श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भारत के उत्तरी क्षेत्र में उत्तर भारत में हरियाली तीज को विशेष करके मनाया जाता है। घर-घर में झूले पड़ते हैं और द्वापर युग से यह मान्यता है श्रावण मास में झूला झूलना चाहिए...


उत्तर भारत में घर-घर महिलाएं समूह बनाकर के हरियाली तीज के विभिन्न तरह के गीत गाती हैं।गीत गाते हुए झूला भी झूलती है। श्रावण मास की हरियाली तीज को स्वादिष्ट से स्वादिष्ट पकवान गुजिया, घेवर, फेनी आदि बेटियों को सी धारा के रूप में भेजा जाता है।यह बायना छू करके बेटी की सास को दिया जाता है। इस चीज पर मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं पैरों में महावर भी लगाती हैं, जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है। हरियाली तीज पर तीन बातों को त्यागने का विधान है जैसे पति से छल-कपट झूठ बोला एवं दुर्व्यवहार पर निंदा मान्यता है। मायके की रौनक होती हैं बिटिया


साला मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पार्वती गौरा जी विरह अग्नि में अप्पर के शिव से मिली थीं। यह हरियाली तीज वाल्स 3 अगस्त 2019 को है। घर का आंगन बेटियों से ही गुलजार होता है घर की वही रौनक शादी के बाद पराई हो जाती है। सावन मास का महीना एक ऐसा महीना होता है, जिसमें की सभी नवविवाहित बेटियों को अपने मायके आने का मौका मिलता है घर का आंगन, आंगन का झूला, मां की पहनाई हुई हरी-हरी चूड़ियां और भाई-बाप के द्वारा सिद्धि गई गुड़िया के कमी को ससुराल में कोई भी पूरा नहीं कर सकता।

सावन में बेटी घर आए तो मां ये सामना जरुर देंलगभग सभी बेटियां व महिलाएं कहती है आनंद तो मायके में आकर ही आता है। यहां पर मायके में खुलकर के सावन मास का लुफ्त उठाने की आजादी होती है। मायके में शादी के बाद का सावन अत्यंत ही सराहनीय है। सावन मास में हरे कलर की चूड़ियां, हरे कलर की साड़ी और हरे कलर का नेल पॉलिश अत्यंत ही शोभिनी होती है। यदि रत्न-रत्न जड़ित अंगूठी हो तो क्या कहना।पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma