहानी बुराई पर भक्ति की शक्ति के लिए जानी जाती है।

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Posted By: Shweta Mishra