- होली में शेक हैंड और गले लगाना करें अवायड

LUCKNOW: एक-दूसरे से मिलने पर शेक हैंड करने की बजाए नमस्ते करें। इसका अलावा ध्यान रखें कि कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोएं। इससे स्वाइन फ्लू से बचाव हो सकता है। होली में इस फंडे को अपनाने से केवल स्वाइन फ्लू से ही नहीं, बल्कि अन्य बीमारियों से भी बचाव होगा। दिन में तीन-चार बार साबुन से हाथ धोएं। यदि जुकाम है तो उसके लिए रुमाल जरूर रखें। मुंह और नाक पर कपड़ा रखकर ही छींके। इससे वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। यह जानकारी डॉक्टर्स ने दी।

संक्रमण से बचें

केजीएमयू के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। जेवी सिंह ने बताया कि स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ भी संक्रमण से बचे हुए हैं। यदि रोग नियंत्रित नहीं होता तो सबसे पहले मरीज केसम्पर्क में आने वाले ये लोग ही बीमार होते। बीमार मरीज को सामान्य परिवार वालों से अलग रखकर रोग को फैलने से रोका जा सकता है।

पैरासीटामाल और एंटीएलर्जिक लें

संजय गांधी पीजीआई के प्रो। टीएन ढोल का कहना है कि 90 फीसदी मरीजों को मौसमी जुकाम-बुखार है। ये तीन-चार दिन में ठीक हो जाता है। यदि दवा लेनी है तो पैरासीटामॉल और एंटीएलर्जिक ली जा सकती है। इससे मरीज को तीन दिन में राहत मिल जाएगी। ये सर्दी, जुखाम, बुखार इनफ्लूएंजा एचक्एनक् सीजनल, इंफ्लूएंजा बी और इनफ्लुएंजा एचफ्एनख् के कारण हो सकता है। पैरासीटामाल से फायदा न मिले तो फिर फिजीशियन की सहायता लेनी चाहिए। इसमें भी सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो ही मरीज की स्वाइन लू की जांच करानी चाहिए और उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।

लखनऊ में फ्7 नए मरीज

थर्सडे को भी लखनऊ में फ्7 नए मामले मिले हैं। यह मामले लखनऊ के विभिन्न इलाकों के हैं। इनको मिलाकर अकेले लखनऊ में स्वाइन फ्लू के कुल मरीजों की संख्या म्ब्भ् हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न अस्पतालों में थर्सडे को भी बड़ी संख्या में मरीज देखे गए और उनकी जांच भी की गई।

क्या करें, क्या नहीं

-मरीज के सामने नाक और मुंह ढंककर रखें

-किसी से मिलने पर हाथ साबुन से जरूर धोएं

-खूब पानी पिएं और पोषक भोजन करें

-बार-बार नाक, मुंह और आंखें न छुएं

-भीड़ वाले इलाकों में न जाएं

-मरीज से कम से कम एक हाथ दूर रहे

-एक-दूसरे से हाथ मिलाने से बचें, जगह-जगह न थूकें

-नाक और मुंह को पूरी तरह से ढक कर ही छींके या खांसे

- अपने आप दवाएं न लें।

प्रो। टीएन ढोल ने बताया कि डब्लूएचओ गाइड लाइन के अनुसार इनफ्लूएंजा के मरीजों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। उन्हें उसी गाइड लाइन के हिसाब से इलाज उपलब्ध कराया जाता है।

कैटेगरी -ए

इस कैटेगरी में ऐसे मरीज हैं जिन्हें हल्का बुखार, जुकाम, खांसी हो। सिर या बदन दर्द की शिकायत हो भी सकती है नहीं भी हो सकती है। ऐसे मरीजों को दवा या जांच कराने की जरूरत नहीं है। इन मरीजों को घर रहकर आराम करने की सलाह दी जाती है।

कैटेगरी-बी

सर्दी-जुकाम, तेज बुखार, खांसी हो तो टैमी फ्लू दवा दी जाए। खासतौर से गर्भवती महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, फेफड़े, किडनी, लिवर, कैंसर या एड्स पीडि़त को ये लक्षण हों तो दवा देना चाहिए। ऐसे मरीजों को स्वाइन लू जांच और अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है।

कैटेगरी सी

सुस्ती, तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, रक्तचाप का गिरने की शिकायत हो तो मरीज को तुरंत भर्ती कर कर जांच करना जरूरी है।

ये लक्षण हो तो जांच और भर्ती होना जरूरी

सुस्ती महसूस हो, सांस लेने में दिक्कत हो, सीने में दर्द हो रहा हो, ब्लड प्रेशर गिर रहा हो, खांसी के साथ खून मिला बलगम, नाखूनों का रंग नीला हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और जांच कराएं। डॉक्टर अगर भर्ती करने को कहे तो अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराएं।

Posted By: Inextlive