विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने मंगलवार को राज्‍यसभा में 2014 में इराक के मोसुल से अपहृत 40 भारतीयों में से 39 के मारे जाने की पुष्‍टि की। एक भारतीय हरजीत मसीह किसी तरह बचकर भारत लौट आया था लेकिन विदेश मंत्री के मुताबिक उसने जो कहानी सुनाई थी वह झूठी थी। आइये सुषमा स्वराज के बयान के साथ हरजीत की कहानी पर एक नजर डालें।


सुषमा स्वराज का बयानदरअसल, सुषमा स्वराज ने 2014 में इराक के मोसुल से अपहृत 40 भारतीयों में से 39 के मारे जाने की पुष्टि की। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा में बताया कि हरजीत मसीह ने अपना नाम बदलकर अली कर लिया और वह बांग्लादेशियों के साथ इराक के इरबिल पहुंचा, जहां से उसने सुषमा स्वराज को फोन किया था। इसके बाद स्वराज से बातचीत के दौरान उसने ISIS के आतंकियों के सभी गतिविधिवों के बारे में बताया। इसके अलावा उसने यह भी बताया कि वे अपने मालिक के संग जुगाड़ करके अपना नाम अली किया और बांग्लादेशियों वाले समूह में शामिल हो गया। इसके बाद वो इरबिल पहुंच गया।यहां से निकाल लो
सुषमा स्वराज ने बताया कि हरजीत की बातें इसलिए झूठी लगी क्योंकि जब उसने फोन किया तो मैंने पूछा कि आप इरबिल कैसे पहुंचे? तो उसने जवाब दिया कि मुझे कुछ नहीं पता।' फिर मैंने पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आपको कुछ भी नहीं पता? तो उसने कहा कि मुझे कुछ नहीं पता, बस आप मुझे यहां से निकाल लो।'  पहाड़ी पर ले गए थे आतंकी


मसीह ने अपने कहानी में बताया था कि आईएस के आतंकी 50 बांग्लादेशियों और 40 भारतीयों को उनकी कंपनी से बसों में भरकर किसी पहाड़ी इलाके पर ले गए थे, वहां ले जाने के बाद उन्होंने हमे किसी दूसरे ग्रुप को शौंप दिया। जहां आतंकियों ने हम सभी को दो दिन तक अपने कब्जे में रखा।' पैर पर गोली लगीमसीह के मुताबिक, 'एक दिन हम सभी को लाइन में खड़ा किया गया और सभी से मोबाइल और पैसे ले लिए गए। इसके बाद, उन्होंने कुछ देर तक खूब गोलियां चलाईं। मैं लाइन में बीच में खड़ा था, मेरे पैर पर गोली लगी और मैं नीचे गिर गया और वहीं चुपचाप लेटा रहा। बाकी सभी लोगों को वहीं मार दिया गया।' मसीह ने यह भी बताया कि वह अपना नाम बदलकर किसी तरह वहां से भाग निकला और भारत लौट आया।

Posted By: Mukul Kumar